प्रतीकात्मक तस्वीर...
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने चेताया है कि पाकिस्तान के तहरीक-ए-खिलाफत जैसे संगठनों के जरिए आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) दक्षिण एशिया में पांव पसार रहा है। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई का आग्रह किया।
बान ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को आईएस (जिसके अन्य उपनाम आईएसआईएल और दाएश भी हैं) से होने वाले खतरे के बारे में मंगलवार को सुरक्षा परिषद में पेश अपनी रपट में इस चिंताजनक बात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-खिलाफत जैसे संगठन इस कथित खिलाफत और इसके कथित खलीफा की विचारधारा के प्रति काफी आकृष्ट हुए हैं। उन्होंने कहा, 'यह बेहद चिंता का विषय है। ये समूह आईएसआईएल की तरफ से हमले कर रहे हैं और उसी की जैसी रणनीति अख्तियार कर रहे हैं।' बान ने कहा कि आईएस अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व खतरे की वजह बन गया है।
उन्होंने कहा, 'सदस्य राष्ट्रों को 2016 और इसके बाद के सालों में आईएसआईएल के निर्देश पर अन्य देशों की यात्रा करने वाले विदेशी आतंकी लड़ाकों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना चाहिए।'
इराक और सीरिया में बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए आईएस के बारे में बान ने कहा, 'आईएसआईएल का पश्चिमी और उत्तरी अफ्रीका, मध्यपूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ता प्रभाव बताता है कि बीते 18 महीने में ही इस खतरे की गंभीरता किस हद तक बढ़ गई है।'
बान ने कहा, 'अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आईएसआईएल अपने संपर्कों और हमदर्दों का दायरा बढ़ा रहा है जो इसके नाम पर हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय आईएसआईएल समूह 'खुरासान प्रांत' ने 13 जनवरी, 2016 को बयान जारी कर अफगानिस्तान के जलालाबाद में पाकिस्तानी वाणिज्यदूतावास पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।' बान की रपट में कराची बस हमले का जिक्र नहीं है। इस हमले में 40 से अधिक इस्माइली मारे गए थे और आईएसआईएल ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।
बान ने अपनी रपट में कहा है कि दिसंबर 2015 के मध्य तक 34 संगठन आईएसआईएल के प्रति अपनी आस्था जता चुके थे। उन्होंने कहा कि और अधिक 'प्रांतों' पर इसके दावे को देखते हुए कहा जा सकता है कि 2016 में आईएसआईएल से संबद्ध संगठनों की संख्या में और इजाफा होगा।
रपट में कहा गया है, 'यह संगठन बदलते माहौल के साथ खुद को तेजी से बदलने में सक्षम है। आतंकी कार्रवाई करने के लिए समान विचारधारा वाले संगठनों को अपनी बात समझाने में यह सक्षम है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इसका जवाब देने के लिए ऐसी ही 'अनुकूलनशीलता' दिखानी चाहिए।
बान ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को आईएस (जिसके अन्य उपनाम आईएसआईएल और दाएश भी हैं) से होने वाले खतरे के बारे में मंगलवार को सुरक्षा परिषद में पेश अपनी रपट में इस चिंताजनक बात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-खिलाफत जैसे संगठन इस कथित खिलाफत और इसके कथित खलीफा की विचारधारा के प्रति काफी आकृष्ट हुए हैं। उन्होंने कहा, 'यह बेहद चिंता का विषय है। ये समूह आईएसआईएल की तरफ से हमले कर रहे हैं और उसी की जैसी रणनीति अख्तियार कर रहे हैं।' बान ने कहा कि आईएस अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व खतरे की वजह बन गया है।
उन्होंने कहा, 'सदस्य राष्ट्रों को 2016 और इसके बाद के सालों में आईएसआईएल के निर्देश पर अन्य देशों की यात्रा करने वाले विदेशी आतंकी लड़ाकों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना चाहिए।'
इराक और सीरिया में बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए आईएस के बारे में बान ने कहा, 'आईएसआईएल का पश्चिमी और उत्तरी अफ्रीका, मध्यपूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ता प्रभाव बताता है कि बीते 18 महीने में ही इस खतरे की गंभीरता किस हद तक बढ़ गई है।'
बान ने कहा, 'अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आईएसआईएल अपने संपर्कों और हमदर्दों का दायरा बढ़ा रहा है जो इसके नाम पर हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय आईएसआईएल समूह 'खुरासान प्रांत' ने 13 जनवरी, 2016 को बयान जारी कर अफगानिस्तान के जलालाबाद में पाकिस्तानी वाणिज्यदूतावास पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।' बान की रपट में कराची बस हमले का जिक्र नहीं है। इस हमले में 40 से अधिक इस्माइली मारे गए थे और आईएसआईएल ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।
बान ने अपनी रपट में कहा है कि दिसंबर 2015 के मध्य तक 34 संगठन आईएसआईएल के प्रति अपनी आस्था जता चुके थे। उन्होंने कहा कि और अधिक 'प्रांतों' पर इसके दावे को देखते हुए कहा जा सकता है कि 2016 में आईएसआईएल से संबद्ध संगठनों की संख्या में और इजाफा होगा।
रपट में कहा गया है, 'यह संगठन बदलते माहौल के साथ खुद को तेजी से बदलने में सक्षम है। आतंकी कार्रवाई करने के लिए समान विचारधारा वाले संगठनों को अपनी बात समझाने में यह सक्षम है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इसका जवाब देने के लिए ऐसी ही 'अनुकूलनशीलता' दिखानी चाहिए।
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