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महमूद अहमदीनेजाद क्या फिर बनेंगे ईरान के राष्ट्रपति? खामेनेई से हो गया था विवाद, जानें क्यों

Mahmoud Ahmadinejad Disputes : ईरान के राष्ट्रपति ब्राहिम रईसी की एक हेलीकॉप्टर हादसे में पिछले महीने मौत हो गई. इसके बाद ईरान में चुनाव कराए जा रहे हैं और यह चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है.

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महमूद अहमदीनेजाद क्या फिर बनेंगे ईरान के राष्ट्रपति? खामेनेई से हो गया था विवाद, जानें क्यों
Mahmoud Ahmadinejad Nomination : महमूद अहमदीनेजाद ने चुनाव के लिए नामांकन कर दिया है.

Mahmoud Ahmadinejad Disputes : 12 वर्षों के बाद ईरान (Iran) के कट्टरपंथी पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद (Mahmoud Ahmadinejad) ने देश में 28 जून को होने वाले चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया है. हालांकि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका भी जा सकता है. देश के मौलवियों के नेतृत्व वाली गार्डियन काउंसिल उम्मीदवारों की जांच करेगी और योग्य लोगों की सूची 11 जून को प्रकाशित करेगी. पिछले महीने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) की मौत के बाद ईरान में चुनाव कराए जा रहे हैं. 

AFP के अनुसार, ईरान के एलीट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व सदस्य अहमदीनेजाद को पहली बार 2005 में ईरान के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था और 2013 में ईरान के कानून के मुताबिक लगातार राष्ट्रपति पद पर पर रहने की सीमा के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया था.

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गार्डियन काउंसिल ने उन्हें 2017 के चुनाव में भी खड़े होने से रोक दिया था. इससे एक साल पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने महमूद अहमदीनेजाद को चेतावनी दी थी कि चुनाव लड़ना न तो उनके खुद के हित में हैं और न ही देश के हित में. अहमदीनेजाद ने अपने शासनकाल में ईरान के हर फैसले में अंतिम अधिकार वाली खामेनेई की ताकत पर नियंत्रण की वकालत की थी. इसके बाद दोनों के बीच दरार पैदा हो गई थी और इसी कारण खामेनेई ने अहमदीनेजाद को 2017 का चुनाव लड़ने से रोक दिया. 2018 में खामेनेई पर ईरान में सबसे बड़ी और दुर्लभ आलोचना करते हुए अहमदीनेजाद ने उनसे स्वतंत्र चुनाव का आह्वान करते हुए पत्र लिखा था.

खामेनेई ने 2009 में अहमदीनेजाद के दोबारा चुनाव जीतने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू होने पर उनका समर्थन किया था. इन विरोध प्रदर्शनों में दर्जनों लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले की ईरान में सत्तारूढ़ धार्मिक ताकतों को इन विरोध प्रदर्शनों से खतरा पैदा होता, एलीट रिवोल्यूशनरी गार्डस कॉर्प्स (आईआरजीसी) के नेतृत्व में सुरक्षा बलों ने अशांति पर काबू पा लिया था.

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