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ब्राजील में नशे के कारोबार को चलाने वाले 2 खूंखार सरगना, एक तो स्‍ट्रीट वेंडर से बना ड्रग लॉर्ड  

रेड कमांड के नाम से भी जानते हैं. यह रियो डी जेनेरियो का सबसे शक्तिशाली गिरोह है जिसे हालिया एनकाउंटर में निशाना बनाया गया है. वर्तमान सरगना लुइज फर्नांडो दा कोस्टाजिसे 'फर्नान्डिनहो बेरा-मार' कहा जाता है.

ब्राजील में नशे के कारोबार को चलाने वाले 2 खूंखार सरगना, एक तो स्‍ट्रीट वेंडर से बना ड्रग लॉर्ड  
  • ब्राजील में इस समय दो सबसे बड़े शक्तिशाली ड्रग कार्टेल हैं जो लोगों को नशे के कारोबार में धकेल रहे हैं.
  • पीसीसी नामक क्रिमिनल संगठन की स्थापना 1993 में साओ पाउलो की तौबाटे जेल में हुई थी.
  • कोमांडो वर्मेलो या जिसे रेड कमांड के नाम से भी जानते हैं. यह रियो डी जेनेरियो का सबसे शक्तिशाली गिरोह है.
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नई दिल्‍ली:

मंगलवार को ब्राजील के सबसे घनी आबादी वाले शहर रियो डि जेनेरिया में जो कुछ हुआ, वह किसी क्राइम फिल्‍म की स्‍टोरी सा लग रहा हो. रियो ड‍ि जेनेरियो के फेवलेस में नजारा एकदम किसी वॉर मूवी जैसा था लेकिन यह दरअसल ब्राजील पुलिस और सैनिकों की तरफ से चलाए गए ऑपरेशनका नजारा था. इसमें करीब 2500 ब्राजील पुलिस के जवान और सैनिक शामिल थे. इन्‍होंने मिलकर ड्रग्‍स के खिलाफ एक बड़ी छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. इसमें 81 लोगों को गिरफ्तार किया गया. 60 संदिग्‍धों की मौत भी इस ऑपरेशन में हुई जबकि इस घटना में  चार पुलिस आफिसर्स भी मारे गए. ब्राजील में इस समय दो सबसे बड़े शक्तिशाली ड्रग कार्टेल हैं जो लोगों को नशे के कारोबार में धकलने का काम कर रहे हैं. जानिए इनके बारे में और कैसे ये अपने काम को अंजाम देने में लगे हुए हैं. 

जेल के अंदर हुई शुरुआत 

प्राइमेरो कमांडो दा कैपिटल या पीसीसी जिसे फर्स्‍ट कमांड ऑफ द कैपिटल भी कहते हैं. यह ब्राजील का सबसे ताकतवर और खतरनाक क्रिमिनल ऑर्गनाइजेशन है. इस संगठन की रणनीति बेहद खतरनाक है और बताती है कि कैसे इसने न सिर्फ पूरे दक्षिण अमेरिका बल्कि अब यूरोप में भी अपने अपराध की जड़ें जमा ली हैं. सन् 1993 में पीसीसी का जन्‍म साओ पाउलो की सबसे हिंसक जेल में से एक तौबाटे जेल के अंदर हुआ. साल 1992 में कारांडिरू में एक जानलेवा जेल हत्याकांड जिसमें पुलिस ने 100 से ज्‍यादा कैदियों को मार डाला था, वहां पर कैदियों का एक ग्रुप सिक्‍योरिटी और इंसाफ के लिए एक साथ आया. इस तरह से पीसीसी का जन्‍म हुआ. शुरुआत में इसे सलाखों के पीछे जिंदा रहने के लिए एक भाईचारा बताया गया लेकिन जल्द ही, यह एक ऑर्गनाइज्‍ड क्रिमिनल सिंडिकेट में बदल गया. 

यूरोप अफ्रीका तक नेटवर्क 

मार्को विलियंस हर्बास कैमाचो, जिसे मार्कोला के नाम से जाना जाता है, पीसीसी का ताकतवर और सीक्रेट लीडर है. साल 1968 में साओ पाउलो के ओसास्को में जन्मा और गरीबी में पला मार्कोला क्राइम की तरफ मुड़ गया. 1990 के दशक की शुरुआत में गिरफ्तार होने के बाद, मार्कोला जेल के अंदर ही पीसीसी से जुड़ा. वह अपनी इंटेलिजेंस, डिसिप्लिन और लीडरशिप स्किल्स की वजह से धीरे-धीरे संगठन में मजबूत होता गया. 2000 के दशक तक, मार्कोला ने संगठन को एक हिंसक जेल गैंग से पूरे देश में फैले क्रिमिनल एम्पायर में बदल दिया था.

