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'बेगुनाह' भारतीय ने 43 साल अमेरिकी जेल में काटे, बरी होते देश छोड़ने का फरमान, अब कहानी में आया नया मोड़

अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारी ड्रग्स की डिलीवरी के आरोप में 63 साल के सुब्रमण्यम वेदम को अमेरिका से निर्वासित करने की मांग कर रहे हैं. यह मामला उस समय का था जब वेदम लगभग 20 साल के थे और उन्होंने बिना जुर्म 43 साल पहले ही जेल में काट लिए हैं.

'बेगुनाह' भारतीय ने 43 साल अमेरिकी जेल में काटे, बरी होते देश छोड़ने का फरमान, अब कहानी में आया नया मोड़
  • सुब्रमण्यम वेदम को 43 साल तक हत्या के झूठे आरोप में जेल में रखा गया था, इस साल उन्हें निर्दोष करार दिया गया
  • ड्रग्स मामले के लगभग 4 दशक पुराने आरोपों के कारण ICE वेदम को अमेरिका से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है
  • अमेरिका की दो अदालतों ने आव्रजन अधिकारियों को वेदम को निर्वासित न करने का आदेश दिया है
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अमेरिका में भारतीय मूल के एक व्यक्ति को बिना कोई जुर्म 43 साल जेल में काटने पड़ते हैं. इस साल अगस्त में अदालत उन्हें हत्या के मामले में निर्दोष करार देती है. लेकिन इसके बावजूद अमेरिका की सरकार उन 43 सालों का मुआवजा देने की जगह उन्हें अमेरिका से ही बाहर निकालने की कोशिश में लग गई है. हम बात कर रहे हैं 64 वर्षीय सुब्रमण्यम वेदम की जिनके निर्वासन मामले में बड़ी खबर सामने आई है. अमेरिका की दो अदालतों ने सुब्रमण्यम वेदम के निर्वासन (डिपोर्टेशन) पर अभी के लिए रोक लगा दी है. वेदम केवल 9 महीने के थे जब वह अपने माता-पिता के साथ कानूनी तौर पर भारत से अमेरिका गए थे. वह स्टेट कॉलेज में पले-बढ़े, जहां उनके पिता पेन स्टेट में पढ़ाते थे.

एक इमिग्रेशन जज ने बीते गुरुवार को वेदम के निर्वासन पर तब तक रोक लगा दी जब तक कि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन अपील्स (Bureau of Immigration Appeals) यह निर्णय नहीं ले लेता कि उनके मामले को रिव्यू किया जाए या नहीं. इसमें कई महीने लग सकते हैं. वेदम के वकीलों को भी उसी दिन पेंसिल्वेनिया में अमेरिकी जिला अदालत से स्टे मिल गया, लेकिन उन्होंने कहा कि इमिग्रेशन कोर्ट के फैसले को देखते हुए मामला रुक सकता है.

एक झूठा केस और बिना जुर्म 43 साल की कैद

सुब्रमण्यम वेदम को उनके रिश्तेदार "सुबू" के नाम से जानते हैं. वेदम अमेरिका के कानूनी रूप से स्थायी निवासी हैं और उनके वकील के अनुसार, 1982 में एक हत्या के मामले में उनकी गिरफ्तारी से पहले उनका नागरिकता आवेदन स्वीकार कर लिया गया था. वेदम पर 1980 में अपने दोस्त थॉमस किन्सर की हत्या का आरोप लगाया गया था. वेदम किन्सर के साथ देखे गए आखिरी व्यक्ति थे. गवाहों या हत्या का मकसद की कमी के बावजूद, वेदम को दो बार हत्या का दोषी ठहराया गया था.

लेकिन अगस्त में, वेदम के वकीलों को ऐसे नए बैलिस्टिक सबूत मिले जिसका सरकारी वकीलों ने कभी खुलासा नहीं किया था. इसके बाद जज ने वेदम की सजा को पलट दिया, उन्हें निर्दोष करार दिया. अपनी बेगुनाई साबित करने के लिए चार दशकों से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद वेदम 3 अक्टूबर को पेंसिल्वेनिया जेल से रिहा होने के लिए तैयार थे. लेकिन यहां से उन्हें सीधे इमिग्रेशन अधिकारियों ने अपनी हिरासत में ले लिया.

इमिग्रेशन अधिकारी वेदम को अमेरिका से क्यों निकालना चाहते हैं?

द ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) ड्रग्स की डिलीवरी के आरोप में वेदम को अमेरिका से निर्वासित करने की मांग कर रहा है. यह ड्रग्स ले जाने का मामला उस समय का था जब वह लगभग 20 साल के थे. लेकिन वेदम के वकीलों का तर्क है कि उन्होंने पहले ही 43 साल बिना हत्या किए हत्या के जुर्म में जेल में बिताए हैं, जहां उन्होंने डिग्री हासिल की और साथी कैदियों को पढ़ाया. अब इतना सजा काटने के बाद तो ड्रग मामले को पीछे छोड़ देना चाहिए. 

हालांकि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि हत्या के मामले में निर्दोष साबित हो जाने से ड्रग्स मामले में सजा को खारिज नहीं किया जा सकता.

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