Saudi Arabia Sand Import: सऊदी अरब को दुनिया भर में एक विशाल रेगिस्तानी देश के रूप में जाना जाता है. दूर-दूर तक फैली रेत इसकी पहचान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही देश निर्माण कार्यों के लिए दूसरे देशों से रेत आयात करता है? यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन यह पूरी तरह सच है. सऊदी अरब ऑस्ट्रेलिया, चीन और बेल्जियम जैसे देशों से रेत मंगवाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि रेगिस्तान में पाई जाने वाली रेत निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होती.
रेगिस्तान की रेत से इमारतें क्यों नहीं बन सकतीं?
रेगिस्तान की रेत हवा के कटाव से वर्षों में बहुत चिकनी और गोल हो जाती है. ऐसे कण सीमेंट और पानी के साथ अच्छी तरह नहीं जुड़ पाते, जिससे इमारतें कमजोर बनती हैं. निर्माण कार्यों में जिस रेत की जरूरत होती है, वह खुरदरी और नुकीले किनारों वाली होती है, ताकि वह सीमेंट को मजबूती से पकड़ सके. ऐसी रेत आमतौर पर नदियों, झीलों और समुद्र तल से प्राप्त होती है.
ऑस्ट्रेलिया क्यों बना रेत का बड़ा सप्लायर?
हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया निर्माण योग्य रेत का एक बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है. वर्ष 2023 में ऑस्ट्रेलिया ने करोड़ों डॉलर की रेत दुनिया के अलग-अलग देशों को सप्लाई की. सऊदी अरब ने भी उसी वर्ष ऑस्ट्रेलिया से रेत खरीदी, जिसका इस्तेमाल रेड सी परियोजना, नीओम शहर और किद्दिया जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स में किया गया.
सिर्फ सऊदी अरब ही नहीं, ये देश भी मंगवाते हैं रेत
सऊदी अरब अकेला ऐसा देश नहीं है. संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे देश भी निर्माण के लिए रेत आयात करते हैं. दुबई और अबू धाबी जैसे शहरों में ऊंची इमारतें और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली रेत की जरूरत पड़ती है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, खाड़ी देशों में तेजी से हो रहे विकास के कारण वैश्विक स्तर पर रेत की मांग बढ़ती जा रही है.
रेत संकट: एक वैश्विक खतरा
दुनिया भर में हर साल अरबों टन रेत का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उसमें से बहुत कम रेत निर्माण योग्य होती है. इसी वजह से विशेषज्ञ इसे वैश्विक रेत संकट कह रहे हैं. बिना नियंत्रण के रेत खनन से नदियों का कटाव, प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना और जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा है.
क्या है इस संकट का समाधान?
प्राकृतिक रेत पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ देश वैकल्पिक उपाय अपना रहे हैं. इनमें मशीन से तैयार की गई रेत और निर्माण कचरे को दोबारा इस्तेमाल करना शामिल है. हालांकि, इन समाधानों को बड़े पैमाने पर अपनाने में अभी समय लगेगा.
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