पटाखों में रोशनी डालने के लिए रसायन का प्रयोग किया जाता है.
नई दिल्ली:
दिल्ली और NCR में दिवाली पर पटाखे नहीं बिकेंगे. 11 नवंबर 2016 का बिक्री पर रोक का आदेश फिर से बरकरार रहेगा. कोर्ट ने सारे लाइसेंस स्थायी और अस्थायी तत्काल प्रभाव निलंबित किए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बैन 1 नवंबर 2017 तक बरकरार रहेगा. कोर्ट ने 12 सितंबर के रोक के आदेश में संशोधन किया है. दिवाली पर अलग किस्म के पटाखे लेने का शौक तो आपको भी होगा. बम से लेकर रॉकेट की तरह-तरह की किस्म लाकर आप उसका आनंद लेते होंगे, लेकिन क्या कभी सोचा है कि रॉकेट हवा में इतनी ऊंचाई तय करके ही क्यों फटता है. कानफोडू बम इतनी आवाज क्यों करते हैं. कैसे बम से या अनार से अलग-अलग तरह की रोशनी निकलती है?
पढ़ें- यहां है भारत की सबसे बड़ी पटाखा फैक्ट्री, ऐसे बारूद से कमाते हैं करोड़ों रुपये
कैसे डाली जाती है पटाखों में रोशनी
अक्सर आपने देखा होगा कि हवाई पटाखे फटने के बाद आसमान में रंगबिरंगी रोशनी बिखेरते हैं. इनमें रोशनी डालने के लिए भी खास तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है. अलग-अलग रसायनों के हिसाब से ही पटाखों के रंगों की रोशनी तय होती है.
पढ़ें- दिल्ली-NCR में दिवाली पर पटाखे नहीं बिकेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
किस रोशनी के लिए डाला जाता है कौन सा रसायन
रसायन विज्ञान में मौजूद तरह-तरह के रसायनों को यदि किसी और चीज के साथ मिलाया जाए तो वो रसायन तत्व उसके साथ मिश्रित होने पर रंग बदल देता है.
पढ़ें- दिल्ली-NCR में पटाखे फूटेंगे या नहीं, सुप्रीम कोर्ट दिवाली से पहले लेगा फैसला
हरे रंग के लिए बेरियम नाइट्रेट
पटाखे में से हरे रंग यानी ग्रीन रोशनी निकालने के लिए बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है. बेरियम नाइट्रेट को अनकार्बनिक रसायन भी बोला जाता है. ये विस्फोटक पदार्थ का काम करता है. बारूद में मिश्रण होने पर ये रंग बदलता है और हरे रंग में बदल जाता है. हरे रंग में बदलने से जब पटाखे को आग लगाई जाती है तो उसमें से हरे रंग की ही रोशनी निकलती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर आतिशबाजी में किया जाता है.
लाल रंग के लिए सीजियम नाइट्रेट
पटाखे से लाल रंग की रोशनी निकालने के लिए उसमें सीजियम नाइट्रेट डाला जाता है. इस रसायन को बारूद के साथ मिलाने पर इसका रंग लाल पड़ जाता है. इसके बाद मिश्रण को ठोस बनाकर पटाखे में भरा जाता है. आग लगाने पर इसमें से लाल रंग की रोशनी बाहर आती है. इसका प्रयोग ज्यादातर अनार और रॉकेट में किया जाता है.
पढ़ें- दिल्ली में 15 साल पुराने डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द, धार्मिक कार्यक्रमों को छोड़कर पटाखों पर बैन
पीले रंग यानी येलो के लिए सोडियम नाइट्रेट
सोडियम नाइट्रेट का रंग देखने पर ही इसका रंग हल्का पीला नजर आता है. पटाखों के बारूद के साथ इसे मिलाकर एक ठोस पदार्थ तैयार किया जाता है. इसमें नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाई जाती है. इससे इसका रंग और भी गाढ़ा पीला हो जाता है. यही वजह है कि आग लगाने के बाद ये पीले रंग की रोशनी छोड़ता है. इसका इस्तेमाल अमूमन हर पटाखे में होता है. खासकर चकरी में इसका इस्तेमाल अधिक है.
पढ़ें- यहां है भारत की सबसे बड़ी पटाखा फैक्ट्री, ऐसे बारूद से कमाते हैं करोड़ों रुपये
कैसे डाली जाती है पटाखों में रोशनी
अक्सर आपने देखा होगा कि हवाई पटाखे फटने के बाद आसमान में रंगबिरंगी रोशनी बिखेरते हैं. इनमें रोशनी डालने के लिए भी खास तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है. अलग-अलग रसायनों के हिसाब से ही पटाखों के रंगों की रोशनी तय होती है.
पढ़ें- दिल्ली-NCR में दिवाली पर पटाखे नहीं बिकेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
किस रोशनी के लिए डाला जाता है कौन सा रसायन
रसायन विज्ञान में मौजूद तरह-तरह के रसायनों को यदि किसी और चीज के साथ मिलाया जाए तो वो रसायन तत्व उसके साथ मिश्रित होने पर रंग बदल देता है.
पढ़ें- दिल्ली-NCR में पटाखे फूटेंगे या नहीं, सुप्रीम कोर्ट दिवाली से पहले लेगा फैसला
हरे रंग के लिए बेरियम नाइट्रेट
पटाखे में से हरे रंग यानी ग्रीन रोशनी निकालने के लिए बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है. बेरियम नाइट्रेट को अनकार्बनिक रसायन भी बोला जाता है. ये विस्फोटक पदार्थ का काम करता है. बारूद में मिश्रण होने पर ये रंग बदलता है और हरे रंग में बदल जाता है. हरे रंग में बदलने से जब पटाखे को आग लगाई जाती है तो उसमें से हरे रंग की ही रोशनी निकलती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर आतिशबाजी में किया जाता है.
लाल रंग के लिए सीजियम नाइट्रेट
पटाखे से लाल रंग की रोशनी निकालने के लिए उसमें सीजियम नाइट्रेट डाला जाता है. इस रसायन को बारूद के साथ मिलाने पर इसका रंग लाल पड़ जाता है. इसके बाद मिश्रण को ठोस बनाकर पटाखे में भरा जाता है. आग लगाने पर इसमें से लाल रंग की रोशनी बाहर आती है. इसका प्रयोग ज्यादातर अनार और रॉकेट में किया जाता है.
पढ़ें- दिल्ली में 15 साल पुराने डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द, धार्मिक कार्यक्रमों को छोड़कर पटाखों पर बैन
पीले रंग यानी येलो के लिए सोडियम नाइट्रेट
सोडियम नाइट्रेट का रंग देखने पर ही इसका रंग हल्का पीला नजर आता है. पटाखों के बारूद के साथ इसे मिलाकर एक ठोस पदार्थ तैयार किया जाता है. इसमें नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाई जाती है. इससे इसका रंग और भी गाढ़ा पीला हो जाता है. यही वजह है कि आग लगाने के बाद ये पीले रंग की रोशनी छोड़ता है. इसका इस्तेमाल अमूमन हर पटाखे में होता है. खासकर चकरी में इसका इस्तेमाल अधिक है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं