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Kanwar Yatra 2025: 'श्रवण कुमार' बनी बहू, सास को कंधे पर लेकर निकली हरिद्वार से हापुड़, बनी मिसाल

Shravan Kumar Bahu: अक्सर सास-बहू के बीच कड़वाहट की खबरें ही सुनने को मिलती हैं, लेकिन हाल ही में एक वायरल वीडियो ने लोगों का दिल ही जीत लिया. एक बहू अपनी सास को कांवड़ यात्रा पर लेकर निकली है.

Kanwar Yatra 2025: 'श्रवण कुमार' बनी बहू, सास को कंधे पर लेकर निकली हरिद्वार से हापुड़, बनी मिसाल
हरिद्वार से हापुड़ तक बहू की भक्ति: कांवड़ में सास को बिठाकर निकली बहू

Bahu Carries Saas in Kanwar: हरिद्वार से इस बार कांवड़ यात्रा की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने हर किसी का दिल छू लिया है. आमतौर पर समाज में सास-बहू के बीच खटपट की खबरें आती रहती हैं, लेकिन हापुड़ की आरती ने अपनी बुजुर्ग सास को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार से यात्रा शुरू की और सबका दिल जीत लिया. बहू अपनी बेटी के साथ मिलकर कांवड़ यात्रा पर निकली हैं, लेकिन खास बात यह है कि इस कांवड़ में कोई जल पात्र नहीं, बल्कि उनकी सास बैठी हैं. मां समान सास को गंगा स्नान कराने के बाद अब वह उन्हें लेकर हापुड़ लौट रही हैं. लोगों ने इस बहू को 'श्रवण कुमार' की उपाधि दे दी है.

बहू बनी श्रवण कुमार (Real Life Bahu Saas Bond)

आरती बताती हैं कि शिवजी की कृपा से मन में भाव आया कि सास को भी गंगा स्नान कराना चाहिए, बस उसी भावना (Emotional Kanwar Story) से यात्रा शुरू कर दी. वहीं, उनकी सास का कहना है कि पहले उन्हें भरोसा नहीं था कि आरती यह कर पाएंगी, लेकिन अब उन्हें अपनी बहू पर गर्व है. सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और पूरे देश में शिवभक्ति का माहौल छाया है. हरिद्वार में साधु-संत और श्रद्धालु गंगा मैया का पूजन कर कांवड़ यात्रा के लिए जल भर रहे हैं. यह यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि एक कठिन तपस्या और भक्ति का प्रतीक भी है.

यहां देखें वीडियो

कांवड़ यात्रा के नियम और महत्व (Sawan 2025 Shiv Bhakti)

कांवड़ यात्रा के दौरान शुचिता, संयम और नियमों का विशेष पालन किया जाता है. नशा, मांसाहार, श्रृंगार सामग्री का प्रयोग, तेल-साबुन का उपयोग वर्जित होता है. स्नान के बिना कांवड़ नहीं उठाई जाती और हर कांवड़िया शिव मंत्रों का जाप करता है.

कांवड़ यात्रा के प्रकार (Sawan Shiv Bhakti Yatra)

कांवड़ यात्रा के कई प्रकार होते हैं...सामान्य कांवड़, डाक कांवड़, खड़ी कांवड़, दांडी कांवड़ और झूला कांवड़. भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इनका चयन करते हैं. सावन आते ही शिव भक्तों का जोश देखते ही बनता है. आरती और उनकी सास की यह कहानी न सिर्फ भक्ति, बल्कि इंसानी रिश्तों की गहराई और प्यार का अद्भुत उदाहरण बन गई है.

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