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This Article is From Jun 28, 2011

अमेरिका की मानव तस्करी की वॉच लिस्ट से हटा भारत

वाशिंगटन: छह साल के अंतराल के बाद, अमेरिका ने भारत को मानव तस्करी की निगरानी सूची (वॉच लिस्ट) से बाहर कर दिया है। भारत को मानव तस्करी से निपटने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास करने के कारण इस सूची से हटाया गया है। अपनी वार्षिक ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय ने भारत को छह साल तक निगरानी सूची में रखने के बाद टियर 2 देशों में शामिल कर दिया है। निगरानी सूची में ऐसे देशों को शामिल किया जाता है, जहां मानव तस्करी के शिकार लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, यह संख्या लगातार बढ़ती जाती है और ये देश इससे निपटने के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों के सबूत नहीं दे रहे होते । टियर 2 में ऐसे देश शामिल होते हैं, जहां की सरकारें हालांकि ट्रैफिकिंग विक्टिम्स प्रोटेक्शन एक्ट(टीवीपीए) के न्यूनतम मानकों को पूरी तरह नहीं मान रही होतीं, लेकिन वे देश इस संबंध में उल्लेखनीय प्रयास करते हैं। भारत के स्तर को बढ़ाने के पीछे अपने कारण बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा है, भारत सरकार हालांकि तस्करी की समस्या मिटाने के लिए न्यूनतम मानकों का पूरी तरह पालन नहीं कर रही है, लेकिन वह इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयास कर रही है। इस रिपोर्ट में 184 देशों की स्थितियों का विश्लेषण कर मानव तस्करी से निपटने के उनके प्रयासों के आधार पर उन्हें विभिन्न स्तरों पर रखा गया है। इस सूची में 23 देशों की पहचान ऐसे देशों के तौर पर की गई है, जो इस समस्या से निपटने में न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय मानकों का भी पालन नहीं कर रहे हैं । 2010 में ऐसे देशों की संख्या 13 थी । अन्य 41 देशों को निगरानी सूची में रखा गया है, जो अगर अपना रिकॉर्ड नहीं सुधारते, तो उन पर प्रतिबंध लग सकते हैं। विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, सभी देशों को इससे निपटने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। इस समय जितने लोगों का शोषण हो रहा है, उतना इसके पहले कभी नहीं हुआ। विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में कहा है, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कांप्रिहेन्सिव स्कीम फॉर स्ट्रैंथनिंग लॉ एनफोर्समेंट रेस्पांस इन इंडिया शुरू की है, जो बंधुआ मजदूरी समेत तस्करी के हर रूपों के मामले में कानून नियमन में सुधार के लिए है। इसके अलावा कम से कम 87 नई एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स भी बनाई गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 2000 के यूएनटीआईपी प्रोटोकॉल का अनुमोदन भी किया है। सरकार ने बंधुआ मजदूरी कराने के आरोप में कई आरोपियों को पांच से 14 साल की कैद की सजा दी है और बंधुआ मजदूरों के बचाव और पुनर्वास के प्रयास भी किए हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं और बच्चियों की तस्करी वेश्यावृत्ति के लिए की जाती है । धार्मिक शहर और पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय शहर बाल यौन शोषण के प्रति सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, भारतीय नागरिक अपने देश में और विदेशों में भी बाल यौन शोषण में शामिल हैं। कई बड़े शहरों में यौन शोषण के लिए तस्करी रेड लाइट क्षेत्रों से सड़क किनारे बने होटलों और निजी अपार्टमेंट्स तक पहुंच गई है। नेपाल और बांग्लादेश की महिलाओं की भी भारत में तस्करी हो रही है। माओवादी सशस्त्र गुट भी बच्चों को अपने गुटों में शामिल कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने श्रीलंका और फिजी को भी निगरानी सूची से बाहर कर दिया है। काली सूची में क्यूबा, ईरान, म्यामां, उत्तरी कोरिया, सूडान, इरीट्रिया, लीबिया, जिम्बाब्वे, कुवैत और सउदी अरब को डाला गया है।

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