
अमेरिका ने आखिरकार यूक्रेन के साथ एक क्रिटिकल मिनरल डील पर हस्ताक्षर US-Ukraine Critical Minerals Deal) कर लिया है. दोनों देशों के बीच यूक्रेन के खनिजों और रेयर अर्थ मेटल्स की भविष्य की बिक्री से होने वाली राजस्व की कमाई को आपस में बांटने के लिए यह समझौता किया गया है. इस डील पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले 2 महीनों से जोर दे रहे थे और उनका यह दावा है कि प्राकृतिक संसाधनों को शेयर करने पर एक समझौते पर मुहर लगाने से अमेरिका को आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा, इससे वह रूस के साथ भविष्य के शांति समझौते के बाद यूक्रेन की रक्षा कर पाएगा और उसके पुनर्निर्माण में निवेश जारी रख पाएगा.
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी (वित्त मंत्री) स्कॉट बेसेंट और यूक्रेन की प्रथम उप प्रधान मंत्री यूलिया स्विरिडेंको ने इस डील पर साइन किया है, जिसका आधिकारिक नाम प्राकृतिक संसाधन समझौते (नेचुरल रिसोर्स डील) है.
On April 30, the United States and Ukraine signed an agreement to establish the United States-Ukraine Reconstruction Investment Fund.
— Treasury Department (@USTreasury) April 30, 2025
This historic economic partnership clearly signals the Trump Administration's commitment to a free, sovereign, and prosperous Ukraine. pic.twitter.com/cKUACUhet9
Q- डील में क्या है?
इस डील के अनुसार यूक्रेन के अंदर खनिजों की खोजने के लिए अमेरिका और यूक्रेन मिलकर एक इंवेस्टमेंट फंड बनाएंगे. इसके साथ ही यह तय किया जाएगा कि उन खनिजों से होने वाली कमाई को दोनों देशों के बीच कैसे बांटा जाएगा.
फेसबुक पर एक पोस्ट में, यूक्रेन की पहली उप प्रधान मंत्री यूलिया स्विरिडेंको ने फंड के बारे में अधिक जानकारी दी. इसके बारे में उन्होंने कहा कि यह "वैश्विक निवेश को आकर्षित करेगा". उन्होंने पुष्टि की कि यूक्रेन "अपने क्षेत्र और क्षेत्रीय जल में यूक्रेन के स्वामित्व वाले संसाधनों" का पूर्ण स्वामित्व बरकरार रखेगा.. यूक्रेनी ही यह निर्धारित करेगा कि कहां और क्या निकालना है."
Q- अमेरिका ने डील के बारे में क्या कहा है?
एक बयान में, अमेरिका ने कहा कि यह समझौता "रूस को संकेत" देता है कि ट्रंप प्रशासन "एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध" यूक्रेन पर केंद्रित शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है.
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी (वित्त मंत्री) स्कॉट बेसेंट ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन में स्थायी शांति और समृद्धि के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अमेरिकी लोगों और यूक्रेनी लोगों के बीच इस साझेदारी की कल्पना की थी.. और स्पष्ट रूप से, रूसी युद्ध मशीन को फंडिंग करने या उसे सप्लाई देने वाले किसी भी देश या व्यक्ति को यूक्रेन के पुनर्निर्माण से लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी."
Q- क्रिटिकल मिनरल क्या हैं?
क्रिटिकल मिनरल या दुर्लभ खनिज दरअसल ऐसी धातुएं और अन्य कच्चे माल हैं जो हाई-टेक उत्पादों के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं. खास तौर से ग्रीन इनर्जी को अपनाने से जुड़े उत्पादों के साथ-साथ आम जीवन में काम आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के उत्पादन में ये काम आते हैं. यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बुनियादी ढांचे को बनाना हो या हाई टेक हथियारों का उत्पादन करना हो, हर जगह इसकी जरूरत पड़ती है.
अगर प्योर साइंस के लिहाज से देखें तो क्रिटिकल मिनरल या दुर्लभ खनिज 17 धातुओं का एक समूह है, जिनमें से अधिकांश भारी (हेवी मेटल्स) हैं, जो वास्तव में दुनिया भर में पृथ्वी की परत में प्रचुर मात्रा में हैं. इनमें से कुछ के नाम हैं डिस्प्रोसियम, नियोडिमियम और सेरियम. 2024 में संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वे ने अनुमान लगाया कि दुनिया भर में 110 मिलियन टन दुर्लभ खनिज हैं. इसमें से 44 मिलियन टन चीन में है और वो अब तक दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके अलावा ब्राजील में 22 मिलियन टन, वियतनाम में 21 मिलियन टन, रूस में 10 मिलियन और भारत में 7 मिलियन टन का अनुमान है.
