विज्ञापन
This Article is From Feb 04, 2022

Taiwan ने China के कारण Olympic खेलों में कैसे खो दी अपनी पहचान? नाम, झंडे और राष्ट्रगीत को भी नहीं मिलता स्थान

ताइवान (Taiwan) को ओलिपिंक (Olympic) समारोह आयोजित कर रहे देशों में कई नामों से पुकारा जाता रहा है. इन दिनों ताइवान के खिलाड़ियों के स्वागत में इन्हें "चाइनीज़ ताइपे" का खिलाड़ी बताया जाता है और यह कई ताइवानियों को बहुत अखरता है. 

Taiwan ने China के कारण Olympic खेलों में कैसे खो दी अपनी पहचान? नाम, झंडे और राष्ट्रगीत को भी नहीं मिलता स्थान
Taiwan जब Olympics खेलों में शामिल होता है तो उसका नाम नहीं लिया जाता
ताइपे, ताइवान:

चीन (China) के बीजिंग (Beijing) में अगले हफ्ते होने जा रहे विंटर ओलिंपिक (Winter Olympic) खेलों में ताइवान (Taiwan) के चार एथलीट भाग लेंगे, लेकिन उन्हें ताइवान (Taiwan) का खिलाड़ी नहीं बताया जाएगा. अधिकतर बड़े खेल समारोहों में ताइवान के खिलाड़ियों के स्वागत में इन्हें "चाइनीज़ ताइपे" का खिलाड़ी बताया जाता है और यह कई ताइवानियों को बहुत अखरता है. ताइवान को ओलिपिंक समारोह आयोजित कर रहे देशों में कई नामों से पुकारा जाता रहा है और इसका कारण ताइवान की अंतरर्राष्ट्रीय स्तिथी है.  23 मिलियन लोगों का एक स्वशासित लोकतंत्र होने के बावजूद और अपनी सीमाओं के बावजूद, अपनी मुद्रा और सरकार के होने के बावजूद, ताइवान को कई देशों ने कूटनीतिक मान्यता नहीं दी है.  

यह भी पढ़ें:- ताइवान के रक्षा क्षेत्र में घुसा चीनी सैन्य विमान, पिछले कुछ दिनों से जारी है चीन की घुसपैठ

चीन में 1949 में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद राष्ट्रवादी और रिपब्लिक ऑफ चीन की सरकार ताइवान भाग गई थी. माओ के कम्युनिस्ट बलों ने मुख्यभूमि पर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ( People's Republic of China) की स्थापना की थी. बीजिंग का कम्युनिस्ट नेतृत्व कभी ताइपे (ताइवान) को नियंत्रण में नहीं ले सका, लेकिन अभी भी वो ताइवान को "एक चीन" का हिस्सा मानता है और एक दिन उसे अपने कब्जे में लेने की कसमें खाता है, चाहें वो बलपूर्वक ही क्यों ना हो. चीन दुनिया के मंच पर ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिशें करता है और ताइवान शब्द के प्रयोग पर उछल जाता है.


"चाइनीज़ ताइपे" नाम क्यों?

1981 में इंटरनेशनल ओलिंपिक कमिटी के साथ ताइपे इसी नाम पर सहमत हुआ था. इस समझौते से ताइवान को बिना खुद को इस संप्रभु देश बताए खेल में शामिल होने की मंजूरी मिली. ताइवान के लाल और नीले झंडे की बजाए, ताइवान के एथलीट्स ने "प्लम ब्लॉसम बैनर" ( "Plum Blossom Banner") के झंडे तले प्रतियोगिता में भागीदारी की. " प्लम ब्लॉसम बैनर" एक सफेद झंडा है जिसमपर ओलिंपक के छल्ले बने होते हैं. 

जब ताइवान का कोई खिलाड़ी जीत कर पोडियम पर खड़ा होता है तब ताइवान की राष्ट्रीय धुन नहीं बजाई जाती बल्कि एक पारंपरिक झंडारोहण गीत बजाया जाता है. आलोचकों का कहना है कि यह अपमानजनक है. दूसरी विवादित और अमान्य जगह, जैसे फलिस्तीन को भी अपना नाम और झंडा प्रयोग करने की इजाज़त है.   

इससे पहले के नाम क्या हैं?

चीन का गृहयुद्ध ख़त्म होने के बाद 1952 में चीन और ताइवान, दोनों ही को ओलिंपक में निमंत्रित किया गया था. लेकिन दोनों ही सरकारों ने दावा किया था कि वही असली चीन का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन आखिर में ताइवान को नहीं पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को चीन नाम की मान्यता दी गई. 

