मालदीव ने कहा है कि उसे इस बात से दुख पहुंचा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल की अपनी यात्रा के दौरान उसके यहां नहीं पहुंचे और उसने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की कैद को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की।
आतंकवाद निरोधक कानून के तहत नशीद को दोषी ठहराए जाने और उन्हें 13 साल की कैद की सजा सुनाए जाने पर भारत समेत समूची दुनिया द्वारा चिंता जताए जाने पर उसने कहा, 'यह पूरी तरह कानून के मुताबिक है और पूरी तरह से एक घरेलू मुद्दा है।' मालदीव की विदेश उपमंत्री फतीमात इनाया ने कहा, 'हम भारत की चिंता समझते हैं। अगर आपके पड़ोस में कुछ होता है, खासकर मोदी द्वारा पड़ोस को प्राथमिकता दिए जाने के संदर्भ में, तो उसको लेकर चिंता होना स्वभाविक है।'
फतीमात इनाया ने अपने राष्ट्रपति यमीन अब्दुल्ल गयूम के इस बयान को दोहराया कि मालदीव अपने यहां लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों को मजबूत बनाने के लिए परस्पर सम्मान और संवाद के आधार पर अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सकारात्मक संबंध रखना चाहता है जिसका तात्पर्य है उसे इस मामले में कोई हस्तक्षेप पसंद नहीं होगा।
इस क्षेत्र की अपनी हाल की यात्रा के दौरान मोदी के मालदीव नहीं जाने पर इनाया ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी की संभावित यात्रा को लेकर हमारी भारतीय पक्ष के साथ गहन बातचीत हुई थी, लेकिन हमें बताया गया कि उनकी यात्रा के लिए माहौल अनुकूल नहीं है।' उन्होंने कहा, 'हमें इस बात की तकलीफ है कि प्रधानमंत्री इस बार हमारे यहां नहीं गए।' (नशीद मामले में) उन्होंने कहा, 'किसी देश ने हस्तक्षेप नहीं किया। हमारी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह न्यायिक प्रक्रिया है, अतएव हमें ऐसा कुछ नजर नहीं आता कि कोई देश मालदीव में पूरी तरह घरेलू मामले में हस्तक्षेप करने आएगा।'
भारत के अलावा अमेरिका, यूरोपीय संघ, कई मानवाधिकार संगठनों ने मालदीव में न्यायिक प्रक्रिया और नशीद को सजा सुनाए जाने को लेकर चिंता जतायी थी। वर्ष 2012 में आपराधिक न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश को सैन्य हिरासत में रखने को लेकर आतंकवाद के आरोप में 47 वर्षीय नशीद को 22 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। पिछले सप्ताह आपराधिक न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराया और 13 साल की कैद की सजा सुनायी। ऐसे में नशीद 2018 में राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
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