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सोशल मीडिया का इस्तेमाल, इलाके पर कब्जा.. समय के साथ खुद को यूं बदलता रहा ब्राजील का ड्रग्स माफिया

संगठन के कई सदस्‍यों की प्रोफाइल अब एक्‍स पर हैं जिसमें अलग-अलग सिंबल बताते हैं कि वो क्‍या हैं. साफ है कि जुड़े हुए लोग ग्रुप में अपनी मेंबरशिप छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.

सोशल मीडिया का इस्तेमाल, इलाके पर कब्जा.. समय के साथ खुद को यूं बदलता रहा ब्राजील का ड्रग्स माफिया
  • रेड कमांड के बारे में अमेरिका का कहना है कि इसने ड्रग्‍स के कारोबार को जिंदा करने में बड़ी भूमिका निभाई है.
  • रेड कमांड की शुरुआत 1970 के दशक में जेल के अंदर लेफ्ट पॉलिटिकल कैदियों और अपराधियों के समूह के रूप में हुई थी.
  • कोविड-19 लॉकडाउन में रेड कमांड ने ड्रग तस्करी के लिए कंटेनरशिप और बल्कर जहाजों का प्रयोग बढ़ाया.
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नई दिल्‍ली:

ब्राजील में एंटी-ड्रग ऑपरेशंस इस समय पूरी दुनिया में सुर्खियों में छाया हुआ है. मंगलवार को हुए इस ऑपरेशन में पुलिस ने हेलीकॉप्‍टर्स से लेकर बख्‍तरबंद गाड़ियों तक का प्रयोग किया. इस रेड में रेड कमांड को निशाना बनाया गया है. रेड कमांड जिसे कमांडो वर्मेलो के तौर पर भी जानते हैं, ब्राजील का सबसे खतरनाक ड्रग कार्टल है. पुलिस की तरफ से बताया गया है कि यह ग्रुप कम इनकम वाले फेवलेस में अपने नशे के कारोबार को अंजाम दे रहा है. मंगलवार को हुआ पुलिस ऑपरेशन ब्राजील के इतिहास का सबसे खतरनाक मिशन था. मानवाधिकार संगठनों ने मौतों की जांच की मांग की है.

रियो के गवर्नर क्लाउडियो कास्त्रो की मानें तो इस रेड के दौरान 93 राइफलें और आधे टन से ज्‍यादा ड्रग्‍स जब्‍त की गई हैं. जिस रेड कमांड को निशाना बनाया गया है, उसके बारे में अमेरिकी के जस्टिस डिपार्टमेंट का कहना है कि इस संगठन ने देश में ड्रग्‍स के कारोबार को फिर से जिंदा करने और दूसरे देशों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर यह संगठन इतना खतरनाक क्‍यों है और यह कैसे अपने कारोबार को अंजाम देता है. 

जेल में हुई शुरुआत 

इस संगठन की शुरुआत साल 1970 के दशक के आखिर में रियो डी जेनेरियो की कैंडिडो मेंडेस जेल के अंदर हुई थी. यह ग्रुप लेफ्ट पॉलिटिकल कैदियों और आम अपराधियों के एक ग्रुप के तौर पर शुरू हुआ था. इन मकसद शुरुआत में यूनिटी कायम करना था लेकिन जल्द ही यह एक ताकतवर ड्रग ट्रैफिकिंग सिंडिकेट में तब्‍दील हो गया. रेड कमांड के काम करने का तरीका समय-समय पर बदला है. 

कोविड-19 में बदले तरीके 

आपको जानकर हैरानी होगी कि कोविड-19 के समय जिस समय पूरी दुनिया लॉकडाउन में घर के अंदर थी, संगठन काम करने के नए तरीकों को ईजाद कर रहा था. www.ics-shipping.org की एक रिसर्च के अनुसार यूं तो कंटेनर में छिपाए गए पार्सल अभी भी समुद्री ड्रग तस्करी का पसंदीदा तरीका है, लेकिन ड्रग्स छिपाने के लिए अनजाने में प्रयोग किए जाने वाले कार्गो जहाजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, खासकर बल्कर और कंटेनरशिप. रेड कमांड ने इस तरीके को खासतौर पर अपनाया है. 

