
Japan businessman tunrs into shiva devotee: 41 वर्षीय होशी ताकायुकी (Hoshi Takayuki) कभी टोक्यो में 15 ब्यूटी प्रोडक्ट स्टोर्स की चेन चलाते थे, पर अब वे 'बाला कुंभा गुरुमुनि' (Bala Kumbha Gurumuni) के नाम से जाने जाते हैं. भगवा वस्त्रधारी शिवभक्त जो इस समय उत्तराखंड की यात्रा पर हैं. जुलाई में भारत लौटे ताकायुकी फिलहाल देहरादून में कांवड़ियों के लिए दो दिवसीय भंडारे का आयोजन कर रहे हैं. वे खुद को हिमालय में जन्मा मानते हैं और उत्तराखंड में आश्रम व पुडुचेरी में शिव मंदिर बनाने की योजना में जुटे हैं.
जापानी शिव भक्त (Hoshi Takayuki Kanwar Yatra)
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनका आध्यात्मिक सफर करीब दो दशक पहले तमिलनाडु में शुरू हुआ. वहां उन्होंने नाड़ी ज्योतिष का अनुभव किया. एक प्राचीन सिद्ध पद्धति, जिसमें ताड़पत्रों के माध्यम से जीवन की व्याख्या की जाती है. उन्हें बताया गया कि उनका पूर्व जन्म हिमालय में हुआ था और वे सनातन धर्म की ओर अग्रसर होंगे. टोक्यो लौटते ही उन्होंने एक दिव्य स्वप्न देखा, जिसमें वह खुद को उत्तराखंड में देखते हैं. उसी पल से उनका जीवन बदल गया. उन्होंने अपना पूरा व्यापार शिष्यों को सौंप दिया, अपना नाम बदला और अपने टोक्यो स्थित घर को शिव मंदिर में तब्दील कर दिया. यही नहीं, उन्होंने एक और मंदिर का निर्माण भी करवाया.
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Hoshi Takayuki, a 41-year-old former businessman from Tokyo, once owned a successful chain of 15 beauty-product stores in Japan. However, he gave up his luxurious lifestyle to fully embrace Hindu spirituality and devotion to Lord Shiva.
— Neeraj Singh Dogra 🇮🇳 (@dogra_ns) July 24, 2025
Now known as Bala Kumbha Gurumuni, Hoshi… pic.twitter.com/BTdQGC71yB
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इस साल जुलाई में भारत लौटने के बाद उन्होंने कांवड़ यात्रा में भाग लिया, नंगे पांव गंगाजल लेकर चले और देहरादून में कांवड़ियों के लिए भंडारा भी आयोजित किया. उनके साथ 20 जापानी अनुयायी भी भगवा वस्त्र में यात्रा पर निकले हैं. उनके मित्र रमेश सुंद्रीयाल के मुताबिक, ताकायुकी ने पुडुचेरी में 35 एकड़ जमीन खरीदी है, जहां वे एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करेंगे. इसके अलावा उत्तराखंड में भी एक आश्रम खोलने की योजना है.
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ताकायुकी कहते हैं, मुझे देवभूमि उत्तराखंड से गहरा लगाव है. मुझे विश्वास है कि मेरा पूर्व जन्म यहीं हुआ था और मैं आज भी अपनी उस जन्म की पहाड़ी बस्ती को खोज रहा हूं. उनकी यह यात्रा आज के युवाओं और दुनियाभर के लोगों के लिए प्रेरणा है. धर्म, आस्था और आत्म-साक्षात्कार की अनोखी मिसाल.
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