मार्कोला ने स्ट्रक्चर, स्ट्रैटेजी और नियम बनाए और ड्रग ट्रैफिकिंग नेटवर्क को बढ़ाने पर फोकस किया. आज उसका नेटवर्क साउथ अमेरिका से यूरोप से लेकर अफ्रीका तक फैला है. साल 2006 में मार्कोला की कमांड के बाद पीसीसी ने साओ पाउलो में कोऑर्डिनेटेड हमले किए जिससे शहर में अफरा-तफरी मच गई. इसके साथ ही गैंग की ताकत का पता दुनिया को चला. संगठन के हजारों सदस्‍य आज ब्राजील के ड्रग ट्रेड और जेल सिस्टम के बड़े हिस्से को कंट्रोल करते हैं.  पीसीसी साउथ अमेरिका का सबसे ताकतवर और ऑर्गनाइज्‍ड क्रिमिनल नेटवर्क बन चुका है. 

जेल से गैंग चलाने वाला बहुबली 

अब बात करते हैं कोमांडो वर्मेलो या जिसे रेड कमांड के नाम से भी जानते हैं. यह रियो डी जेनेरियो का सबसे शक्तिशाली गिरोह है जिसे हालिया एनकाउंटर में निशाना बनाया गया है. वर्तमान सरगना लुइज फर्नांडो दा कोस्टाजिसे 'फर्नान्डिनहो बेरा-मार' कहा जाता है. वह भी कई सालो से जेल में है और वहीं से गिरोह को नियंत्रित करता है. यह ब्राजील का सबसे पुराने और बदनाम क्रिमिनल ऑर्गनाइजेशंस में से एक है.इस संगठन की शुरुआत साल 1970 के दशक के आखिर में रियो डी जेनेरियो की कैंडिडो मेंडेस जेल के अंदर हुई थी. यह ग्रुप लेफ्ट पॉलिटिकल कैदियों और आम अपराधियों के एक ग्रुप के तौर पर शुरू हुआ था. इन मकसद शुरुआत में यूनिटी कायम करना था लेकिन जल्द ही यह एक ताकतवर ड्रग ट्रैफिकिंग सिंडिकेट में तब्‍दील हो गया. साल 1980 के दशक तक इस गैंग ने रियो के बड़े इलाकों पर कंट्रोल कर लिया था. संगठन अपने कानून लागू कर रहा था और सरकार की तरफ से छोड़े गए इलाकों में बेसिक सर्विसेज मुहैया करा रहा था. 

कभी स्‍ट्रीट वेंडर था कोस्‍टा 

ग्रुप का सबसे मशहूर लीडर, लुइज फर्नांडो दा कोस्टा साल 1990 के दशक में पावर में आया. वह एक स्ट्रीट वेंडर था और आज ड्रग लॉर्ड बन चुका है. उसने कोमांडो वर्मेलो की पहुंच ब्राजील के बाहर कोलंबिया तक बढ़ाई. संगठन के आज यहां के ड्रग कार्टेल के साथ रिश्‍ते हैं. साउथ अमेरिका से होकर जाने वाले कोकीन और हथियारों के बड़े रास्तों को इस संगठन ने कंट्रोल किया हुआ है. उसकी लीडरशिप में यह ग्रुप अपने हिंसक इलाकों की लड़ाइयों के अलावा पुलिस और मिलिट्री की सख्ती को नाकाम करने की मशहूर हो चुका है. साल 2001 में गिरफ्तार होने और मैक्सिमम-सिक्योरिटी जेलों में कई सजा काटने के बाद भी, बेइरा-मार सलाखों के पीछे से ऑपरेशंस चलाता है. इसे खत्म करने की सरकारी कोशिशों के बावजूद, कोमांडो वर्मेल्हो रियो में एक बड़ी ताकत बना हुआ है. यह संगठन ब्राजील के शहरी अंडरवर्ल्ड में गरीबी, ड्रग्स और ताकत के बीच गहरे कनेक्शन को बयां करता है. 

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