मुंबई पर हमला करने वाले फिदायीन को न सिर्फ मुंबई के चप्पे चप्पे की जानकारी थी, बल्कि उन्हें एनएसजी कमांडो और पुलिस को प्रशिक्षण देने वाली निर्देशिका की भी जानकारी थी, जिसके कारण उन्होंने कई बार एनएसजी के कमांडो और पुलिस को पीछे हटने पर विवश कर दिया था।
इससे लश्कर के इस दावे को बल मिलता है कि भारतीय सुरक्षा संस्थान में उसका एक भेदिया मौजूद था। यह बात 'द सीज : द अटैक ऑन द ताज' के लेखक एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क ने कही। पुस्तक का प्रकाशन पेंगुइन ने किया है।
लेखकों ने ई-मेल माध्यम से कहा कि 26 नवंबर 2008 को हमला होने से पहले सीआईए ने भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस हमले के बारे में 26 चेतावनी जारी की थी।
फिदायीन ने तीन दिनों तक मुंबई के ताज होटल पर कब्जा कर रखा था और उसके द्वारा चलाए गए मौत के तांडव में 166 लोग मारे गए थे, जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे।
पुस्तक में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के मेजर इकबाल ने कहा था कि नई दिल्ली में एक सुपर एजेंट था, जिसे 'हनी बी' नाम दिया गया था और जो खुफिया दस्तावेज और भारतीय पुलिस तथा सेना के कमांडो के प्रशिक्षण के मैन्यूअल को इधर मुहैया कराता था।
पुस्तक के मुताबिक लश्कर के पास एनएसजी के काउंटर होस्टेज अभियान की प्रशिक्षण निर्देशावली भी थी।
पुस्तक को तैयार करने की प्रक्रिया में लेवी और स्कॉट-क्लार्क ने खुफिया भारतीय दस्तावेजों का अध्ययन किया। उन्होंने अमेरिकी और ब्रिटिश सुरक्षा सूत्रों से जानकारी जुटाई। हजारों अप्रकाशित अदालती दस्तावेजों और गोपनीय संदर्भो का अध्ययन किया। उन्होंने सैकड़ों लोगों से साक्षात्कार लिए, जिनमें लश्कर के आतंकवादी और मुंबई के पुलिस भी शामिल थे।
मुंबई हमले में एनएसजी के जवानों ने अजमल कसाब को छोड़कर शेष हमलावरों को मार गिराया था। कसाब को पिछले साल सुनवाई के बाद फांसी दे दी गई थी।
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