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This Article is From Feb 09, 2022

East India Company को 'भारतीय हाथों में' देख Anand Mahindra को ऐसा लगता है...

आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) उस ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) के बारे में एक वायरल ट्विटर थ्रेड ( Viral Twitter Thread) का जवाब दे रहे थे जिसने कभी भारत पर राज किया और जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद (British colonialism) का पर्यायवाची बन गई.

East India Company को 'भारतीय हाथों में' देख Anand Mahindra को ऐसा लगता है...
Twitter पर एक Viral Thread का जवाब दिया महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने

आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) की कंपनी ने करीब एक दशक पहले ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) में एक छोटा सा हिस्सा खरीदा था. आनंद महिंद्रा का कहना है कि वो "भारत के इतिहास को पलटने" में योगदान निभा कर बहुत खुश हैं. आनंद महिंद्रा उस ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में एक वायरल ट्विटर थ्रेड ( Viral Twitter Thread) का जवाब दे रहे थे जिसने कभी भारत पर राज किया और जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद (British colonialism) का पर्यायवाची बन गई. लेकिन फिर समय पलटा और इसे भारतीय मूल के व्यापारी संजीव मेहता (Sanjeev Mehta) ने स्वतंत्रता के दशकों बाद खरीद लिया. महिंद्रा ग्रुप ने बाद में इस कंपनी में छोटी हिस्सेदारी खरीदी और आनंद महिंद्रा का कहना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी को भारतीय हाथों में देखना "उत्साहित" करने वाला था.  

एक ट्विटर थ्रेड में एक लेखक और टेक एक्सपर्ट जसप्रीत बिंद्रा (Jaspreet Bindra) ने ईस्ट इंडिया कंपनी का संक्षिप्त इतिहास बताया है और उन्होंने उस व्यापारी के बारे में बात की जिसने 21 वीं शताब्दी की शुरुआत में ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदा. EIC को मुंबई में जन्मे कारोबारी संजीव मेहता ने खरीदा था. संजीव मेहता से हाल ही में मुलाकात के बाद जसप्रीत बिंद्रा ने ट्विटर पर ये थ्रेड शुरू किया.  

जसप्रीत बिंद्रा लिखते हैं, "ईस्ट इंडिया कंपनी (EIC) एक अंग्रेजों की कंपनी थी जो बाद में ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में गई. ज्वाइंट-स्टॉक कंपनी 1600 में बनाई गई. इस कंपनी ने भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े भाग पर कब्जा कर लिया था, इसने अफीम के लिए हुई पहली लड़ाई के बाद दक्षिणीपूर्वी एशिया और हांग-कांग तक अपना साम्राज्य फैलाया, साथ ही फारस की खाड़ी में अपने व्यापारिक स्थान, उपनिवेश बनाए रखे."  

एक दूसरे ट्वीट में वो लिखते हैं, अब सीधे साल 2000  के पास आइए. जब भारतीय व्यापारी संजीव मेहता ने असल में देशभक्ति के जोश में  ईस्ट इंडिया कंपनी को उसके 30-40 मालिकों के हाथ से खरीद लिया और इसे एक लक्ज़री व्यापार में बदल दिया." 

द गार्डियन के अनुसार, मेहता ने 2005 में पूरी कंपनी को खरीद लिया था. इस पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार संजीव मेहता कहते हैं " आप एक भारतीय की भावना के स्तर पर सोचिए, जब आप दिल से सोचते हैं, जैसा मैं सोचता हूं..इसे बयां नहीं किया जा सकता कि खुद पर राज करने वाली कंपनी को खरीदना कैसा लगता है." 

इसके बाद जसप्रीत बिंद्रा ने EIC में महिंद्रा ग्रुप के छोटे हिस्से के बारे में ज़िक्र किया.

इस ट्विटर थ्रेड का जवाब देते हुए आनंद मंहिंद्रा ने ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी को सबसे सामने रखने के लिए जसप्रीत बिंद्रा का धन्यवाद दिया.

उन्होंने कहा, " भारत के इतिहास को पलटने की जिस वजह से हम प्रफुल्लित होते हैं, उसे यहां रखने के लिए धन्यवाद." महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आगे कहते हैं, "इस कंपनी को भारतीय हाथों में देखना कुछ अलग ही स्फूर्ती से भर देता है....'

अब तक इस ट्वीट को 700 से अधिक लाइक मिल चुके हैं और सैकड़ों कमेंट इस पर किए गए हैं.  एक व्यक्ति ने कमेंट किया है, " रोचक जानकारी" तो दूसरे कमेंट में किसी ने लिखा है, "कर्म का चक्र पूरा होता है."
 

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