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Gen Z की इन्वेस्टमेंट का दुश्मन बना सोशल मीडिया? जानें कैसे बदल रहा है निवेश का तरीका

सोशल मीडिया Gen Z के इन्वेस्टमेंट डिसीजन पर गहरा असर डाल रहा है. SEBI ने हाल ही में Investor Risk Reduction Access (IRRA) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है ताकि नए इन्वेस्टर्स को गाइड किया जा सके.

Gen Z की इन्वेस्टमेंट का दुश्मन बना सोशल मीडिया? जानें कैसे बदल रहा है निवेश का तरीका
Investment Tips: रिपोर्ट बताती है कि लगभग 48% Gen Z सोशल मीडिया से इन्वेस्टमेंट के बारे में सीखते हैं, जबकि सिर्फ 30% ही प्रोफेशनल एडवाइजर्स तक पहुंचते हैं.
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया अब सिर्फ एंटरटेनमेंट का जरिया नहीं रहा, बल्कि इन्वेस्टमेंट की दुनिया को भी बदल रहा है. खासकर Gen Z यानी 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी में यह ट्रेंड साफ दिख रहा है. आज के युवा इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स से शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड्स और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सीख रहे हैं. ट्रेडिशनल फाइनेंशियल एडवाइजर्स या बुक्स की जगह अब ‘फिनफ्लुएंसर' यानी फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स का कंटेंट ज्यादा पॉपुलर हो गया है.

युवा पीढ़ी का फिनफ्लुएंसर पर बढ़ रहा भरोसा

दरअसल, इन युवाओ का मानना है कि फिनफ्लुएंसर मुश्किल फाइनेंस टर्म्स को आसान बना देते हैं जिससे पेचीदा बात भी मिनटों में समझ आ जाती है. इसने उन्हें पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट में मदद मिलती है. जाहिर है कि युवा पीढ़ी इन क्रिएटर्स को फॉलो करना पसंद करती है. समय के साथ उनका ऐसे क्रिएटर्स पर भरोसा भी बढ़ता जात है.

 48% Gen Z सोशल मीडिया से फॉलो करते हैं इन्वेस्टमेंट  टिप्स

CFA इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि लगभग 48% Gen Z सोशल मीडिया से इन्वेस्टमेंट के बारे में सीखते हैं, जबकि सिर्फ 30% ही प्रोफेशनल एडवाइजर्स तक पहुंचते हैं. एक बड़ी वजह है कॉस्ट. पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर्स लेना महंगा पड़ता है, इसलिए युवा सोशल मीडिया कंटेंट को आसान विकल्प मानते हैं.

हालांकि, यह ट्रेंड पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. CFA Institute की एनालिसिस में पाया गया कि जिन फिनफ्लुएंसर पोस्ट्स में इन्वेस्टमेंट रिकमेंडेशन था, उनमें से सिर्फ 20% ने ही खुलकर बताया कि वे प्रोफेशनल हैं या किसी प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए पैसे ले रहे हैं.

पिछले दो साल में 80% नए रिटेल इन्वेस्टर्स मोबाइल ऐप्स के जरिए आए

Redseer की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो साल में भारत में 80% नए रिटेल इन्वेस्टर्स मोबाइल ऐप्स के जरिए आए हैं और इनमें से ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम है. Groww, Zerodha, CoinSwitch और Kuvera जैसे ऐप्स ने खासकर छोटे शहरों में जबरदस्त ग्रोथ देखी है.

SEBI ने दी चेतावनी

SEBI कई बार चेतावनी दे चुका है कि बिना रजिस्टर्ड इन्फ्लुएंसर्स से सलाह लेना रिस्की हो सकता है. अगस्त 2023 में SEBI ने नियम जारी कर दिए कि कोई भी रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी, अनरजिस्टर्ड इन्फ्लुएंसर्स से जुड़ नहीं सकता.कई इन्फ्लुएंसर्स एजुकेशन और एडवाइस के बीच फर्क मिटाकर ऑडियंस को गुमराह कर देते हैं. ये लोग ऐसे प्रोडक्ट प्रमोट कर सकते हैं जो उनकी जेब भरें, लेकिन उनके फॉलोअर्स यानि Gen Z को रिस्क में डाल दें.

हाइप और FOMO का खेल

सोशल मीडिया पर इन्वेस्टमेंट अक्सर hype और FOMO यानी fear of missing out पर चलता है. अगर कोई स्टॉक या क्रिप्टो वायरल हो गया तो हजारों लोग बिना रिसर्च के उसमें पैसा लगा देते हैं. यही वजह है कि कई बार लोग अपने रिस्क लेने की क्षमता  और जरूरत को नजरअंदाज कर बैठते हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यूजर्स को वही कंटेंट ज्यादा दिखाते हैं जिसे वे पसंद करते हैं. इससे ‘echo chamber' बन जाता है, जहां लोग सिर्फ वही राय सुनते हैं जो उनकी सोच से मेल खाती है, और दूसरी महत्वपूर्ण बातों से चूक जाते हैं.

फाइनेंशियल लिटरेसी बेहद जरूरी

इस ट्रेंड से डिजिटल-फर्स्ट जेनरेशन के लिए स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल लिटरेसी की जरूरत और भी बढ़ गई है. SEBI ने हाल ही में Investor Risk Reduction Access (IRRA) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है ताकि नए इन्वेस्टर्स को गाइड किया जा सके. वहीं Zerodha Varsity और NSE Knowledge Hub जैसी जगहों पर भी मुफ्त लर्निंग कंटेंट उपलब्ध है, लेकिन इनकी पहुंच और एंगेजमेंट अभी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जैसी नहीं है.

साफ है कि सोशल मीडिया Gen Z के इन्वेस्टमेंट डिसीजन पर गहरा असर डाल रहा है. ऐसे में भरोसेमंद सोर्स, रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म और फाइनेंशियल एजुकेशन ही उन्हें सही दिशा दिखा सकती है.

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