अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का फाइल फोटो...
वॉशिंगटन:
ओबामा प्रशासन ने स्वीकार किया कि उसने स्विस बैंकों के जरिए ईरान को कुल 1.7 अरब डॉलर नकद में भेजे हैं. इस साल जब यह पैसा भेजा गया उसी दौरान अमेरिकी बंधकों को रिहा भी किया गया था. सार्वजनिक रूप से जितनी राशि की घोषणा की गई थी, यह उससे चार गुना अधिक है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, 40 करोड़ डॉलर की पहली नकद की खेप 17 जनवरी को पहुंचाई गई थी और इसी दिन तेहरान ने जेल में बंद चार अमेरिकियों को रिहा करने पर रजामंदी दी थी. अगले 19 दिन में कुल 1.3 अरब डॉलर मूल्य की दो और ऐसी खेपें भेजी गईं.
अखबार ने यह रिपोर्ट संसद के उन अधिकारियों के हवाले से दी है, जिन्हें इस मुद्दे पर अमेरिकी राज्य के कोषागार और न्याय विभागों की ओर से जानकारी दी गई थी. अखबार ने कहा है, 'नकद भुगतान स्विस फ्रेंक, यूरो और अन्य मुद्राओं में किया गया था और इसके जरिए वर्ष 1979 के हथियारों के नाकाम समझौते के दशक भर पुराने विवाद को हल कर लिया गया है'. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, ओबामा प्रशासन ने सांसदों को इस बारे में जानकारी कल दी थी.
सांसदों को बताया गया कि 22 जनवरी और 5 फरवरी को कुल 1.3 अरब डॉलर की राशि यूरोप के जरिए दो हिस्सों में भेजी गई.
इस दौरान मौजूद रहे एक कांग्रेशनल सहायक ने बताया कि यह भुगतान भी 'उसी रूप में भेजा गया', जिस तरह वास्तविक 40 करोड़ डॉलर की राशि भेजी गई थी. यह राशि ईरान के एक कार्गो विमान ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा से उठाई थी.
कोषाध्यक्ष की प्रवक्ता डॉन सेलाक ने बताया, 'अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ईरान को बीते कई साल से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से बाहर रखा गया है. इसलिए विवशता के कारण यह पैसा अमेरिकी मुद्रा में नहीं दिया गया'.
ईरान को दोबारा पैसा भेजे जाने के कारण ट्रंप के अभियान ने ओबामा प्रशासन की आलोचना की है. ट्रंप के अभियान के वरिष्ठ संवाद सलाहकार जेसन मिलर ने कहा, 'राष्ट्रपति ओबामा द्वारा ईरान को फिरौती गोपनीय तरीके से दिए जाने से बेहद खतरनाक चलन शुरू हुआ है. एक खबर के मुताबिक इसके बाद पैसों से लदे दो और विमान भी भेजे गए, जिसने इस गलती को और भी बदतर बना दिया है'.
उन्होंने कहा, 'दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक को अमेरिका की ओर से वित्तीय मदद नहीं दी जानी चाहिए. हिलेरी क्लिंटन को इन गोपनीय भुगतानों को तुरंत अस्वीकार कर देना चाहिए था'. द डेली के मुताबिक, बंद दरवाजे की कांग्रेशनल बैठक में अमेरिकी सांसदों ने चिंता जताई है कि ईरान की सैन्य इकाईयां, खासकर विशिष्ट इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर इस राशि का इस्तेमाल पश्चिमी एशिया में अपने सैन्य सहयोगियों को मदद देने में करेगी. मसलन सीरिया में असद की सत्ता को, यमन में हूथी मिलिशिया को और लेबनानी मिलिशिया हिज्बुल्ला को मदद देने में करेंगे.
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो ने कहा, 'अमेरिकी सरकार को आतंकवादियों से बातचीत या मोलभाव नहीं करना चाहिए और अमेरिकी बंधकों के रिहा करने के बदले उन्हें फिरौती नहीं देनी चाहिए'.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, 40 करोड़ डॉलर की पहली नकद की खेप 17 जनवरी को पहुंचाई गई थी और इसी दिन तेहरान ने जेल में बंद चार अमेरिकियों को रिहा करने पर रजामंदी दी थी. अगले 19 दिन में कुल 1.3 अरब डॉलर मूल्य की दो और ऐसी खेपें भेजी गईं.
अखबार ने यह रिपोर्ट संसद के उन अधिकारियों के हवाले से दी है, जिन्हें इस मुद्दे पर अमेरिकी राज्य के कोषागार और न्याय विभागों की ओर से जानकारी दी गई थी. अखबार ने कहा है, 'नकद भुगतान स्विस फ्रेंक, यूरो और अन्य मुद्राओं में किया गया था और इसके जरिए वर्ष 1979 के हथियारों के नाकाम समझौते के दशक भर पुराने विवाद को हल कर लिया गया है'. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, ओबामा प्रशासन ने सांसदों को इस बारे में जानकारी कल दी थी.
सांसदों को बताया गया कि 22 जनवरी और 5 फरवरी को कुल 1.3 अरब डॉलर की राशि यूरोप के जरिए दो हिस्सों में भेजी गई.
इस दौरान मौजूद रहे एक कांग्रेशनल सहायक ने बताया कि यह भुगतान भी 'उसी रूप में भेजा गया', जिस तरह वास्तविक 40 करोड़ डॉलर की राशि भेजी गई थी. यह राशि ईरान के एक कार्गो विमान ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा से उठाई थी.
कोषाध्यक्ष की प्रवक्ता डॉन सेलाक ने बताया, 'अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ईरान को बीते कई साल से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से बाहर रखा गया है. इसलिए विवशता के कारण यह पैसा अमेरिकी मुद्रा में नहीं दिया गया'.
ईरान को दोबारा पैसा भेजे जाने के कारण ट्रंप के अभियान ने ओबामा प्रशासन की आलोचना की है. ट्रंप के अभियान के वरिष्ठ संवाद सलाहकार जेसन मिलर ने कहा, 'राष्ट्रपति ओबामा द्वारा ईरान को फिरौती गोपनीय तरीके से दिए जाने से बेहद खतरनाक चलन शुरू हुआ है. एक खबर के मुताबिक इसके बाद पैसों से लदे दो और विमान भी भेजे गए, जिसने इस गलती को और भी बदतर बना दिया है'.
उन्होंने कहा, 'दुनिया में आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक को अमेरिका की ओर से वित्तीय मदद नहीं दी जानी चाहिए. हिलेरी क्लिंटन को इन गोपनीय भुगतानों को तुरंत अस्वीकार कर देना चाहिए था'. द डेली के मुताबिक, बंद दरवाजे की कांग्रेशनल बैठक में अमेरिकी सांसदों ने चिंता जताई है कि ईरान की सैन्य इकाईयां, खासकर विशिष्ट इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर इस राशि का इस्तेमाल पश्चिमी एशिया में अपने सैन्य सहयोगियों को मदद देने में करेगी. मसलन सीरिया में असद की सत्ता को, यमन में हूथी मिलिशिया को और लेबनानी मिलिशिया हिज्बुल्ला को मदद देने में करेंगे.
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो ने कहा, 'अमेरिकी सरकार को आतंकवादियों से बातचीत या मोलभाव नहीं करना चाहिए और अमेरिकी बंधकों के रिहा करने के बदले उन्हें फिरौती नहीं देनी चाहिए'.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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