चंडीगढ़:
शौक बहुत बड़ी चीज़ है, और इंसान शौक के लिए क्या-क्या नहीं कर सकता... यही बात साबित की है चंडीगढ़ के केटरिंग कारोबारी कंवलजीत सिंह वालिया ने, जिन्होंने अपने 50 हज़ार रुपये कीमत वाले स्कूटर पर वीआईपी रजिस्ट्रेशन नंबर की प्लेट लगवाने के लिए आठ लाख रुपये खर्च कर डाले।
चंडीगढ़ में वाहनों के वीआईपी रजिस्ट्रेशन नंबरों के लिए करवाई गई नीलामी में कंवलजीत सिंह वालिया ने CH-01-BC सीरीज के 0001 नंबर के लिए 8.02 लाख रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई, लेकिन लोगों को यह जानकर बेहद ताज्जुब हुआ कि उन्होंने यह खास नंबर अपने एक्टिवा स्कूटर के लिए खरीदा है।
कंवलजीत सिंह वालिया के दोस्तों का कहना है कि वह जो भी करते हैं, वह 'ज़रा हटके' होता है - चाहे वह उनका केटरिंग का कारोबार हो या वीआईपी नंबरों का शौक। उनके परिचितों के अनुसार, चंडीगढ़ में उनकी केटरिंग कंपनी की पहले से ही धाक है, और अब उनकी शान की कहानियों में यह स्कूटर भी जुड़ गया है।
बताया गया है कि कंवलजीत सिंह वालिया को वीआईपी नंबरों का शौक अपने पिता से विरासत में मिला, जो चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन के पहले प्रधान थे, और उन्हीं के पास चंडीगढ़ के सबसे पहले वीआईपी नंबर हुआ करते थे।
यही नहीं, कंवलजीत ने इसी सीरीज के 0011 तथा 0026 नंबरों के लिए भी क्रमशः 2.02 लाख रुपये तथा 61,000 रुपये की बोली लगाई और उन्हें हासिल किया। कंवलजीत सिंह वालिया ने ये दोनों नंबर अपने बेटे की लक्ज़री मोटरसाइकिल और कार के लिए हासिल किए हैं।
वीआईपी नंबरों के ऐसे ही शौकीनों के चलते चंडीगढ़ प्रशासन को मोटी कमाई हो रही है। दरअसल, हमारे देश में पुराने वक्त से ही किसी वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर 0001 होना स्टेटस सिम्बल माना जाता रहा है, और पिछले एक-दो दशकों से लगभग सभी वाहन पंजीकरण विभाग इन फैन्सी रजिस्ट्रेशन नंबरों को प्रीमियम नंबरों के तौर पर बेचने लगे हैं... इस तरह नंबरों को बेचे जाने से विभागों, या यूं कहिए, राज्य सरकारों को काफी कमाई होती है।
चंडीगढ़ के आरएलए कशिश मित्तल बताते हैं कि यहां लोगों को फैंसी नंबरों का काफी शौक है। लोगों में सबसे ज़्यादा क्रेज़ 0001 नंबर के लिए होता है, सो, इस तरह की नीलामी के जरिये लोगों का खास नंबरों का शौक भी पूरा हो जाता है और हमारी भी कमाई हो जाती है। उनके मुताबिक, इस बार की नीलामी में विभाग को कुल 70 लाख रुपये की कमाई हुई है, जो पिछली बार से ज़्यादा है।
बताया गया है कि कंवलजीत सिंह वालिया के पास वीआईपी नंबर प्लेट वाली तीन गाड़ियां पहले से ही हैं, जिनमें दो मर्सिडीज़ और एक पजेरो शामिल हैं, लेकिन दोपहिया वाहन के लिए वीआईपी नंबर उन्होंने पहली बार खरीदा है, वह भी अब तक का सबसे महंगा नंबर।
चंडीगढ़ में वाहनों के वीआईपी रजिस्ट्रेशन नंबरों के लिए करवाई गई नीलामी में कंवलजीत सिंह वालिया ने CH-01-BC सीरीज के 0001 नंबर के लिए 8.02 लाख रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई, लेकिन लोगों को यह जानकर बेहद ताज्जुब हुआ कि उन्होंने यह खास नंबर अपने एक्टिवा स्कूटर के लिए खरीदा है।
कंवलजीत सिंह वालिया के दोस्तों का कहना है कि वह जो भी करते हैं, वह 'ज़रा हटके' होता है - चाहे वह उनका केटरिंग का कारोबार हो या वीआईपी नंबरों का शौक। उनके परिचितों के अनुसार, चंडीगढ़ में उनकी केटरिंग कंपनी की पहले से ही धाक है, और अब उनकी शान की कहानियों में यह स्कूटर भी जुड़ गया है।
बताया गया है कि कंवलजीत सिंह वालिया को वीआईपी नंबरों का शौक अपने पिता से विरासत में मिला, जो चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन के पहले प्रधान थे, और उन्हीं के पास चंडीगढ़ के सबसे पहले वीआईपी नंबर हुआ करते थे।
यही नहीं, कंवलजीत ने इसी सीरीज के 0011 तथा 0026 नंबरों के लिए भी क्रमशः 2.02 लाख रुपये तथा 61,000 रुपये की बोली लगाई और उन्हें हासिल किया। कंवलजीत सिंह वालिया ने ये दोनों नंबर अपने बेटे की लक्ज़री मोटरसाइकिल और कार के लिए हासिल किए हैं।
वीआईपी नंबरों के ऐसे ही शौकीनों के चलते चंडीगढ़ प्रशासन को मोटी कमाई हो रही है। दरअसल, हमारे देश में पुराने वक्त से ही किसी वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर 0001 होना स्टेटस सिम्बल माना जाता रहा है, और पिछले एक-दो दशकों से लगभग सभी वाहन पंजीकरण विभाग इन फैन्सी रजिस्ट्रेशन नंबरों को प्रीमियम नंबरों के तौर पर बेचने लगे हैं... इस तरह नंबरों को बेचे जाने से विभागों, या यूं कहिए, राज्य सरकारों को काफी कमाई होती है।
चंडीगढ़ के आरएलए कशिश मित्तल बताते हैं कि यहां लोगों को फैंसी नंबरों का काफी शौक है। लोगों में सबसे ज़्यादा क्रेज़ 0001 नंबर के लिए होता है, सो, इस तरह की नीलामी के जरिये लोगों का खास नंबरों का शौक भी पूरा हो जाता है और हमारी भी कमाई हो जाती है। उनके मुताबिक, इस बार की नीलामी में विभाग को कुल 70 लाख रुपये की कमाई हुई है, जो पिछली बार से ज़्यादा है।
बताया गया है कि कंवलजीत सिंह वालिया के पास वीआईपी नंबर प्लेट वाली तीन गाड़ियां पहले से ही हैं, जिनमें दो मर्सिडीज़ और एक पजेरो शामिल हैं, लेकिन दोपहिया वाहन के लिए वीआईपी नंबर उन्होंने पहली बार खरीदा है, वह भी अब तक का सबसे महंगा नंबर।
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