विशेष जरूरतों वाले लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अकेले दुनिया की सैर पर निकलीं ईरान की 22 वर्षीय दृष्टि दिव्यांग महिला ने हाल में पाकिस्तान से वाघा सीमा के जरिए भारत में प्रवेश किया. अब वह कश्मीर की ओर बढ़ रही हैं.
दिसंबर 2021 में आर्मेनिया से अपनी यात्रा शुरू करने वाली दरिया ने कहा कि वह दुनिया को यह साबित करना और दिखाना चाहती हैं कि किसी के सपनों को पूरा करने में दिव्यांगता कोई बाधा नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि दिव्यांग होना एक विशेष क्षमता है, ईश्वर का एक उपहार है, और दुनिया को हमारी विशेष क्षमता का पता लगना चाहिए ताकि हम इस दुनिया की बेहतरी के लिए अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कर सकें.''
दरिया का असली नाम मुनीरा सआदत हुसैन है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं विश्व अक्षमता दिवस पर एक कार्यक्रम सुन रही थी, उसी वक्त मेरे दिमाग यह विचार आया कि विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिये कुछ करना चाहिये, मैने अपना बैग तैया किया. अपने फैसले से मैने माता-पिता को हैरान कर दिया. मैंने अपनी यात्रा अर्मेनिया से शुरू की जहां मैंने तीने महीने बिताये.''
उन्हें उम्मीद है कि उनकी यह यात्रा दूसरे दिव्यांगों को प्रेरित करेगी. वह अपने सपने को साकार करने की दिशा में प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि सबके लिये उनका संदेश है कि ‘‘मानवता और दयालुता को भी नहीं बिसारें.''
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