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पाकिस्तान की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे, IMF के पैकेज का दूसरी जगह हो रहा इस्तेमाल

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार बदहाली के दौर से गुजर रही है. इसका सबसे बड़ा खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं. IMF के कर्ज पर निर्भर का भी पाकिस्तान में दूसरे कामों में इस्तेमाल हो रहा है.

पाकिस्तान की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे, IMF के पैकेज का दूसरी जगह हो रहा इस्तेमाल
पाकिस्तान में गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है.
  • पाकिस्तान की लगभग 44.7 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, जो गंभीर आर्थिक संकट दर्शाता है.
  • पाकिस्तान के रक्षा व्यय में 20 % की वृद्धि हुई जबकि अन्य सामाजिक क्षेत्रों में खर्च में 7 प्रतिशत कटौती की गई.
  • पाकिस्तान IMF के सात अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के पांच लक्ष्यों में से तीन को पूरा करने में असफल रहा है.
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Pakistan Poverty: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार पटरी से उतरी जा रही है. आलम यह है कि पाकिस्तान की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है. इस स्थिति के बाद भी पाकिस्तान अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिल रहे भारी भरकम कर्ज का इस्तेमाल कहीं और ही कर रहा है. जिससे लोगों का जीवन सुधरने के बदले और बिगड़ता जा रहा है. दरअसल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर सैन्य जनरलों की बढ़ती पकड़ के कारण, देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के बीच संसाधनों का इस्तेमाल मुख्य रूप से रक्षा खर्च के लिए किया जा रहा है. चालू वित्त वर्ष के बजट में रक्षा व्यय में 20 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि की गई है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार बढ़ाने वाली आर्थिक विकास योजनाओं जैसे अन्य क्षेत्रों में कुल खर्च में 7 प्रतिशत की कटौती की गई है.

संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था IMF के कर्ज पर निर्भर है, फिर भी ऐसा लगता है कि सेना टैंक और हवाई जहाज जैसे हथियारों पर खर्च करने से नहीं बच रही है.

कर्ज के बाद भी IMF के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान आईएमएफ के 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी समीक्षा के लिए तय पांच लक्ष्यों में से तीन को पूरा करने में नाकाम रहा है. इससे भारत का यह दावा सही साबित हुआ कि इस्लामाबाद लंबे समय से कर्ज में डूबा हुआ है और आईएमएफ के नियमों को ठीक से लागू करने और पालन करने का उसका रिकॉर्ड बहुत खराब है.

आर्थिक मामलों में पाकिस्तानी सेना की गहरी हिस्सेदारी नीतिगत गलतियां और सुधारों के रुकने का बड़ा खतरा पैदा करती है. भले ही फिलहाल नागरिक सरकार सत्ता में हो, फिर भी सेना घरेलू राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अर्थव्यवस्था में अपनी पकड़ बनाए रखती है.

वास्तव में, 2021 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य से जुड़े व्यवसाय पाकिस्तान में सबसे बड़े समूह हैं. स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. बल्कि, पाकिस्तानी सेना अब पाकिस्तान की विशेष निवेश सुविधा परिषद में प्रमुख भूमिका निभा रही है. पाकिस्तान एक नाजुक मोड़ पर है.

पाकिस्तान में 44.7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे

पाकिस्तान के अखबार 'ऑब्जर्वर' के एक लेख के अनुसार, गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या दबाव और असमानता मिलकर एक गंभीर संकट पैदा कर रहे हैं, जिसका असर बहुत दूर तक जाएगा. यहां 44.7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करते हैं. हाल के वर्षों में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय स्थिर हो गई है और कभी-कभी कम भी हुई है, जो बढ़ती आर्थिक समस्याओं को दिखाती है.

प्रति व्यक्ति आय में भी 11.38 प्रतिशत की गिरावट

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-2023 में देश की प्रति व्यक्ति आय में 11.38 प्रतिशत की गिरावट आई. यह 2022 में 1,766 डॉलर से घटकर 2023 में 1,568 डॉलर रह गई. इस दौरान पूरी अर्थव्यवस्था भी सिकुड़ी, जो 33.4 अरब डॉलर घटकर 375 अरब डॉलर से 341.6 अरब डॉलर हो गई.

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