
- एक मेडिकल इमरजेंसी ने डॉक्टर राजीव पारती की जिंदगी ऐसी बदली कि हर कोई हैरान है
- सर्जरी के दौरान संक्रमण से पीड़ित डॉ. पारती ने ऑपरेशन थिएटर में जो कुछ देखा वो एकदम अलग है
- डॉक्टर पारती ने अनुभव साझा करते हुए दावा किया कि उनकी आत्मा नरक के अंधकार तक पहुंच गई थी
रहस्य....एक ऐसा शब्द जो अपने आप में पूरी दुनिया को समेटा है. ऐसे बहुत से सवाल है जिनका जवाब इंसान खोजने में लगा है. यहां तक कि दुनिया की कई बेहतरीन खोज भी रहस्य के जानने की वजह से हुई है. इसी तरह अक्सर इंसान सोचता है मौत के बाद क्या होता है. क्या मौत के बाद जीवन होता है? क्या वाकई इंसान सच में शरीर से बाहर निकलकर सब देख सकता है? ये सवाल ऐसा रहस्य है, जिसे कोई नहीं सुलझा पाया है. लेकिन अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टर राजीव पारती ने एक ऐसा अनुभव साझा किया है, जिसने फिर से इस सवाल को सामने ला खड़ा किया.
भारतीय डॉक्टर के साथ ऐसा क्या हुआ
डॉ. पारती, जो 2008 में कैलिफोर्निया के Bakersfield Heart Hospital में Chief of Anesthesiology थे, जो कि एक वक्त में आध्यात्मिक अनुभवों के क्रिटिक थे. आलीशान बंगले से लेकर लग्ज़री कारें और एक मशहूर करियर. लेकिन एक मेडिकल इमरजेंसी ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया. दरअसल ये सब एक सर्जरी के बाद हुआ. साल 2008 में प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के दौरान कई सर्जरियों से गुजरने के बाद, डॉ. पारती को 14 दिसंबर 2010 को UCLA Medical Center में अपनी सर्जरी करानी पड़ी और यही से सब कुछ बदल गया
डॉक्टर ने जब देखा नरक
सर्जरी से उन्हें गंभीर संक्रमण हो गया और क्रिसमस पर उन्हें इमरजेंसी सर्जरी के लिए फिर भर्ती किया गया. डॉक्टर ने दावा किया कि उन्होंने ऊपर से ऑपरेशन थिएटर का दृश्य देखा. जहां डॉक्टरों को काम करते हुए, नर्सों और एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की बात सुनी, लेकिन यह अनुभव यहीं नहीं रुका. उन्होंने बताया कि उनकी आत्मा एक अंधेरे, जलते हुए नरक में पहुंच गई, ऐसी जगह जहां पर चीखें, जलती मांस की गंध और भय का माहौल था. उन्होंने इसे "नरक का किनारा" बताया. इसके बाद, दो फरिश्ते माइकल और राफेल उन्हें एक सुरंग से प्रकाश की ओर ले गए.
फिर अचानक से बदल गई लाइफ
यहां उन्होंने एक प्रकाश को देखा, जिसे उन्होंने "ईश्वर" माना. इस अनुभव के बाद से उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. कुछ ही दिनों में न सिर्फ उनका संक्रमण ठीक हो गया बल्कि कुछ ही हफ्तों में डिप्रेशन भी खत्म हो गया और नशे की लत भी छूट गई. उन्होंने एनेस्थेसियोलॉजी की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने अपना बंगला और कारें बेच दीं और एक साधारण जीवन अपना लिया. उन्होंने इसी अनोखे अनुभव पर दो किताबें लिखीं. जिनमें वे प्रेम, क्षमा और सेवा आधारित जीवनशैली को अपनाने की बात करते हैं.
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