अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आर्म्ड ड्रोन के निर्यात को आसान बनाने का फैसला किया है. ट्रंप प्रशासन मानता है कि सहयोगी देशों को अमेरिकी तकनीक की जरूरत है. क्योंकि गैर-प्रसार समझौते से बाहर के अन्य देश बाजार पर कब्जा कर रहे हैं. व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि वह 1987 के मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) से पीछे हटना चाहता है. जिसमें 35 देशों ने मानव रहित हथियार वितरण प्रणालियों की बिक्री को प्रतिबंधित करने पर सहमति जताई थी.
यह भी पढे़ं: चीन का पलटवार - अमेरिका को चेंगदू का वाणिज्य दूतावास बंद करने को कहा
अमेरिकी सरकार के मुताबिक, ''MTCR का उद्देश्य मिसाइलों के प्रसार को नियंत्रित करना था. लेकिन इसने आर्म्ड ड्रोन को भी कवर किया. उस समय आर्म्ड ड्रोन सशस्त्र संघर्ष में इस्तेमाल नहीं होता था जो कि अब होता है.'' ट्रम्प का यह बदलाव आर्म्ड ड्रोन को फिर से वर्गीकृत करेगा. जिसका निर्यात सिर्फ एक खास श्रेणी के देशों को किया जा सकता है. इस श्रेणी के ड्रोन में अधिकतम 800 किलोमीटर प्रति घंटे से कम की एयरस्पीड होनी चाहिए, जो अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रीपर और प्रीडेटर ड्रोन और साथ ही अन्य अमेरिकी रक्षा निर्माताओं द्वारा बने ड्रोन की बिक्री का रास्ता साफ करेगा.
यह भी पढे़ं: अमेरिकी अधिकारी का खुलासा, भारत और US साथ मिलकर शुरू करने जा रहे हैं ड्रोन विकास कार्यक्रम
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, "MTCR के मानक तीन दशक से अधिक पुराने हैं. ये पुराने मानक एमटीसीआर के बाहर के देशों को अनुचित लाभ देते हैं और अमेरिका के उद्योग को नुकसान पहुंचाते हैं." व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया कि दो साल की बातचीत MTCR में सुधार करने में विफल रही.
हालांकि इस कदम से सशस्त्र नियंत्रण के पैरोकार चिंतित हैं, जो कहते हैं कि अधिक देशों के लिए एडवांस ड्रोन की अमेरिकी बिक्री वैश्विक हथियारों की दौड़ को बढ़ावा दे सकती है. सीनेटर बॉब मेंडेज़ ने एक बयान में कहा, "ट्रम्प प्रशासन ने एक बार फिर से घातक ड्रोन के निर्यात पर अंतर्राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण को कमजोर कर दिया है. इस लापरवाह फैसले से यह अधिक मुमकिन है कि हम अपने कुछ सबसे घातक हथियारों को दुनिया भर में मानवाधिकारों के हनन करने वालों के लिए निर्यात करेंगे."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं