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This Article is From Oct 17, 2018

Dussehra 2018: क्या सच में थे रावण के दस सिर? जानें ऐसी ही बातें जो कम लोग जानते हैं

दशहरा (Dussehra 2018) 19 अक्टूबर को भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था.

Dussehra 2018: क्या सच में थे रावण के दस सिर? जानें ऐसी ही बातें जो कम लोग जानते हैं
दशहरा (Dussehra 2018) 19 अक्टूबर को भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. जिसकी खुशी में दशहरा मनाया जाता है. दशहरा पर्व को अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है.  ये बात तो हम सभी जानते हैं लेकिन रावण से जुड़ी कुछ बातें ऐसी भी हैं जो बहुत ही कम लोग जानते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं रावण के बारे में ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं. कहा जाता है कि रावण के दस सिर थे. लेकिन क्या सच में यह सही है? आइए जानते हैं रावण की ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं. 

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कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे. जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं. उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था. 

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मान्यताओं के मुताबिक, मेघनाथ के जन्म से पहले रावण ने ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब से सजा लिया था, जिससे उसका होना वाला पुत्र अमर हो जाए. लेकिन आखिरी वक़्त में शनि ने अपनी चाल बदल ली थी. रावण इतना शक्तिशाली था कि उसने शनी को अपने पास बंदी बना लिया था.

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रामायण कई देशों में ग्रंथ की तरह अपनाई गई है. थाइलैंड में जो रामायण है उसके अनुसार सीता रावण की बेटी थी, जिसे एक भविष्यवाणी के बाद रावण ने ज़मीन में दफ़ना दिया था. भविष्यवाणी में कहा गया था कि 'यही लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी'. बाद में देवी सीता जनक को मिलीं. यही कारण था कि रावण ने कभी भी देवी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया.
 
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रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था. वो साम वेद में निपुण था. उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की. साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था. इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी. पद पथ एक तरीका है वेदों को पढ़ने का.

रावण को संगीत का भी शौक़ था. रूद्र वीणा बजाने में रावण को हराना लगभग नामुमकिन था. रावण जब भी परेशान होता वो रूद्र वीणा बजाता था. इतना ही नहीं रावण ने वायलन भी बनाया था जिसे रावणहथा कहते थे. आज भी राजस्थान में इसे बजाया जाता है.
 

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