सोशल मीडिया का जमकर प्रयोग 

https://gnet-research.org/ की तरफ से हुई एक रिसर्च के अनुसार कोमांडो वर्मेलो के सदस्‍य अब जमकर सोशल मीडिया का प्रयोग करने लगे हैं. एक्‍स और दूसरे प्लेटफॉर्म पर इस संगठन से जुड़े लोगों की काफी एक्टिविटी है. सन् 1970 के दशक के अंत में गुरिल्ला और बैंक लूटने वाले गैंग के हाइब्रिडाइजेशन की अपनी जड़ों के हिसाब से, ये सदस्य न सिर्फ ड्रग्स बेचते हैं और राइफलें लहराते हैं, बल्कि फेवलेस के लोगों को नए नियम भी बताते हैं. ये अपनी तरफ से की जा रही चैरिटी के कामों का बखान करते हैं, खोए हुए सैनिकों की तारीफ करते हैं और सरकार-विरोधी बातचीत में शामिल होते हैं. नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी में नेटवर्क साइंस में पीएचडी करने वाले लुकास अल्मेडा ने पता लगाया था कि कैसे अब सोशल मीडिया प्रेजेंस के जरिये संगठन अब ड्रग्‍स का कारोबार चला रहा है. 

कैसे-कैसे कब बदली मॉडेस ऑपरेंडी 

रेड कमांड जहां 1970 के दशक में आपसी सुरक्षा देना और एक दबाने वाले सिस्टम के खिलाफ काम कर रहा था तो 1980 और 1990 में यह फेवलेस में कानून की कमी का फायदा उठाकर अमीर लोगों को ड्रग्स बेचने वाला गिरोह बन गया. संगठन अक्सर अपने सोचे हुए तरीके को समझाने के लिए एक वाक्‍य का प्रयोग करता था Amigo do Morador- Inimigo do Estado. इसका मतलब है,  'लोकल लोगों का दोस्त, सरकार का दुश्मन'. बात न मानने पर जान तक जा सकती थी. अगर पुलिस के साथ मिलकर काम करने का सोचा तो वह और भी जानलेवा होता था. 

इंटरनेट और सोशल मीडिया 

फिर आया साल 2000 का दौरा  जब इंटरनेट का आगाज हो चुका था. इस दशक की शुरुआत से ही ऑफिशियल साइट्स थीं और क्रिमिनल एंथम ऑनलाइन शेयर किए जाने लगे थे. YouTube पर भी ऐसी एक्टिविटी अच्छी तरह से चल रही है, जिसमें कई प्रोपेगैंडा वीडियो को लाखों व्यूज मिले हैं और 2006 से आज तक वे एक्सेस किए जा सकते हैं. डेडिकेटेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उसी प्रोपेगैंडा के लिए बेहतर जमीन साबित हुए जिसमें लोकल और इंटरनेशनल प्रेस में इंडिविजुअल प्रोफाइल एक्टिविटी की रिपोर्ट्स हैं. 

एक्‍स पर हैं मेंबर्स की प्रोफाइल 

संगठन के कई सदस्‍यों की प्रोफाइल अब एक्‍स पर हैं जिसमें अलग-अलग सिंबल बताते हैं कि वो क्‍या हैं. साफ है कि जुड़े हुए लोग ग्रुप में अपनी मेंबरशिप छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. बल्कि वो इस बारे में बताने पर गर्व महसूस करते हैं कि वो इससे जुड़े हैं. नीचे एक्‍स पर बनी ऐसी ही एक सदस्‍य की प्रोफाइल है जो खुद को एक सैनिक बताता है. यह एक ऐसा मेंबर है जिसकी रैंकिंग इतनी ज्‍यादा है उस पर हथियार रखने का भरोसा किया जा सकता है. यह यह भी बताता है कि वह अपनी मर्जी से कितनी जानकारी दे सकता है.

Latest and Breaking News on NDTV
  • प्रोफाइल में बना रेड फ्लैग, रेड कमांड से जुड़ाव दिखाने के लिए प्रयोग होने वाला आम सिंबल. 
  • मधुमक्‍खी यानी वह यूजर संगठन के टॉप लोकल हेड अबेल्हा (मधुमक्खी) के कमांड में है. 
  • भालू यानी वह ट्रोपा डो उर्सो (भालू ट्रूप) का मेंबर है, जो कमांड की एक 'स्पेशल ऑपरेशन्स' डिवीजन है जिसमें सबसे अनुभवी शूटर हैं. ये दुश्मनों के इलाके पर कब्‍जा करता है और पुलिस का सामना करता है. 
  • यूजरनेम FAL राइफल का जिक्र बताता है कि इस्तेमाल मिलिट्री तक ही सीमित है और यह अपराधियों के बीच एक 'स्टेटस'  हथियार है. 22 का प्रयोग CV नंबर कोड (2) को भी बताता है. 

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