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This Article is From May 11, 2013

गिलानी ने अगवा बेटे का पता लगाने के लिए आईएसआई की मदद मांगी

गिलानी ने अगवा बेटे का पता लगाने के लिए आईएसआई की मदद मांगी
लाहौर: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने पंजाब प्रांत से अगवा किए गए अपने बेटे अली हैदर गिलानी का पता लगाने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद मांगी है। अली हैदर को तलाशने के प्रयासों में अभी कोई सफलता नहीं मिली है।


गिलानी ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, हमारे पास अपहर्ताओं की ओर से अभी कोई फोन नहीं आया है। मैंने आईएसआई से मेरे बेटे का पता लगाने में पुलिस की मदद करने के लिए कहा है। 27-वर्षीय अली हैदर का गुरुवार को मुल्तान से अपहरण कर लिया गया था। मुल्तान को गिलानी परिवार का गढ़ माना जाता है और अली हैदर वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे। बंदूकधारियों ने अली हैदर के निजी सचिव और अंगरक्षक के विरोध करने पर उन्हें गोली मार दी थी।

पंजाब पुलिस के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि इस अपहरण के पीछे पंजाबी तालिबान के एक गुट का हाथ हो सकता है। इस गुट का ठिकाना मुल्तान जिले से 80 किमी दूर मियां चानू में है। यह बात भी सामने आई है कि अली हैदर को प्रतिबंधित संगठनों लश्कर-ए-झांगवी और सिपह-ए-सहाबा से धमकियां मिली थीं। अब तक किसी भी गुट ने अली हैदर गिलानी के अपहरण का जिम्मा नहीं लिया है।

गिलानी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' को बताया कि अली हैदर को लश्कर-ए-झांगवी और सिपह-ए-सहबा की ओर से अपहरण करने तथा जान से मार डालने की धमकियां मिल रही थीं। पुलिस ने मुल्तान में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों का दावा है कि इनमें से दो व्यक्तियों ने अपहरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

संदिग्धों से पूछताछ के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन ‘ट्रिब्यून’ में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अली हैदर को अपहरणकर्ता कबीरवाला ले गए हैं, जो कि लश्कर-ए-झांगवी का गढ़ माना जाता है। प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने गिलानी के अपहरण पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

तालिबान के प्रवक्ता एहसानुल्ला एहसन ने कहा, मैं (इस घटना पर) कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हम नहीं जानते कि उनका अपहरण किसने किया, क्यों किया और कैसे किया। पंजाबी तालिबान में कई सदस्य लश्कर-ए-झांगवी के हैं और उसके अल कायदा से भी संबंध हैं।

कई बड़े आतंकवादी हमलों के पीछे लश्कर-ए-झांगवी का हाथ बताया जाता है। इन हमलों में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर लाहौर में हमला और इस साल के शुरू में क्वेटा में किए गए दो भीषण बम हमले शामिल हैं, जिनमें करीब 200 लोग मारे गए थे। इन 200 लोगों में से ज्यादातर हाजरा शिया थे।

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