- टाइम मैगजीन ने साल 2025 के लिए पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में AI के क्षेत्र में काम करने वालों को चुना है.
- टाइम ने कहा है कि साल 2025 में एआई की पूरी क्षमता सामने आई और अब पीछे लौटना संभव नहीं है.
- पर्सन ऑफ द ईयर में एआई के जरिए सोचने वाली मशीनों के युग को लाने वाले प्रमुख दिग्गज शामिल हैं.
टाइम मैगजीन ने साल 2025 के लिए पर्सन ऑफ द ईयर की घोषणा कर दी है. इस बार उन लोगों को पर्सन ऑफ द ईयर बनाया गया है, जिन्होंने आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. टाइम मैगजीन ने गुरुवार को इसका ऐलान करते हुए कहा कि साल 2025 साल है, जब एआई की पूरी क्षमता सामने आई है. इसने यह साफ कर दिया है कि अब पीछे मुड़ना संभव नहीं है.
टाइम मैगजीन के 'पर्सन ऑफ द ईयर'
टाइम के 2025 पर्सन ऑफ द ईयर वे लोग हैं, जिन्होंने एआई के जरिए सोचने वाली मशीनों का युग लाने, इंसान को हैरान करने और वर्तमान को बदलने और संभावनाओं से परे जाने का काम किया है.

टाइम मैगजीन के कवर पर कौन-कौन दिग्गज?
बता दें कि टाइम मैगजीन ने अपने पर्सन ऑफ द ईयर के लिए दो कवर जारी किए हैं, इनमें से एक कवर को डिजिटल आर्टिस्ट जेसन सीलर ने बनाया है. यह 1932 की "लंच अटॉप अ स्काईस्क्रैपर" तस्वीर का रीक्रिएशन है, जिसमें श्रमिकों की जगह पर प्रमुख तकनीक और एआई कंपनियों के दिग्गजों को दिखाया गया है. इसमें मार्क ज़करबर्ग (मेटा), लिसा सू (एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस), एलोन मस्क (एक्सएआई), जेन्सेन हुआंग (एनवीडिया), सैम अल्टमैन (ओपन एआई), डेमिस हसाबिस (डीपमाइंड टेक्नोलॉजीज), डारियो अमोदेई (एंथ्रोपिक), और फी-फी ली (स्टैनफोर्ड का ह्यूमन-सेंटर्ड एआई इंस्टीट्यूट) शामिल हैं.
मैगजीन के दूसरे कवर की कहानी जानें
वहीं दूसरे कवर को इलस्ट्रेटर और ग्राफिक्स एनिमेटर पीटर क्रॉथर ने बनाया है. इसमें एआई दिग्गजों को एआई अक्षरों के चारों ओर बने फ्रेम के बीच दिखाया गया है. बता दें कि टाइम मैगजीन 1927 से हर साल 'पर्सन ऑफ द ईयर' का खिताब देती आ रही है, हालांकि 1999 तक इसे औपचारिक रूप से 'मैन ऑफ द ईयर' (या 'वुमन ऑफ द ईयर') कहा जाता था.
'पर्सन ऑफ द ईयर' के पीछे की वजह जानें
टाइम पत्रिका के एडिटर इन चीफ सैम जैकब्स ने कहा कि पर्सन ऑफ द ईयर का मकसद दुनिया का ध्यान उन लोगों पर केंद्रित करने का एक सशक्त तरीका है, जो हमारी लाइफ को शेप देते हैं. इस साल एआई की कल्पना करने, उसे डिजाइन करने और विकसित करने वाले दिग्गजों से अधिक प्रभाव किसी का नहीं रहा.
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