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This Article is From Sep 23, 2022

रूस में एयरलाइन स्टाफ को मिला सेना में भर्ती होने का आदेश, डॉक्टरों, शिक्षकों से कहा- तैयार रहें : रिपोर्ट

Russia Ukraine War: पुतिन (Putin) की घोषणा के खिलाफ रूस के करीब 30 शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.  द टाइम्स के अनुसार, डॉक्टरों, शिक्षकों और बैंक कर्मियों को सैन्य ड्यूटी के लिए तैयार होने के लिए कहा जा रहा है.

रूस में एयरलाइन स्टाफ को मिला सेना में भर्ती होने का आदेश, डॉक्टरों, शिक्षकों से कहा- तैयार रहें : रिपोर्ट
पुतिन का कहना है कि यूक्रेन में और सेना भेजने के फैसला रूसी सीमाओं की रक्षा के लिए है (प्रतीकत्मक तस्वीर)

Russia Ukraine War:  रूस (Russia) में एयरलाइनों और एयरपोर्टों पर काम करने वाले कर्मचारियों को नोटिस मिलना शुरू हो गए हैं. रूसी अखबार कोमेरसेंट के अनुसार कम से कम पांच एयरलाइनों और 10 एयरपोर्टों के स्टाफ को मिलिट्री रजिस्ट्रेशन के लिए बुलाया गया है.  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) के यूक्रेन (Ukraine) में रिजर्व सेना भेजने के फैसले के बाद यह कदम उठाए जा रहे हैं. पुतिन की घोषणा की बाद कई आदमियों के देश छोड़कर भागने की खबर थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में रूस की रिजर्व सेना भेजने के आदेश के कुछ दिन बाद एयरोफ्लोट ग्रुप समेत पांच रूसी एयरलाइन्स और करीब 10 एयरपोर्टों के स्टाफ को सेना में भर्ती होने का आदेश मिला है. सूत्रों के अनुसार, कंपनियों का कहना है कि उनके 50 से 80 प्रतिशत स्टाफ को सेना में शामिल होने का आदेश दिया जा सकता है.  

एयरोफ्लोट ग्रुप के अनुसार, तीन एयरलाइनों के करीब आधे स्टाफ की सेना में भर्ती हो सकती है. इसमें रोसिया एयरलाइन और पोबेदा एयरलाइन का स्टाफ भी शामिल है. जबकि एयरोफ्लोट ने इस मामले में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह पता चला है कि इस ग्रुप में अलग अलग क्षेत्रों के माहिरों का अलग-अलग गुट बनया जा रहा है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी लोगों से पुतिन की ओर से और सेना भेजे जाने के फैसले का विरोध करने की अपील की है.

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आरक्षित सैनिकों को जुटाने की घोषणा और व्यापक भर्ती की संभावना का सुझाव दिए जाने के बाद 24 घंटों में रूस से बाहर जाने वाली उड़ानों का किराया नाटकीय रूप से बढ़ गया है. 

द कन्वर्सेशन पत्रिका के अनुसार,  पुतिन की घोषणा के खिलाफ रूस के करीब 30 शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.  द टाइम्स के अनुसार, डॉक्टरों, शिक्षकों और बैंक कर्मियों को सैन्य ड्यूटी के लिए तैयार होने के लिए कहा जा रहा है.

यूक्रेन युद्ध में मिले अप्रत्याशित झटकों के जवाब में रूस अब अपनी आरक्षित सेना से अतिरिक्त 300,000 सैनिकों को बुला सकता है। इसके पीछे उनका इरादा सेना में अतिरिक्त विशेषज्ञ बलों को जोड़ना और युद्ध की दिशा को बदलने का है, लेकिन इससे कुछ हासिल होने की संभावना नहीं है.

रूसी सेना में विभिन्न प्रकार के ‘‘मानव संसाधन'' होते हैं. उदाहरण के लिए, अनुबंधित सैनिकों, कई वर्षों के लिए भर्ती होने वाले पेशेवरों और एक वर्ष के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा करने वाले जबर्दस्ती के सिपाहियों के बीच एक बड़ा अंतर है. फिर आरक्षित सैनिक हैं, ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने सिपाहियों के रूप में काम किया है और कुछ हद तक तत्परता बनाए रखते हैं, जिनमें ढाई करोड़ सैनिक हैं.

पेशेवर सैनिकों के विपरीत, जो स्वयंसेवकों के रूप में सेवा करते हैं, कई रूसी सैनिक अनिवार्य सेवा करने वाले सैनिक हैं। रूसी सैनिकों को मिलने वाले प्रशिक्षण सवालों के घेरे में है, और इस वातावरण की क्रूर प्रकृति के कारण अधिक समृद्ध और जानकार रूसी आमतौर पर इस प्रक्रिया से बचना चाहते हैं.

एक ''विशेष सैन्य अभियान'' के रूप में यूक्रेन की स्थिति के कारण, रूस के विकल्प इस मामले में सीमित है कि वह किसे भेज सकता है। युद्ध के समय को छोड़कर, विदेश में सिपाहियों को भेजना अलोकप्रिय और निषिद्ध दोनो है.

इसका मतलब यह नहीं है कि यह यूक्रेन में पहले नहीं हुआ है, निश्चित रूप से ऐसा हुआ है और यूक्रेनी बलों ने ऐसे सैनिकों को पकड़ा भी है. आरक्षित सैनिकों ने भी युद्ध में भाग लिया है, हालांकि बड़े पैमाने पर स्वेच्छा से.

रूसी सशस्त्र बल अधिकांश आधुनिक पेशेवर सेनाओं की तरह नहीं हैं. इसके सैनिकों की विविधता देश के सोवियत अतीत की याद दिलाती है। विविध तरह के सैनिकों का उपयोग करने में स्वाभाविक रूप से कुछ भी गलत नहीं है, और कई राष्ट्र इसे प्रभावी ढंग से करते हैं. 

रूस के मामले में, यह अपने त्रुटिपूर्ण और गहरे अलोकप्रिय भर्ती मॉडल का आधुनिकीकरण करने में विफल रहा है, जिसकी उसे कीमत चुकानी पड़ी है। सत्ता के भ्रम के बदले में सार्वजनिक खर्च को कम किया जाता है. 

    

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