यूक्रेन (Ukraine) के खारकीव (Kharkiv) में भारतीयों (Indians) के लिए आज बेहद खतरे से भरा दिन रहा लेकिन बहुत से भारतीय छात्र ( Indian Students) रूसी सीमा के पास सुमी ( Sumy) में भी फंसे हुए हैं. सुमी स्टेट यूनीवर्सिटी के हॉस्टल के बंकर में फंसे कुछ स्टूडेंट्स से NDTV की बात हुई. केरल (Kerala) के तीन छात्रों ने बताया कि सुबह बम की आवाज़ से खुली नींद. एक छात्र आकाश ने बताया कि हर जगह फायरिंग और बम की आवाज है. निगरानी के लिए एक जगता है तो एक सोता है.यहां सिविलियन के पास भी बंदूकें हैं और यहां स्ट्रीट फाइट भी होती है. खिड़की से बाहर देख कर डर लगता है. यूक्रेन पर रूस के ताबड़तोड़ हमले के बीच सुमी इलाके को रूसी सेना ने घेरा रखा है और बाहर निकलने का हर रास्ता ब्लॉक है.
अभिनव कहते हैं कि उन्होंने सुना है कि बाहर बारूदी सुरंगे बिछीं है और रेलवे ट्रैक और पुल तोड़ दिए गए हैं. हम अधिकतर बंकर में रहते हैं. छात्रों ने बताया कि वो पिछले 6 दिन से वहां फंसे हुए हैं और खाना ख़त्म होने वाला है. हमने सुना है कि रूसी बॉर्डर भारतीयों के लिए खोले गए हैं लेकिन रूसी बॉर्डर पर यूक्रेनी सेना है. हमें नहीं पता वहां कैसे जाएं. रास्ते में लड़ाई हो सकती है. इन छात्रों की शिकायत है कि सब ओर से खारकीव को लेकर अपडेट आ रहे हैं लेकिन सुमी में फंसे भारतीय छात्रों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सुमी यूक्रेन की रूस सीमा के पास का उत्तर-पूर्वी इलाका है, जो भारी लड़ाई में फंसा है.
सुमी की स्टेट यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्टूडेंट जल्द से जल्द अपने घर वापस जाना चाहते हैं. इनके अभिभावक भी काफी चिंतित हैं. केरल से एक और छात्र मुट्टुथरा ने कहा कि अधिकतर बार दूतावास के नंबर से कनेक्ट करना बहुत मुश्किल है.
अभिनव कहते हैं, "दूतावास ने कहा कि आप जहां हैं वहां रहिए. जितना जल्दी हो सकेगा हम आपको निकालने की कोशिश करेंगे."
आकाश ने हमें बताया गया कि दूतावास की तरफ से उन्हें जानकारी दी गई है कि शायद 1-2 दिन में उन्हें निकाला जाएगा. लेकिन यही डर है कि यहां बम ना फटे.
सुमी में फंसे छात्रों ने बताया कि जिस हॉस्टल के बंकर में वो फंसे हैं, उसके बाहर एक स्कूल को धमाके में उड़ा दिया गया. लेकिन उन्होंने कहा कि वो इस खबर की पुष्टि नहीं कर सकते.
छात्रों ने सरकार से अपील की है कि हमें जल्द से जल्द सुमी से निकाला जाए. उन्होंने कहा, "हमारी जान खतरे में है. पता नहीं कितना समय सुरक्षित रहेंगे. पेरेंट्स से झूठ बोलते हैं कि यहां हम ठीक हैं और केवल प्रोटोकॉल के लिए बंकर में जाते हैं. लेकिन असल में यहां हालत बहुत खतरनाक हैं."
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