Q- यूक्रेन के पास कौन से क्रिटिकल मिनरल हैं?
द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के एसोसिएशन ऑफ जियोलॉजिस्ट्स की अध्यक्ष हन्ना लिवेंटसेवा के 2022 के एक आर्टिकल में दावा किया गया है कि उनके देश में दुनिया के खनिज संसाधनों का लगभग 5% मौजूद है, जबकि यूक्रेन दुनिया की सतह का केवल 0.4% कवर करता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन का आंकड़ा है कि उसके देश में यूरोपीय संघ द्वारा क्रिटिकल मिनरल माने गए 34 खनिजों में से 22 के भंडार हैं, जिनमें लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, एर्बियम और येट्रियम जैसी रेयर अर्थ मेटल्स शामिल हैं.
यूरोपीयन कमिशन के रिसर्च के अनुसार, रूस के साथ युद्ध शुरू होने से पहले, यूक्रेन टाइटेनियम का एक प्रमुख सप्लायर था. वह 2019 में वैश्विक उत्पादन का लगभग 7%, टाइटेनियम का उत्पादन करता था. साथ ही मैंगनीज का वह बड़ा सप्लायर है. इसने लगभग 500,000 टन लिथियम भंडार का भी दावा किया, जो यूरोप में सबसे बड़ा है. इसके पास दुनिया के ग्रेफाइट का पांचवां हिस्सा है, जो परमाणु ऊर्जा स्टेशनों का एक महत्वपूर्ण घटक है.
Q- अमेरिका किसी कीमत पर क्रिटिकल मिनरल पर डील करना क्यों चाहता था?
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे के अनुसार, 2024 में अमेरिका अपनी क्रिटिकल मिनरल की 80 प्रतिशत जरूरतों के लिए चीन, मलेशिया, जापान और एस्टोनिया पर निर्भर था. ट्रंप चाहते हैं कि यह निर्भरता अब खत्म हो और अमेरिका अपने दम पर उसे पा सके. उनका यह प्रयास अमेरिका को बड़ी तकनीक (बिग टेक) का केंद्र बनाने के उनके एजेंडे का हिस्सा है. 17 दुर्लभ खनिजों में से हरेक का उपयोग इंडस्ट्री में किया जाता है और इसे लाइट-बल्ब से लेकर गाइडेड मिसाइलों तक, रोजमर्रा और हाई टेक्नोलॉजी वाले उपकरणों में लगाया जाता है.
जैसे-जैसे दुनिया की अर्थव्यवस्था और टेक्नोलॉजी बदल रही है, क्रिटिकल मिनरल की अहमियत बढ़ गयी है और उन तक पहुंच के लिए देशों में रस्सा कस्सी बढ़ रही है.
Q- क्या यूक्रेन से ‘ब्याज' वसूल रहे हैं ट्रंप?
ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से इस बात पर जोर दिया है कि रूस के खिलाफ जंग में अमेरिका ने यूक्रेन की हद से अधिक मदद की है और उसे बदले में कुछ नहीं मिला है. ट्रंप चाहते हैं कि इन तीन सालों में अमेरिका ने यूक्रेन की जो आर्थिक और सामरिक मदद की है, उसके बदले में यूक्रेन उसे खनिज दे.
यह समझौता अमेरिका और यूक्रेन के बीच बड़े टकराव की वजह रहा है. याद कीजिए डोनाल्ड ट्रंप और वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच फरवरी में तू-तू मैं-मैं को पूरी दुनिया ने देखा था. बैठक से पहले जेलेंस्की ने आरोप लगाया था कि अमेरिका उन पर $500 बिलियन (£395 बिलियन) से अधिक की खनिज संपदा पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाल रहा है. जेलेंस्की ने कहा था कि इसे चुकाने में यूक्रेन की जनता की 10 पीढ़ियां लग जाएंगी.
हालांकि डील साइन होने के बाद यूक्रेन के प्रधान मंत्री, डेनिस शिमहल ने कहा कि रूसी हमले के बाद यूक्रेन को मिले अमेरिकी हथियारों और दूसरे सपोर्ट के अरबों डॉलर के लिए कोई "कर्ज" वापस करने के लिए नहीं कहा जाएगा. यह कीव की डील साइन करने से पहले की एक बड़ी मांग थी.
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