
यूके में एक महिला टीचर को 15 साल के बच्चे के साथ दबाव डालकर शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में हमेशा के लिए पढ़ाने से बैन कर दिया गया है. मेट्रो की रिपोर्ट के मुताबिक 38 वर्षीय टीचर कैंडिस बार्बर को 2021 में 6 साल और 2 महीने की जेल की सजा दी गई थी. उनपर आरोप लगा था कि उसने प्रिंसेस रिसबोरो स्कूल, बकिंघमशायर में टीचिंग के दौरान 15 साल के बच्चे के साथ शारीरिक संबंध का दबाव बनाया था.
पैनल ने कहा कि उसकी यह हरकत स्टूडेंट्स के हित में नहीं है और उसने ऐसा केवल अपने स्वार्थ के लिए किया है. इतना ही नहीं लोग भी बार्बर के इस व्यवहार से हैरान हैं. मिसकंडक्ट की सुनवाई के दौरान बार्बर का नाम टीचिंग रजिस्टर से हमेशा के लिए हटा दिया गया और साथ ही उसे दोबारा टीचिंग के लिए अप्लाई करने से भी मना कर दिया गया.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ''बार्बर का इस तरह बच्चे पर दबाव बनाना इतना गलत और हानिकारक था कि उसे भविष्य में पढ़ाने की इजाजत देना मौलिक रूप से सही नहीं है''. सुनवाई में सामने आया कि शादीशुदा और 3 बच्चों की मां बार्बर अपने स्टूडेंट को अश्लील तस्वीरें और मैसेज भेजा करती थीं. बार्बर ने 2018 में अपने स्टूडेंट को इस तरह के मैसेज भेजना शुरू किया था और इसके बाद उसने अपने स्टूडेंट के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए.
इतना ही नहीं वो स्कूल असेंबली के वक्त भी उससे फ्लर्ट करती थी और खुद की तस्वीर भी स्टूडेंट को भेजा करती थी.. साथ ही बार्बर ने अपने स्टूडेंट को धमकी भी दी थी कि अगर उसने किसी भी सीनियर को कुछ भी बताया तो वो उसे फंसा देंगी. हालांकि, टीचर ने अभी भी अपनी गलती नहीं मानी है और उसका कहना है कि वो बेकसूर है. बार्बर ने अपने नोट में लिखा, ''सजा के बावजूद मैंने हमेशा खुद को निर्दोष बताया है''.
हालांकि, पैनल ने पाया कि ''बार्बर ने लड़के से गलत और अश्लील बातें की थी.'' एजुकेशन सेक्रेटरी Sara Buxcey ने कहा, ''मेरे मुताबिक उसे अपनी गलती का अहसास नहीं है और ऐसे में भविष्य में भी बच्चों के साथ दोबारा इस तरह की हरकत हो सकती है जो उन्हें प्रभावित कर सकती है." पैनल ने अपने फैसले में सार्वजनिक हित को बार्बर के हित से ज्यादा जरूरी माना है. पैनल का मानना है कि ''बार्बर की ये हरकत बच्चे के लिए हानिकारक थी और इस वजह से उसे भविष्य में पढ़ाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.''
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