अमरीका(US) के खुफिया दस्तावेज़ों (Secret Documents) को सार्वजनिक करने वाले विकीलीक्स (WikiLeaks) के फाउंडर जूलियन असांज (Julian Assange) को सोमवार को बड़ी राहत मिली है. ब्रिटेन (UK) की एक अदालत से जूलियन असांज को अब अमरीका को प्रत्यर्पित (US Extradition) किए जाने के खिलाफ अपील (Appeal) करने की मंजूरी मिल गई है. अमरीका चाहता है कि 50 साल के ऑस्ट्रेलियाई संपादक जूलियन असांज को ईराक़ (Iraq) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के युद्ध (War) से जुडे़ पांच लाख खुफिया दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने के मामले में अमरीका को सौंप दिया जाए.
लंदन के उच्च न्यायालय (London High Court) ने दिसंबर में निचली अदालत के दिए उस फैसले को पलट दिया था जिसमें अदालत ने आदेश दिया था कि उन्हें अमरीका को प्रत्यर्पित ना किया जाए. निचली अदालत ने जूलियन असांज के आत्महत्या के खतरे को देखते हुए यह फैसला सुनाया था. लेकिन अब उच्च न्यायलय ने असांज को सुप्रीम कोर्ट में अपील की मंजूरी दे दी है.
जूलियन असांज के वकीलों ने उच्च न्यायालय के फैसले को यह कहते हुए चुनौती थी कि देश की सर्वोच्च अदालत को आम जनता के हित को देखते हुए फैसला लेना चाहिए.
जज इयान बर्नेट और टिमोथी हॉलरोडी ने अपने लिखित आदेश में कानून के इस बिंदु को देखते हुए जूलियन असांज के वकील की याचिका स्वीकार कर ली.
जूलियन की मंगेतर और उनके दो बच्चों की मां स्टेला मॉरिस ने ट्विटर पर लिखा, "जूलियन की जीत हुई है."
Julian won.
— Stella Moris #FreeAssangeNOW (@StellaMoris1) January 24, 2022
It is now for the Supreme Court to decide whether it will hear Julian's appeal.
उन्होंने आगे लिखा, "यह अब सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर है कि वो जूलियन असांज की अपील को सुनता है या नहीं."
सेंट्रल लंदन में रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस के बाहर जूलियन असांज के मामले का फैसला जानने के लिए जुड़ी भीड़ ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया. विकीलीक्स ने ब्रिटिश अदालत में जूलियन असांज की जीत वाली एप्लीकेशन को ट्विटर पर साझा किया है.
Full text of Julian Assange's winning application for leave to appeal to the UK Supreme court
— WikiLeaks (@wikileaks) January 24, 2022
Link: https://t.co/2VadPs2I0g
For further details see: https://t.co/BSn8ZV1tRG pic.twitter.com/iB3DaUgdC7
सेंट्रल इंग्लैंड के 61 साल के सू बर्नेट कहते हैं, " अदालत के शब्दों से मुझे राहत मिली है." उनके हाथ में लगी तख्ती पर लिखा था, " दस साल बहुत होते हैं. अब असांज को आज़ाद किया जाए."
असांज के वकीलों ने अमरीका के उस आश्वासन को चुनौती दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि जूलियन असांज को केंद्रीय कारागार में अकेले नहीं रखा जाएगा और उन्हें उचित देखभाल दी जाएगी.
जूलियन असांज के समर्थकों का कहना है कि साउथईस्ट लंदन की उच्च सुरक्षा वाली एक अदालत में लंबे समय से रिमांड पर रहने के कारण उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है.
जूलियन असांज के भागने के डर को देखते हुए उन्हें सलाखों के पीछे रखा गया है. पिछली बार स्वीडन में दो महिलाओं द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाए जाने के बाद जूलियन ने 2012 में बेल के नियमों का उल्लंघन किया था. जूलियन असांज ने लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में 7 साल बिताए हैं.
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