इस्लामाबाद:
पाकिस्तानी राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने उन खबरों का खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति जरदारी ने पद छोड़ने का कोई प्रस्ताव दिया है। इससे पहले ‘द न्यूज’ ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि जरदारी ने कहा है कि अगर सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दल चाहते हैं, तो वह इस्तीफा देकर जल्दी चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। अखबार ने कहा कि जरदारी ने यह घोषणा सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के आला नेतृत्व और पार्टी के गठबंधन सहयोगियों के नेताओं के साथ मंगलवार रात एक बैठक के दौरान की।
इसके पहले मंगलवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि नामी-गिरामी लोगों से जुड़े भ्रष्टाचार संबंधित मामलों को नहीं खोलने पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पीपीपी के सह-अध्यक्ष जरदारी ने गठबंधन सहयोगियों से कहा कि वह अपने उन्हीं सहयोगियों की मदद से राष्ट्रपति बने हैं और अगर वे चाहते हैं तो वह (जरदारी) पद छोड़ने और नए चुनाव कराने के लिए भी तैयार हैं।
हालांकि बैठक के बाद राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जो वक्तव्य जारी हुआ, उसमें जरदारी के पद छोड़ने के प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं था। वक्तव्य में कहा गया कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बारे में विचार-विमर्श के लिए गुरुवार को संसद का एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट में नेशनल रीकंसीलिएशन ऑर्डिनेंस (एनआरओ) से जुड़े एक मामले में सुनवाई चल रही थी, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया। इस फैसले के बाद राष्ट्रपति ने कराची की अपनी यात्रा बीच में खत्म कर इस्लामाबाद में कई बैठकों में भाग लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 2009 में एनआरओ को अवैध करार दे दिया था, जिसके बाद से वह सरकार पर दबाव डाल रहा है कि वह जरदारी के खिलाफ लगे कथित धन शोधन के मामले दोबारा खोले। सरकार ने यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया कि राष्ट्रपति को संविधान के तहत मुकदमा चलाए जाने से छूट मिली हुई है। पीपीपी और उसके गठबंधन सहयोगियों के बीच की बैठक के दौरान पीएमएल-क्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन और अवामी नेशनल पार्टी के प्रमुख अस्फंदयार वली खान ने सरकार को परामर्श दिया कि वह ‘भावनात्मक प्रतिक्रिया’ से बचे।
इसके पहले मंगलवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि नामी-गिरामी लोगों से जुड़े भ्रष्टाचार संबंधित मामलों को नहीं खोलने पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पीपीपी के सह-अध्यक्ष जरदारी ने गठबंधन सहयोगियों से कहा कि वह अपने उन्हीं सहयोगियों की मदद से राष्ट्रपति बने हैं और अगर वे चाहते हैं तो वह (जरदारी) पद छोड़ने और नए चुनाव कराने के लिए भी तैयार हैं।
हालांकि बैठक के बाद राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जो वक्तव्य जारी हुआ, उसमें जरदारी के पद छोड़ने के प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं था। वक्तव्य में कहा गया कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बारे में विचार-विमर्श के लिए गुरुवार को संसद का एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट में नेशनल रीकंसीलिएशन ऑर्डिनेंस (एनआरओ) से जुड़े एक मामले में सुनवाई चल रही थी, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया। इस फैसले के बाद राष्ट्रपति ने कराची की अपनी यात्रा बीच में खत्म कर इस्लामाबाद में कई बैठकों में भाग लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 2009 में एनआरओ को अवैध करार दे दिया था, जिसके बाद से वह सरकार पर दबाव डाल रहा है कि वह जरदारी के खिलाफ लगे कथित धन शोधन के मामले दोबारा खोले। सरकार ने यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया कि राष्ट्रपति को संविधान के तहत मुकदमा चलाए जाने से छूट मिली हुई है। पीपीपी और उसके गठबंधन सहयोगियों के बीच की बैठक के दौरान पीएमएल-क्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन और अवामी नेशनल पार्टी के प्रमुख अस्फंदयार वली खान ने सरकार को परामर्श दिया कि वह ‘भावनात्मक प्रतिक्रिया’ से बचे।
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