- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ड्रग्स तस्करी के खिलाफ लैटिन अमेरिका में सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है
- पेंटागन ने लैटिन अमेरिका से ड्रग्स तस्करी रोकने हेतु यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड कैरियर स्ट्राइक ग्रुप तैनात किया
- यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड दुनिया का सबसे बड़ा जंगी जहाज है, जिसकी लंबाई 1092 फीट और वजन लगभग 100 हजार टन है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के अंदर ड्रग्स तस्करी के खिलाफ पूरी तरह से जंग छेड़ दी है और उसे तबाह करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. अबतक लैटिन अमेरिकी देशों, खासकर वेनेजुएला और कोलंबिया से कथित रूप से ड्रग्स लाते 10 छोटे जहाजों (स्पीडबोट) को हवाई हमले में उड़ाने के बाद अब ट्रंप एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. अब उन्होंने लैटिन अमेरिकी देशों की ओर समंदर में दुनिया के सबसे बड़े जंगी जहाज को तैनात करने का फैसला लिया है. अमेरिका के रक्षा विभाग यानी पेंटागन ने शुक्रवार, 24 अक्टूबर को लैटिन अमेरिका से नशीली दवाओं की तस्करी करने वाले कार्टेल का मुकाबला करने के लिए इस विमान वाहक स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती का आदेश दिया. यह इस इलाके में अमेरिकी सैन्य तैनाती में एक बड़ा इजाफा है, जिसपर वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि "युद्ध की साजिश रची" जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठनों (TCO) को खत्म करने और नार्को-आतंकवाद का मुकाबला करने के राष्ट्रपति के निर्देश को देखते हुए, अमेरिका के युद्ध सचिव (रक्षा मंत्री) ने जेराल्ड आर. फोर्ड (USS Gerald R. Ford) कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को भेजा है. साथ ही कैरियर एयर विंग को भी अमेरिकी दक्षिणी कमान (USSOUTHCOM) एरिया ऑफ रिस्पॉन्सबिलिटी (AOR) में तैनात किया है.
USSOUTHCOM AOR को आप ऐसे समझिए कि लैटिन अमेरिका से लगने वाला समुद्री इलाका. यहां अमेरिकी सेना की तैनाती बढ़ाने से अमेरिका को पश्चिमी गोलार्ध से चुनौती देने वाले दुश्मनों, उनकी गतिविधियों का पता लगाने, उसकी निगरानी करने और उन्हें रोकने की अमेरिकी क्षमता को बढ़ेगी. ये बल ड्रग्स की तस्करी को रोकने और TCO को नष्ट करने के लिए मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाएंगे.
इसको पावर देने के लिए यानी इसके इंजन को चलाने के लिए इसमें दो A1B परमाणु रिएक्टर लगे हैं. यूएसएस गेराल्ड आर. USS Gerald R. Ford अपने पहले के जंगी जहाजों की तुलना में 25% अधिक विद्युत शक्ति पैदा करता है. अब आप इसको बनाने में लगी खर्चा भी जान लीजिए. इसकी कीमत 13 अरब डॉलर है. अगर भारतीय करेंसी में बात करें तो यह लगभग 11 लाख करोड़ रुपए का है.
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