चाय बेचने वाले की बेटी अब भरेगी हौसलों की उड़ान, अब भारतीय वायुसेना में उड़ाएगी लड़ाकू विमान

मध्य प्रदेश में एक चाय बेचने वाले की बेटी ने आसमान में उड़ने के अपने सपने को साकार कर दिखाया है. मध्य प्रदेश के नीमच जिले की चाय बेचने वाले की 24 वर्षीय बेटी आंचल गंगवाल का चयन भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग ब्रांच में हो गया है.

चाय बेचने वाले की बेटी अब भरेगी हौसलों की उड़ान, अब भारतीय वायुसेना में उड़ाएगी लड़ाकू विमान

भारतीय वायुसेना में चयनित होने वाली आंचल अपने परिवार के साथ

खास बातें

  • चाय बेचने वाली की बेटी बनी पायलट.
  • मध्य प्रदेश में पिता चाय बेचते हैं.
  • पांच बार की असफलता के बाच हासिल किया मुकाम.
भोपाल:

मध्य प्रदेश में एक चाय बेचने वाले की बेटी ने आसमान में उड़ने के अपने सपने को साकार कर दिखाया है. मध्य प्रदेश के नीमच जिले की चाय बेचने वाले की 24 वर्षीय बेटी आंचल गंगवाल का चयन भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग ब्रांच में हो गया है. यानी अब आंचल भारतीय वायुसेना में फाइटर प्लेन उड़ाएगी. खास बात है कि कई बार के प्रयासों में असफल रहने के बाद आंचल ने हार नहीं मानी और उसने अपना प्रयास निरंतर जारी रखा और अंत में उसने सफलता पाकर ही दम लिया. आंचल का कहना है कि उत्तराखंड में 2013 में बाढ़ के दौरान भारतीय वायुसेना ने जिस तरह से बचाव अभियान को अंजाम दिया था, उसी से उसे प्रेरणा मिली है. 

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आंचल ने कहा कि 'जब मैं 12वीं में थी, तब उत्तराखंड में बाढ़ आई थी और सुरक्षा बलों ने जिस तरह से बाढ़ प्रभावितों को बचाया था उससे मैं काफी प्रभावित हुई थी. तभी मैंने सेना में जाने का मन बना लिया था. मगर उस वक्त मेरे परिवार की स्थिति सही नहीं थी.' 

परीक्षा को लेकर आंचल का कहना है कि एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट पास करना उसके लिए आसान काम नहीं था. सालों से वह मेहनत कर रही थी, उसने पांच बार इंटरव्यू को फेस किया. मगर छठी बार में सफलता हासिल की. बता दें कि नतीजे 7 जून को घोषित किये गये हैं. खास बात है कि इस परीक्षा में देश भर में चुने गये 22 चयनित कैंडिडेट में से आंचल एक है और मध्य प्रदेश से आने वाली इकलौती. बता दें कि करीब 6 लाख स्टूडेंट्स इस परीक्षा में शामिल हुए थे. 

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आंचल के पिता सुरेश गंगवाल नीमच बस स्टैंड के पास चाय की दुकान चलाते हैं. उन्होंने कहा कि अब इस इलाके के सभी मेरे 'नामदेव टी स्टॉल' के बारे में जानने लगे हैं और मुझे काफी खुशी होती है जब लोग आते हैं और मुझे बधाई देते हैं. सुरेश का कहना है कि उन्होंने अपने तीनों बच्चों की पढ़ाई के आगे वित्तीय स्थिति को कभी बाधा नहीं बनने दिया. 

उन्होंने आगे कहा कि मैंने आंचल को इंदौर में कोचिंग क्लास लेने के लिए कर्ज लिया और उसे इंदौर भेजा. साथ ही मैंने अपने बड़े बेटे की इंजीनियरिंग के लिए भी कर्ज लिये. मेरी छोटी बेटी अभी 12वीं में है.  बता दें कि आंचल को हैदराबाद के डुंडीगुल एयर फोर्स एकेडमी में 30 जून तक रिपोर्ट करने को कहा गया है. 

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