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एक नौकरी में कितना वक्त बिता रहे हैं Gen-Z? सर्वे का डेटा जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Gen Z Career Mindset Job Tenure: नई जेनरेशन यानी जेन जेड, पुरानी पीढ़ियों की तरह लंबे समय तक एक ही नौकरी में नहीं रहती. छोटी जॉब टेन्योर के चलते कंपनियों को अब नया वर्क कल्चर और रिटेंशन स्ट्रेटेजी अपनानी पड़ रही है.

एक नौकरी में कितना वक्त बिता रहे हैं Gen-Z? सर्वे का डेटा जानकर हैरान रह जाएंगे आप
भारत में हुए Gen Z at Workplace सर्वे (2024) में पाया गया कि 47% Gen Z युवा दो साल के अंदर नौकरी छोड़ देते हैं.

Gen Z Career Mindset Job Tenure: आज की जेनरेशन यानी जेन जेड करियर के मामले में बिल्कुल अलग सोच रखती है. परमानेंट जॉब और लंबे समय तक एक ही कंपनी में टिके रहने वाली बात अब पुरानी हो चुकी है. पहले जहां लोग एक ही कंपनी में 10 से 15 साल या पूरी लाइफ काम कर लेते थे, वहीं आज की जेन-जेड (1997-2012 तक पैदा) ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह नई पीढ़ी बहुत जल्द जॉब चेंज कर देती है. सिर्फ सैलरी ही नहीं इसकी वजहें काफी दिलचस्प हैं. चाहे भारत हो या अमेरिका हर जगह ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है. तो चलिए जानते हैं यह जेनरेशन एक नौकरी में कितना वक्त बिता रही है और इसके पीछे सबसे बड़े फैक्टर्स क्या हैं...

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Gen Z नौकरी में कितना वक्त बिताते हैं

अमेरिकी करियर साइट CareerBuilder के अक्टूबर 2021 के डेटा के मुताबिक, Gen Z एक नौकरी में औसतन 2 साल 3 महीने बिताते हैं. यह समय मिलेनियल्स के मुकाबले भी कम है, जो औसतन 2 साल 9 महीने एक नौकरी में रहते हैं. इसके उलट, जेन X और बेबी बूमर्स जैसे पुराने जेनरेशन एवरेज 8 साल से ज्यादा एक पोस्ट पर बने रहते थे. एक अन्य सर्वे (Gateway Commercial Finance) के अनुसार, अमेरिका में Gen Z प्रोफेशनल्स का औसत जॉब टेन्योर सिर्फ 1.8 साल है. यानी नौकरी बदलना उनके लिए बेहद सामान्य बात है.

Gen Z जल्दी नौकरी क्यों छोड़ते हैं

भारत में हुए Gen Z at Workplace सर्वे (2024) में पाया गया कि 47% Gen Z युवा दो साल के अंदर नौकरी छोड़ देते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजहें हैं, वर्क-लाइफ बैलेंस की प्रॉयरिटी है, जिसे 46% लोग मानते हैं. 51% युवाओं को नौकरी खोने का डर रहता है, जिसकी वजह से वे बदलाव चाहते हैं, करियर ग्रोथ को लेकर अनिश्चितता की वजह से भी ये जेनरेशन जल्दी नौकरी चेंज करती है. वहीं, 40% युवाओं को अपनी पसंदीदा फील्ड में टिके रहने की चिंता होती है. यानी यह पीढ़ी स्थिरता से ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और स्किल डेवलपमेंट को तवज्जो देती है.

Gen Z का वर्क लाइफ बैलेंस और करियर अप्रोच कैसा है

जेन-जेड ने जॉब मार्केट में एंट्री ऐसे समय में की है, जब आर्थिक अनिश्चितता, कॉलेज एजुकेशन की ROI (Return on Investment) पर सवाल और हाउस ओनरशिप जैसी बड़ी चीजें महंगी हो चुकी हैं. इस वजह से वे जॉब को एक तरह का सिचुएशनशिप मानते हैं मतलब एक टेंपरेरी रिलेशनशिप, जिसमें लंबे समय तक टिकने का कोई प्लान नहीं होता है.

रिपोर्ट के अनुसार, 58% जेन जेड अपने मौजूदा रोल को शॉर्ट टर्म मानते हैं, 47% अगले एक साल में नौकरी छोड़ने की सोच रहे हैं, 30% लोग बिना नोटिस दिए नौकरी छोड़ने को तैयार रहते हैं.

नई जॉब के लिए Gen Z किन चीजों को प्रॉयरिटी देती है

  • स्किल डेवलपमेंट के ऑप्शन
  • रिमोट या हाइब्रिड वर्क ऑप्शन
  • फास्ट करियर ग्रोथ पाथ
  • मेंटल हेल्थ सपोर्ट और एम्प्लॉयी वेलनेस प्रोग्राम
  • सोशल वैल्यू और कंपनी कल्चर

क्या यह ट्रेंड कंपनियों के लिए चिंता का कारण है

छोटी जॉब टेन्योर का मतलब कंपनियों के लिए रिक्रूटमेंट कॉस्ट बढ़ना, ट्रेनिंग में निवेश का कम रिटर्न और टीम स्टेबिलिटी में कमी है. एक HR स्टडी बताती है कि हर बार किसी कर्मचारी के जाने पर कंपनी को उसकी सालाना सैलरी का लगभग 30% खर्च फिर से हायरिंग और ट्रेनिंग में लगाना पड़ता है.

इस ट्रेंड से बचने के लिए कंपनियों को चाहिए कि वे Gen Z को स्किल ग्रोथ के मौके दें, वर्क-लाइफ बैलेंस और फ्लैक्सिबिलिटी बनाए रखें, मेंटल हेल्थ सपोर्ट और ट्रांसपेरेंट करियर पाथ दें.

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