चार साल बाद ताइवान ने ओलिंपिक में "फोरमोसा-चाइना"("Formosa-China") नाम से शिरकत की. यह नाम इस द्वीप को 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली नाविकों ने दिया था. 

बीजींग ने इन खेलों का बहिष्कार किया था और दो साल बाद IOC भी छोड़ दी थी. 1960 के खेलों में ताइवान ने आखिरकार IOC के कहने पर ताइवान नाम से ही खेलों में भाग लिया.  लेकिन ताइवान की उस समय की सत्तावादी सरकार ने इस नाम पर आपत्ति की. वो रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC )नाम चाहते थे. ताइवान ने 1960 के दशक में दो और ओलिंपिक खेलों में इसी नाम से शिरकत की. 1970 के दशक तक ताइवान से अधिक देशों ने चीन को मान्यता देनी शुरू कर दी थी.  ताइवान  1972 में ओलिंपक खेलों में आखिरी बार ROC के नाम से शामिल हुआ. ताइवान ने 1976 के ओलिंपिक खेलों का बहिष्कार कर दिया था. क्योंकि मेजबान देश कनाडा ने मांग की थी कि वो ताइवान नाम से खेलों में शामिल हो ना कि रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) नाम से. ताइवान 1979 के खेलों से निलंबित कर दिया गया क्योंकि  IOC ने बीजिंग को चीन का प्रतिनिधि मान लिया था.  दो साल बाद, ताइवान को फिर से ओलिंपिक खेलों में शामिल होने की अनुमति दी गई, लेकिन केवल इस शर्त पर कि ताइवान "चाइनीज ताइपे" नाम से शामिल होगा और तब से यही नाम प्रयोग हो रहा है.

"ताइवान" नाम क्यों प्रचलित हुआ?

एक बार फिर से खेलों में ताइवान नाम का प्रयोग करने की मांग बढ़ती जा रही है. 1990 के दशक से ही ताइवान तानाशाही से एशिया के सबसे प्रगतिशील लोकतंत्र में बदल गया है. अलग ताइवानी पहचान उभर कर आई है. खास कर युवा पीढ़ी में.  2018 में इस बात को लेकर एक जनमत संग्रह हुआ था कि क्या चाइनीज़ ताइपे ( "Chinese Taipei") नाम को बदल देना चाहिए. इस पर बीजिंग और  IOC दोनों ने चेतावनी दी थी. 

यह जनमत पास नहीं हो पाया क्योंकि यहां के टॉप एथलीट्स ने मतदान का विरोध किया, उन्हें डर था कि वो बड़े खेल समारोहों में शामिल नहीं हो पाएंगे. 

राष्ट्रपति त्साइ इंग वेन (  Tsai Ing-wen) 2020 के चुनाव में बड़े अंतर से जीतीं. वो ताइवान को एक डीफैक्टो संप्रभु देश ( de facto sovereign nation) की तरह देखती हैं और उन्होंने ताइवान के नाम के प्रयोग को बढ़ावा दिया है. 

इन खेलों के बारे में क्या?

पिछले कुछ सालों में ताइवान और चीन के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. विवाद आता देख पिछले दिनों हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में  चीनी सरकार के प्रवक्ता ने पिछले हफ्ते ताइवान को "Zhonghua Taipei" "चीनी ताइपे" की जगह   झुंगो ताइपो ("Zhongguo Taipei") बुलाया ...मैंड्रिन भाषा में इसका अर्थ चीन, ताइपे होता है.  

भाषा के इस तरह के प्रयोग के चीन के दावे की ओर इशारा गया और एक बार फिर ताइवान की ओर से इसकी निंदा हुई. एक ताइवानी प्रवक्ता ने कहा कि चीन इस द्वीप को छोटा करके दिखाने की कोशिश कर रहा है. 
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
42 हजार लोगों की मौत, लाखों लोग बेघर... हमास का हमला और इजरायल ने तबाह किया गाजा, 1 साल से जारी है जंग
Taiwan ने China के कारण Olympic खेलों में कैसे खो दी अपनी पहचान? नाम, झंडे और राष्ट्रगीत को भी नहीं मिलता स्थान
कैमरा लो और निकलो... Al Jazeera के दफ्तर को इजरायल ने किया सीज
Next Article
कैमरा लो और निकलो... Al Jazeera के दफ्तर को इजरायल ने किया सीज
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com