अमेरिका में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन भी नियमित टीकों में शामिल करने की सिफारिश

CDC ने COVID-19 डोज को बच्चों के वैक्सीन शेड्यूल का हिस्सा बनाने की सिफारिश की है, लेकिन अंतिम फैसला राज्यों द्वारा लिया जाएगा

अमेरिका में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन भी नियमित टीकों में शामिल करने की सिफारिश

प्रतीकात्मक फोटो.

कोरोना वायरस (कोविड-19) ने दुनिया भर में सामान्य जीवन को प्रभावित किया. कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की लहरों ने हजारों लोगों की जान ले ली और लोगों के मन में भय पैदा कर दिया. इस तरह का संक्रमण पहले कभी नहीं देखा गया था. इस संक्रमण से लड़ने के लिए जब पहला टीका बनाया गया, तो यह दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए तारणहार बन गया. सीएनएन (CNN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) ने टीकों के डोज की लिस्ट के तहत बच्चों और वयस्कों के नियमित टीकाकरण की सिफारिश की है. हालांकि इस शेड्यूल के तहत स्कूलों और कार्यस्थलों के लिए वैक्सीन की आवश्यकता निर्धारित नहीं की गई है.

सीडीसी की मॉर्बिडिटी एंड मॉर्टेलिटी वीकली रिपोर्ट में वैक्सीन शेड्यूल में बदलाव प्रकाशित किए गए हैं. इनमें कोविड-19 प्रायमरी वैक्सीन सीरीज और बूस्टर डोज के लिए सिफारिशें, इन्फ्लूएंजा और न्यूमोकोकल टीकों पर ताजा गाइडेंस और मीजल्स, मंप्सस, रूबेला (MMR) और हेपेटाइटिस बी के नए टीकों के साथ शामिल हैं.

सीएनएन ने कहा कि वैक्सीनेशन प्रैक्टिस या एसीआईपी में बदलाव की सिफारिश सीडीसी के वैक्सीन सलाहकारों और सलाहकार समिति द्वारा की गई थी.

एपिडेमिओलॉजिस्ट डॉ नील मूर्ति और डॉ ए पेट्रीसिया वोडी के हवाले से सीएनएन ने कहा है कि, "इसका मतलब है कि COVID-19 वैक्सीन अब किसी अन्य नियमित रूप से अनुशंसित वैक्सीन के रूप में पेश की गई है. अब यह पिछले वर्षों की तरह विशेष परिस्थितियों के लिए पेश नहीं की गई है. यह एक अर्थ में इस वैक्सीन को 'सामान्य' करने में मदद करने वाला कदम है. इससे एक शक्तिशाली संदेश स्वास्थ्य सेवाएं देने वालों और आम जनता के बीच जाएगा कि छह महीने और इससे अधिक उम्र के सभी लोगों को अनुशंसित कोविड-19 वैक्सीन (जररूत के अनुसार एक बूस्टर डोज सहित) लगनी चाहिए. जैसे कि अन्य टीके नियमित रूप से लगाए जाते हैं." 

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द हिल (The Hill) के अनुसार डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण रिसोर्स सीडीसी ने शेड्यूल में बदलाव किए हैं. डॉक्टरों के पास टीकों को अनिवार्य करने का अधिकार नहीं है. इस पर अंतिम निर्णय राज्य सरकारों द्वारा लिया जाता है.