
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ क्या लगाया, पूरे दुनिया का शेयर मार्केट सहम गया है. चीन से लेकर कनाडा तक जवाबी कार्रवाई करने की कसम खा चुके हैं. ऐसे में आपने जरूर ही ऐसे कई टर्म सुने होंगे जो ट्रेंड में हैं, जैसे टैरिफ वॉर, रिसेशन या मंदी आने वाली है, चीन रिटैलिएट कर रहा है, ट्रंप ने जो टैरिफ लगाया है वो रेसिप्रोकल टैरिफ था, सोमवार को जो शेयर मार्केट का हश्र हुआ उसे ब्लैक मंडे कहा जा रहा है… अब आप इनमें से कितने टर्म्स को जानते हैं? अगर आपको इनमें से किसी एक में भी कोई कंफ्यूजन हैं तो हम हैं न. आपको हरेक के बारे में एकदम आसान शब्दों में बताते हैं. शुरुआत ऐसे करते हैं कि एक लाइन से आपको सब समझ आता जाए.
रेसिप्रोकल टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को तमाम देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत और अधिक से अधिक 49 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसे उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ का नाम दिया है जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ होता है पारस्परिक टैरिफ. इसे आप आसान शब्दों में जैसे को तैसा टैरिफ बोल सकते हैं.
रिटैलिएट करना
इसका आसान सा अर्थ है बदले में कदम उठाना. उसे आप उदाहरण से समझिए. 2 अप्रैल को अमेरिका ने चीन पर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया. इसपर चीन चुप नहीं बैठा और उसने भी ऐलान कर दिया है कि वो भी अमेरिका से आने वाले सामानों पर 34 प्रतिशत का ही टैरिफ लगाएगा. इस स्थिति में चीन ने पलटकर जवाब दिया है. इसे ही कहेंगे कि चीन ने रिटैलिएट किया है.
टैरिफ वॉर या ट्रेड वॉर
टैरिफ वॉर यानी युद्ध एक तरह का आर्थिक संघर्ष है जिसमें प्रत्येक देश दूसरे के निर्यात पर अतिरिक्त टैरिफ लगाता है. टैरिफ वॉर आम तौर पर तब शुरू होते हैं जब एक देश अपने किसी बिजनेस पार्टनर देश के व्यापारिक व्यवहार या भू-राजनीतिक कारणों से नाखुश होता है. एक के टैरिफ लगाने पर दूसरा रिटैलिएट करता है और फिर पहले वापस से पलटवार करता है. ऐसे में दोनों के बीच आर्थिक संघर्ष की स्थिति बन जाती है और इसे टैरिफ वॉर कहा जाएगा. टैरिफ वॉर की स्थिति अन्य देशों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए बनाई जाती है. टैरिफ लगाकर उन उत्पादों की कुल लागत बढ़ाई जाती है जो सामने वाले देश से आ रही है. यह बढ़ी हुई कीमत नागरिकों को निर्यातक देश के उत्पाद खरीदने से हतोत्साहित करती है.
मंदी
मंदी यानी सुस्त अर्थव्यवस्था. इस स्थिति में आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण गिरावट होती है जिससे सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ में गिरावट देखने को मिलती है. अगर आपको मंदी की "पारंपरिक परिभाषा" बताए तो उसके अनुसार जब लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी में गिरावट होती है तो उसे मंदी कहा जाता है.
ब्लैक मंडे
19 अक्टूबर 1987 को ब्लैक मंडे के रूप में जाना जाता है. इस दिन अमेरिका का स्टॉक इंडेक्स डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज एक ही दिन में 22.6% गिर गया था. इसका दुनिया भर में असर हुआ और दुनिया भर के बाजारों में खरबों का नुकसान हुआ. यह इतिहास में एक दिन में सबसे खराब मार्केट क्रैश में से एक है. अब जब भी बड़े पैमाने पर किसी दिन शेयर मार्केट गिरता है तो उस दिन को ब्लैक करार दिया जाता है. सोमवार, 7 अप्रैल को भी ऐसा देखने को मिला जब दुनियाभर के शेयर मार्केट तेजी से गिरे और कुछ आलोचकों ने इस दिन को भी ब्लैक मंडे करार दिया.
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