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This Article is From Sep 19, 2023

क्यों खालिस्तानी आतंकियों का सपोर्ट करता है कनाडा, आखिर क्या है जस्टिन ट्रूडो की मजबूरी?

जस्टिन ट्रूडो की 'लिबरल पार्टी' के महज 158 सांसद हैं, जबकि 338 सीट वाली कनाडा की संसद में बहुमत के लिए 170 सांसदों की ज़रुरत होती है. ट्रूडो को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन हासिल है, जिसके 24 सांसद हैं. इस पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह हैं, जो कट्टर खालिस्तानी अलगाववादी नेता हैं.

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है.

नई दिल्ली:

भारत और कनाडा दोस्त देश माने जाते हैं. दोनों के मज़बूत व्यापारिक संबंध (Indo-Canada Relation) रहे हैं. भारत और कनाडा के बीच 2022 में 8.2 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जो 2021 के मुकाबले 25 फ़ीसदी ज़्यादा है. कनाडा में पढ़ रहे भारतीय छात्रों (Indian Students in Canada) की तादाद करीब सवा 3 लाख है. ऐसे में सवाल है कि भारत के साथ मजबूत संबंध होते हुए भी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने अपनी संसद में भारत के खिलाफ ऐसे तेवर क्यों दिखाए? इसका जवाब है- कनाडा की अंदरूनी राजनीति.    

जस्टिन ट्रूडो की 'लिबरल पार्टी' के महज 158 सांसद हैं, जबकि 338 सीट वाली कनाडा की संसद में बहुमत के लिए 170 सांसदों की ज़रुरत होती है. ट्रूडो को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन हासिल है, जिसके 24 सांसद हैं. इस पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह हैं, जो कट्टर खालिस्तानी अलगाववादी नेता हैं. इनका समर्थन ट्रूडो की सरकार के लिए ज़रूरी है. ट्रूडो इनको नाराज़ करने का जोखिम ले नहीं सकते, वरना उनकी सरकार गिर जाएगी.

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चुनाव नतीजों ने ट्रूडो को कर दिया खालिस्तानी अलगाववादी नेता पर निर्भर
ज़ाहिर सी बात है कि 2019 और फिर 2021 के चुनाव नतीजों ने ट्रूडो को खालिस्तानी अलगाववादी नेता और उनकी पार्टी के ऊपर निर्भर कर दिया. ट्रूडो और जगमीत सिंह के बीच हुआ 'कॉन्फिडेंस एंड सप्लाई' समझौता 2025 तक चलेगा. अगर जगमीत नाराज़ हुए, तो समझिए ट्रूडो की सरकार गई.

चुनाव में चीन के दखल के शक पर विपक्ष ने की थी जांच
कनाडा के चुनाव में चीन के दखल के शक पर जब विपक्ष ने जांच की मांग की, तो जगमीत ट्रूडो के साथ मज़बूती से खड़े हुए. दूसरी तरफ ट्रूडो का साथ पाकर जगमीत सिंह ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वे खालिस्तानी गतिविधियों को जमकर हवा दे रहे हैं.

सिख समुदाय को साधने की कोशिश करते रहे हैं ट्रूडो
कनाडा में करीब पौने 8 लाख सिख रहते हैं, जो वहां की आबादी का करीब 2 फीसदी है. ये कनाडा में प्रभावशाली समुदाय हैं.  कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में भारतीय मूल के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं. उसके बाद ओंटारियो में 1 लाख 80 हजार भारतीय यहां पर रहते हैं. जगमीत सिंह के भाई गुरुरतन सिंह भी एक प्रभावी नेता हैं. सिख समुदाय को साधने के लिए ही ट्रूडो दावा कर चुके हैं कि उन्होंने सबसे अधिक सिखों को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है.

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2021 के चुनाव में ट्रूडो को मिली 158 सीटें 
2015 में ट्रूडो कंजरवेटिव पार्टी को हरा कर सत्ता में आए, तब उनको 184 सीट मिली, लेकिन महंगाई आदि के कारण उनकी लोकप्रियता गिरती चली गई. 2019 में भी वे पूर्ण बहुमत से साथ नहीं आ पाए. ट्रूडो को सिर्फ 157 सीटें मिलीं. ट्रूडो ने बहुमत पाने की आस में 2021 में फिर चुनाव करा दिए, लेकिन 158 सीट ही जीत पाए. 

हाल में किए गए एक सर्व के मुताबिक, कनाडा में 57 फ़ीसदी लोग चाहते हैं कि जस्टिन ट्रूडो सत्ता छोड़ दें. ट्रूडो इसके दबाव में हैं. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थकों ने जिस तरह कनाडा में तैनात भारतीय राजनयिकों को धमकाना शुरू किया, भारत को वह नागवार गुजरा.

भारत की लगातार मांग के बाद भी कनाडा ने नहीं की कार्रवाई
भारत की लगातार मांग के बाद भी ट्रूडो ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्योंकि उनके सामने पहले सरकार बचाने की मजबूरी है. और अब वे उसी भाषा में बात कर रहे हैं, जिस भाषा का इस्तेमाल खालिस्तानी अलगाववादियों ने भारत की एजेंसियों पर आरोप लगाते हुए किया था.


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