
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर टैरिफ की घोषणा कर दी है. ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ का ऐलान करते हुए इसे “लिबरेशन डे” या "मुक्ति दिवस" कहा और इसे "अमेरिकी इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक करा दिया. जहां भारत पर 26% टैरिफ लगाने जा रहा है वहीं चीन पर 34% टैरिफ लगेगा. ट्रंप जिस तरह से दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं, उससे दुनियाभर में ट्रेड वॉर की सूरत-ए-हाल बनते दिख रहे हैं. व्हाइट हाउस रोज गार्डन में दी अपनी स्पीच में ट्रंप ने कहा कि 2 अप्रैल, 2025 को "हमेशा उस दिन के रूप में याद किया जाएगा, जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ. उन्होंने जोर देकर कहा कि डोमेस्टिक मैन्यूफैक्चरिंग में उछाल आएगा, क्योंकि कंपनियां अपने उत्पाद बनाने के लिए अमेरिका में आएगी. ट्रंप ने साफ कर दिया कि वह अब उचित टैरिफ के बिना अमेरिका में आयात की किसी हाल इजाजत नहीं देंगे. इसलिए तमाम देशों को थोड़ा सख्त मोहब्बत को स्वीकार करना चाहिए

ट्रंप ने ट्रैरिफ का ऐलान करते हुए क्या कुछ कहा-जानें
आर्थिक स्वतंत्रता की घोषणा
ट्रंप ने कहा कि दशकों से हमारा देश नजदीकी और दूर के देशों, दोस्तों और दुश्मनों ने जरिए लूटा गया, इसे तहस-नहस किया गया. मित्र देशों ने कई बार दुश्मनों से ज्यादा व्यापारिक शोषण किया. यह अमेरिकी इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. यह हमारी आर्थिक स्वतंत्रता की घोषणा है. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप दावा किया कि नौकरियां और कारखाने देश में वापस आएंगे, घरेलू औद्योगिक आधार मजबूत होगा, और विदेशी बाजारों में प्रवेश आसान होगा, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते दाम मिलेंगे.
हम दयालु हैं
सभी व्यापारिक साझेदारों पर 10% का न्यूनतम आधारभूत शुल्क लगाने के बावजूद, ट्रंप ने इसे वैश्विक व्यापार के लिए सकारात्मक बताया. उन्होंने कहा, "हम बहुत ही दयालु हैं, हम उनसे लगभग आधा टैरिफ लेंगे, जितना वे हमसे लेते हैं." अगर देश शिकायत करते हैं, तो ट्रंप का जवाब था, "अगर आप जीरो टैरिफ चाहते हैं, तो अपने उत्पाद अमेरिका में बनाइए."
चीन पर भारी टैरिफ
ट्रंप ने चीन को निशाने पर लिया, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उन्होंने एक चार्ट दिखाया जिसमें दावा किया गया कि बीजिंग अमेरिकी सामानों पर 67% टैरिफ लगाता है. इसके जवाब में, अमेरिका अब चीन से 34% "रियायती पारस्परिक टैरिफ" वसूलेगा. ट्रंप ने कहा, "वे हमसे टैरिफ लेते हैं, हम उनसे लेते हैं, फिर भी हम कम लेते हैं. कोई कैसे नाराज हो सकता है? वे होंगे, क्योंकि हमने पहले कभी कुछ नहीं लिया." उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जिक्र करते हुए कहा कि वे इस सख्त मोहब्बत को समझते हैं.
इतिहास का हवाला
इसी के साथ ट्रंप ने 1789 से 1913 तक के अमेरिकी संरक्षणवादी युग की तारीफ की, जब देश टैरिफ पर निर्भर था और सबसे अमीर था. उन्होंने 1890 के दशक के संरक्षणवादी राष्ट्रपति विलियम मैककिनले को अपना नायक बताया. ट्रंप ने कहा, "1913 में अज्ञात कारणों से आयकर शुरू हुआ, जिससे नागरिकों ने सरकार चलाने का खर्च उठाना शुरू किया, न कि विदेशी देशों ने. फिर 1929 में ग्रेट डिप्रेशन ने सब खत्म कर दिया, जो टैरिफ नीति बरकरार रखने से नहीं होता." हालांकि, उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था, बैंक संकट और शेयर बाजार दुर्घटना जैसे अन्य कारकों को नजरअंदाज कर दिया.
आत्मसमर्पण नहीं
ट्रंप ने एशियाई देशों और यूरोपीय संघ के अलावा अपने पड़ोसियों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "अमेरिका अब एकतरफा आर्थिक आत्मसमर्पण की नीति नहीं चला सकता. हम कनाडा, मैक्सिको और अन्य देशों के घाटे को नहीं सहने वाले. पहले ऐसा होता था, लेकिन अब नहीं."
भारत पर प्रभाव
ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ की घोषणा की, जो भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए 52% का आधा है. उन्होंने भारत को "बहुत सख्त" बताते हुए कहा कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों को बचाने के लिए जरूरी है. इससे भारत के ऑटोमोबाइल, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स निर्यात पर असर पड़ सकता है. हालांकि, दोनों देशों के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत 2025 के अंत तक तनाव कम कर सकती है. ट्रंप के इस कदम से वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मच गई है. जहां अमेरिकी उद्योगपति इसे समर्थन दे रहे हैं, वहीं व्यापारिक साझेदार देशों में चिंता बढ़ रही है. आने वाले महीने इस नीति के असर को साफ करेंगे.
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