यह ख़बर 20 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

गाड़ी शाही, मगर सर्विस नहीं

नई दिल्ली:

भारत में लग्ज़री कारों की बिक्री कैसे बढ़ रही है, ये किसी से छुपा नहीं है। सड़कों पर मर्सिडीज़, बीएमडब्ल्यू और ऑडी की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि एक वक्त में इन कंपनियों की हर कार को शाही कार मानने वाली सोच भी अब जाती नज़र आ रही है। और न सिर्फ़ आम लोगों में ये सोच झलक रही है, बल्कि ग्राहकों में भी। अब इन कारों के ग्राहक भी ख़ुद वैसा शाही महसूस नहीं कर रहे हैं।

पिछले एक साल में लग्ज़री कारों की बिक्री लगभग दोगुनी बढ़ी है। 2013 में लगभग 16 हज़ार कारें बिकी थीं, वहीं इस साल 35 हज़ार से ऊपर कारें। ज़ाहिर है इस बढ़ोतरी का दबाव कंपनियों के डीलरशिप और वर्कशॉप पर भी बढ़ा है। और इस दबाव का असर ग्राहकों की संतुष्टि पर भी पड़ा है, जिसे मापने का काम करती है जे डी पावर एशिया पेसिफिक। जिसके 2014 के लग्ज़री सेगमेंट के कस्टमर सर्विस इंडेक्स स्टडी में यही बातें सामने आई हैं।

कंपनी ने लग्ज़री कारों के 257 ऐसे ग्राहकों से बात की, जिनमें एक से दो साल पुराने मर्सिडीज़, ऑडी और बीएमडब्ल्यू ग्राहक थे। स्टडी में पूछा गया कि सर्विस की क्वालिटी, गाड़ी के पिकअप, सर्विस एडवाइज़र, सर्विस फेसिलिटी और सर्विस की शुरुआत से। इन सब पैमानों के लिए अलग-अलग अंक दिए गए थे और सभी कंपनियों को कुल हज़ार प्वाइंट के स्केल पर मापा गया। और इस पैमाने पर पिछले साल के मुक़ाबले ग्राहकों कम संतुष्ट हैं। सर्विसिंग की शुरुआत और फेसिलिटी को लेकर ग्राहक सबसे नाख़ुश थे। जिन रेटिंग में पिछले साल के मुक़ाबले सबसे ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई।

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इन सबका मतलब ये है कि ग्राहकों को सर्विसिंग के लिए अब पहले से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ता है। सर्विस होकर गाड़ी तैयार होने में भी वक्त ज़्यादा लगता है। ग्राहकों को इस देरी के बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती। इस स्टडी में नंबर एक पर मर्सिडीज़ रही, दूसरे पर बीएमडब्लूय और तीसरे पर ऑडी रही।