
- प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी से 17000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले से संबंधित कई घंटे पूछताछ की.
- जांच में यस बैंक द्वारा दिए गए 3000 करोड़ के लोन के कथित दुरुपयोग और 14000 करोड़ के घोटाले की जांच हो रही है.
- अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी है और उनके समूह के अधिकारियों को भी जांच के लिए तलब किया गया है.
रिलायंस समूह (आरएएजीए कंपनियों) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनिल अंबानी से मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में 17,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले को लेकर कई घंटे तक पूछताछ की. इस पूछताछ में ईडी की ओर से अनिल अंबानी से कई सवाल पूछे गए, जिसमें "क्या लोन शेल कंपनियों को भेजे गए थे?, "क्या पैसा राजनीतिक दलों को दिया गया?" और "क्या आपने किसी अधिकारी को रिश्वत दी?" जैसे सवाल शामिल थे. अनिल अंबानी को एक हफ़्ते बाद फिर से पेश होने के लिए कहा गया है.
#WATCH | Delhi: Anil Ambani leaves from the Enforcement Directorate office after around 9 hours of questioning.
— ANI (@ANI) August 5, 2025
He was summoned for questioning as part of ED's ongoing probe into an alleged Rs 17,000-crore loan fraud case. pic.twitter.com/GYy20RwUM8
ईडी ने अनिल अंबानी से उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ करोड़ों के कथित बैंक लोन घोटाले से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में पूछताछ की. जांच टीम पता लगा रही है कि पिछले एक दशक में उनके समूह की कंपनियों द्वारा लिए गए लोन का उपयोग उनके द्वारा तय उद्देश्यों के लिए किया गया था या जानबूझकर उनका दुरुपयोग किया गया था.

रिलायंस समूह से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई
पिछले हफ्ते, प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी पूरी की. जांच टीम ने मुंबई और दिल्ली में कई जगहों से बड़ी संख्या में दस्तावेज, हार्ड ड्राइव और अन्य डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए. ये छापे यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में धन शोधन की जांच के एक हिस्से के रूप में शुरू हुए थे.

ईडी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ मिलकर, धन के दुरुपयोग, लोन धोखाधड़ी और धन शोधन सहित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू की थी.
यस बैंक के प्रमोटर और अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध
ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है. साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है.
शुरुआती जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है. ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था. एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है.

अनिल अंबानी के खिलाफ जारी है ‘लुकआउट सर्कुलर'
ईडी ने बड़े बैंक ‘धोखाधड़ी' मामलों में मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार अंबानी के खिलाफ एक ‘लुकआउट सर्कुलर' (एलओसी) भी जारी किया है. साथ ही, इस जांच के तहत उनके समूह के कुछ अधिकारियों को भी इस सप्ताह पूछताछ के लिए तलब किया गया है.
इसी से जुड़े एक मामले में, ईडी ने हाल में ओडिशा की एक कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) पार्थ सारथी बिस्वाल को अनिल अंबानी समूह की एक कंपनी के लिए 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. सूत्रों ने बताया कि बिस्वाल और अनिल अंबानी को आमने-सामने बिठाकर भी पूछताछ की जा सकती है.

सूत्रों के अनुसार, एजेंसी कमजोर वित्तीय स्थिति वाली संस्थाओं को दिए गए ऋणों, ऋणों के उचित दस्तावेजीकरण और उचित जांच-पड़ताल की कमी, समान पते वाले उधारकर्ताओं और उनकी कंपनियों में समान निदेशकों आदि के कुछ मामलों की भी जांच कर रही है.
जनता के पैसों के गबन की ‘सुनियोजित और सोची-समझी साजिश'
उन्होंने कहा कि धन शोधन का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की कम से कम दो प्राथमिकी और राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ईडी के साथ साझा की गई रिपोर्ट से सामने आया है.

सूत्रों ने कहा कि ये रिपोर्ट संकेत देती हैं कि यह बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर जनता के धन का हेरफेर करने या गबन करने की एक ‘सुनियोजित और सोची-समझी साजिश' थी.
सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर ईडी जिस दूसरे आरोप की जांच कर रही है, उसके अनुसार आर इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में गुप्त धनराशि का हेरफेर किया. आरोप है कि आर इंफ्रा ने शेयरधारकों और ऑडिट समिति से अनुमोदन से बचने के लिए सीएलई को अपनी ‘संबंधित पार्टी' के रूप में नहीं दर्शाया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं