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This Article is From Dec 21, 2020

दुर्लभ खगोलीय घटना का गवाह बनेगा ब्रह्मांड, करीब 400 साल बाद बृहस्पति और शनि होंगे बेहद करीब

वैज्ञानिकों का कहना है कि दोनों ग्रहों के बीच उनके नजरिए से सिर्फ 0.1 डिग्री की दूरी रह जाएगी

दुर्लभ खगोलीय घटना का गवाह बनेगा ब्रह्मांड, करीब 400 साल बाद बृहस्पति और शनि होंगे बेहद करीब
नासा के हैंडआउट में चंद्रमा (बाएं), शनि (ऊपरी), बृहस्पति (नीचे) को दिखाया गया है.
पेरिस:

Jupiter and Saturn Conjunction : सौरमंडल के दो सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn)आज एक दूसरे के बेहद करीब आएंगे. यह अद्भुत संयोग साल 2080 तक फिर नहीं होगा. खगोलविदों के अनुसार यह "महान संयोजन" उत्तरी गोलार्ध में उन लोगों के लिए यह सर्दियों उच्च शिखर पर और धरती के दक्षिण में गर्मियों की शुरुआत में सौभाग्य से घटित होता है. दोनों ग्रह वास्तव में 730 मिलियन किलोमीटर से अधिक दूर हैं. लेकिन पृथ्वी के संबंध में उनके संरेखण (alignment) के कारण वे लगभग 400 वर्षों में किसी भी समय एक दूसरे के करीब दिखाई देते हैं. 

दोनों ग्रह भारतीय समय अनुसार रात करीब 11 बजकर 52 मिनट पर  एक-दूसरे के सबसे करीब होंगे.टेलीस्कोप या फिर किसी अच्छी दूरबीन से देखने पर दोनों विशाल ग्रहों के बीच की दूरी चंद्रमा के पूरे व्यास के पांचवें हिस्से से अध‍िक नहीं होगी. पेरिस ऑब्जर्वेटरी के फ्लोरेंट डेलेफी ने कहा कि नग्न आंखों के साथ, वे "अत्यधिक चमकदार" दोहरे ग्रह में विलीन हो जाएंगे.

ये दोनों ग्रह इससे पहले 17वीं शताब्दी में महान खगोलविद गैलीलियो के जीवनकाल में इतने पास आए थे. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे सौरमंडल में दो बड़े ग्रहों का नजदीक आना बहुत दुर्लभ नहीं है. बृहस्पति ग्रह अपने पड़ोसी शनि ग्रह के पास से प्रत्येक 20 साल पर गुजरता है, लेकिन इसका इतने नजदीक आना खास है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि दोनों ग्रहों के बीच उनके नजरिए से सिर्फ 0.1 डिग्री की दूरी रह जाएगी. वांदरबिल्ट विश्वविद्यालय में खगोलशास्त्र के प्रोफेसर डेविड वेनट्रॉब ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि यह कहना उचित होगा कि यह घटना आम तौर पर किसी व्यक्ति के जीवन में एक ही बार आता है.''

उल्लेखनीय है कि इससे पहले जुलाई, 1623 में दोनों ग्रह इतने करीब आए थे लेकिन सूर्य के नजदीक होने की वजह से उन्हें देख पाना लगभग असंभव था. वहीं, उससे पहले मार्च, 1226 में दोनों ग्रह करीब आए थे और इस घटना को धरती से देखा जा सकता था. इसके बाद से अब तक पहली बार हो रहा है जब यह खगोलीय घटना हो रही है और इसे देखा भी जा सकता है.

(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)

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