लंदन:
भारत में हत्या और बमबारी के आरोपों को लेकर वांछित भारतीय मूल के एक ब्रिटिश सिख को पुर्तगाल में गिरफ्तार कर लिया गया। परमजीत सिंह सैनी भारत में प्रत्यर्पण से बचने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वह 2009 में पंजाब के नेता रुद्र सिंह की हत्या और 2010 में उत्तर-पश्चिम भारत में बम हमलों में शामिल था।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि सैनी राजनीतिक शरण के लिए 13 साल पहले भारत से ब्रिटेन आया था। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल का एक प्रमुख सदस्य है।
संगठन का अंतरराष्ट्रीय कार्यालय इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स में स्थित है। संगठन सिखों के लिए एक अलग खालिस्तान देश के लिए सशस्त्र संघर्ष का समर्थन करता है। उस पर 2000 में आतंक विरोधी अधिनियम के तहत ब्रिटेन में प्रतिबंध लगाया गया था।
सांसद जॉन स्पेलर ने अपने संसदीय क्षेत्र में रहने वाले सैनी को लेकर कहा कि वह एक भारतीय नागरिक है, लेकिन दो साल पहले सफलतापूर्वक राजनीतिक शरण हासिल करने के बाद उसके पास 2023 तक ब्रिटेन में रहने का अधिकार था।
उन्होंने कहा, 'मैं सैनी को हिरासत में लिए जाने से बेहद चिंतित हूं और मैंने मंत्रिस्तर पर विदेश कार्यालय में कड़ा एवं तत्काल अभ्यावेदन दिया है। उसके पास ब्रिटेन में शरणार्थी का दर्जा है और वह परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए पुर्तगाल गया था। वह ब्रिटिश सरकार के संरक्षण में सरकारी ब्रिटिश दस्तावेज पर वहां गया था।'
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि सैनी राजनीतिक शरण के लिए 13 साल पहले भारत से ब्रिटेन आया था। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल का एक प्रमुख सदस्य है।
संगठन का अंतरराष्ट्रीय कार्यालय इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स में स्थित है। संगठन सिखों के लिए एक अलग खालिस्तान देश के लिए सशस्त्र संघर्ष का समर्थन करता है। उस पर 2000 में आतंक विरोधी अधिनियम के तहत ब्रिटेन में प्रतिबंध लगाया गया था।
सांसद जॉन स्पेलर ने अपने संसदीय क्षेत्र में रहने वाले सैनी को लेकर कहा कि वह एक भारतीय नागरिक है, लेकिन दो साल पहले सफलतापूर्वक राजनीतिक शरण हासिल करने के बाद उसके पास 2023 तक ब्रिटेन में रहने का अधिकार था।
उन्होंने कहा, 'मैं सैनी को हिरासत में लिए जाने से बेहद चिंतित हूं और मैंने मंत्रिस्तर पर विदेश कार्यालय में कड़ा एवं तत्काल अभ्यावेदन दिया है। उसके पास ब्रिटेन में शरणार्थी का दर्जा है और वह परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए पुर्तगाल गया था। वह ब्रिटिश सरकार के संरक्षण में सरकारी ब्रिटिश दस्तावेज पर वहां गया था।'
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