नई दिल्ली में चल रहे समन्वय आईएचसी इंडियन लैंग्वेजेस फेस्टिवल में गीतकार-लेखक गुलजार ने अपनी नई बाल किताब 'बोस्की का पंचतंत्र' पेश की। गुलजार ने दर्शकों को बताया, "बोस्की जब छोटी थी, मैं उसे ये कहानियां सुनाता था। ये कहानियां हमेशा मेरे संग रहीं, चूंकि बच्चों के लिए कहानियां लिखना किसी चुनौती से कम नहीं है।"
उन्होंने कहा, "बच्चों की भाषा सीखना एक चुनौतीपूर्ण काम है। जैसे पीढ़ियां बदलती हैं, वैसे ही भाषा भी परिवर्तित होती हैं। यह किताब बच्चों को हिन्दी भाषा के करीब लाने का भी एक प्रयास है।" यह संग्रह पहले पढ़ी और सुनाई जा चुकी 'पंचतंत्र' की कहानियों का संग्रह है। गुलजार इसकी लिखावट में ताजगी लाए हैं।
इससे पूर्व, वह दूरदर्शन के 'द जंगल बुक', 'एलिस इन वंडरलैंड', 'गुच्छे' और 'पोटली बाबा की' सरीखे बाल कार्यक्रमों में संवाद और कुछ गीत भी लिख चुके हैं। किताब विमोचन के मौके पर गुलजार ने प्रख्यात हिन्दी कवि केदारनाथ सिंह संग मंच साझा किया। दोनों ने साथ में अपनी कुछ बेहतरीन कविताएं भी सुनाईं।
गुलजार ने कहा, "मैंने दशकों से भाषा को बदलते देखा है। मैंने देखा है कि कैसे अन्य भाषाओं का प्रभाव पड़ता है और इसका रूप बदलता है। यही वजह है कि मुझे यह कहना पसंद नहीं कि हिन्दी या उर्दू मेरी भाषा है। मैं इसे हिन्दुस्तानी पुकारता हूं, चूंकि हर शहर में यह अपनी संरचना बदलती है।"
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