
मोबाइल युग में जेन Z काफी चर्चा में है. जेन Z को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत शोर है. इस बाबत सोशल मीडिया पर जेन Z को लेकर पोस्ट से खलबली मच गई है. दरअसल, बेंगलुरु बेस्ड सीईओ आशीष गुप्ता ने जेन Z से संबंधित अपने लिंक्डइन हैंडल पर एक पोस्ट शेयर किया है. अपने लिंक्डइन पोस्ट में सीईओ ने जेन Z को लेकर साफ-साफ कहा कि इस जनरेशन को रील तो बनाना आता है, लेकिन इसे गणित नहीं आती है. सीईओ के पोस्ट ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है और अब लोग जेन Z की बुद्धिमता को लेकर चिंता जता रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल इस पोस्ट पर लोगों के मिक्स रिएक्शन आ रहे हैं.
5वीं क्लास की गणित का सवाल नहीं हुआ हल (Gen Z Knows Reels But Not Math)
सीईओ आशीष ने हाल में अपने रिक्रूटमेंट एक्सपीरियंस को लिंक्डइन पोस्ट में शेयर किया है. यहां, उन्होंने बीबीए और बीसीए के 50 से अधिक छात्रों से पांचवीं कक्षा का गणित का सवाल पूछा. 'यदि कोई कार पहले 60 किमी 30 किमी प्रति घंटा की गति से और अगले 60 किमी 60 किमी प्रति घंटा की गति से चलती है, तो इसकी औसत गति क्या है?' सीईओ के इस सवाल का बस दो ही छात्र जवाब दे पाए, जबकि बाकी के छात्र को इस सवाल को हल करने में पसीने छूट गए. इसके बाद जब सीईओ ने इन छात्रों से पूछा कि वे इस तरह कैसे प्रोडक्ट मार्केटिंग करेंगे तो उन्हें पता चला कि जेन Z तो इंस्टाग्राम रील और वायरल कंटेंट की दुनिया में बिजी है.
सीईओ ने बताया रील जेनरेशन का फ्यूचर (Bengaluru-based CEO on Gen Z)
सीईओ आशीष ने अपने पोस्ट में लिखा, 'कड़वा सच यह है कि जेन Z सोशल मीडिया को नेविगेट करने में आगे है, लेकिन उसमें बेसिक प्रॉब्लम्स और उनके सॉल्यूशन, फाइनेंशियल समझ और तार्किकता की कमी है, अगर ऐसा आगे भी चलता रहा तो वो पर्सनल फाइनेंस, डिसीजन मेकिंग और एनालिटिकल चैलेंजेस से निपटने में कमजोर होते जाएंगे'. अब सीईओ के इस चिंताजनक पोस्ट पर लोग अपने रिएक्शन दे रहे हैं.
सीईओ के सवाल पर लोगों के रिएक्शन ( Netizens on Bengaluru-based CEO)
इस पर एक यूजर ने लिखा है, 'आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है, हालांकि, मैं यह समझना चाहूंगा कि इस सवाल का आपकी हायरिंग और कंपनी से क्या संबंध है? क्या आप उन्हें सेल प्रोफाइल के लिए नियुक्त कर रहे हैं? फिर इस सवाल का उत्तर देना अप्रासंगिक है, यदि आप एक गणित शिक्षक को हायर कर रहे हैं, तो मैं आपकी चिंता समझ सकता हूं, साथ ही, मैं आपको यह आश्वासन दे सकता हूं कि बहुत से सीईओ खुद इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते हैं, फिर भी वे जहां हैं, वहीं हैं, हायरिंग के वक्त आवेदकों का कौशल देखा जाना चाहिए, ना कि बुनियादी योग्यता परीक्षण'. दूसरे यूजर ने लिखा है, 'आशीष गुप्ता, यह अभी भी कठिन था, अगली बार उनसे 100 को आधे से भाग देने के बारे में पूछना'. तीसरे ने कहा, सर, यह संस्थान के उस विशेष समूह की समस्या भी हो सकती है और सभी के लिए सही नहीं हो सकती है.
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