- पेरिस के लूव्र म्यूजियम में हुई चोरी में आठ मिनट में 80 अरब से अधिक कीमत के गहने चोरी किए गए थे.
- चोरों ने लूव्र म्यूजियम से चोरी किए गए गहनों में रिजेंट डायमंड नामक 140.6 कैरेट के हीरे को नहीं छुआ.
- रिजेंट डायमंड भारत के आंध्र प्रदेश के कोल्लूर खान से निकला था और इसे एक गुलाम ने छुपाकर बाहर ले जाया था.
पिछले दिनों फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई एक चोरी ने सबके होश उड़ा दिए हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अब चोरों ने चोरी किए हुए गहनों को चोर बाजार में भी बेचना शुरू कर दिया होगा. इस चोरी के साथ ही कई थ्रिलर फिल्मों की कहानियां भी सबके दिमाग में आ गईं. लूव्र म्यूजियम में हुई चोरी को एक हफ्ते बीतने वाले हैं लेकिन अभी तक गहनों के बारे में कोई भी सुराग नहीं मिल सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस चोरी में एक ऐसा हीरा भी था जिसका कनेक्शन भारत से था लेकिन चोर इसे चुराने से छूट गए.
60 मिलियन डॉलर का हीरा रह गया
इस डकैती में चोरों ने एक बहुत ही कीमती हीरा, जिसकी अनुमानित कीमत 60 मिलियन डॉलर बताई जा रही है, वहीं छोड़ दिया. इस हीरे का भारत से रिश्ता रहा है. चार चोरों के एक गिरोह ने पेरिस के लूव्र म्यूजियम में सिर्फ सात मिनट के अंदर 80 अरब से ज्यादा के गहनों पर हाथ साफ कर दिया. इसके बाद चोर स्कूटर पर फरार हो गए, जिससे यह म्यूज़ियम की अब तक की सबसे दुस्साहसिक और साहसी डकैती बन गई. चोरों ने म्यूजियम से चोरी किए गए आभूषणों में डायमंड टियारा, हार, झुमके और ब्रोच चुरा लिए. सभी 19वीं सदी के हैं और कभी ये गहने फ्रांसीसी राजघराने या साम्राज्यशाही शासकों की शान हुआ करते थे.
रिजेंट डायमंड को छू नहीं सके चोर
बहुत हैरानी की बात यह है कि चोरों ने रिजेंट डायमंड, जो लूव्र म्यूजियम में प्रदर्शनी के लिए रखा गया था, उसे छुआ तक नहीं. यह असाधारण 140.6 कैरेट का रत्न अपने केस में बिना छुए रखा हुआ है. पेरिस की प्रॉसिक्यूटर लॉर बेक्को ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, 'मेरे पास इसका कोई साफ कारण नहीं है. जब तक चोर हिरासत में नहीं होंगे और जांचकर्ताओं का सामना नहीं करेंगे, तब तक कुछ पता लग नहीं पाएगा. हम चोरों को पकड़े बगैर यह पता नहीं लगा सकते हैं कि चोरी के पीछे कौन सा गिरोह है और उन्होंने उस खिड़की को क्यों निशाना नहीं बनाया.'
चोर की हुई बुरी मौत
आपको बता दें कि रिजेंट डायमंड यानी यह विशाल हीरा भारत के गोलकुंडा क्षेत्र, विशेष तौर पर आंध्र प्रदेश के कोल्लूर खान से निकला था. कहा जाता है कि इसे एक गुलाम ने खानों में पाया और अपने पैर में घाव बनाकर छुपा लिया. अपने कच्चे रूप में, रेजेंट डायमंड को 410 कैरेट का माना जाता था. रिजेंट हीरा कभी नेपोलियन की ताजपोशी की तलवार में जड़ा गया था और इसका इतिहास बेहद नाटकीय है. कहते हैं कि इसे भारत से एक दास तस्करी करके देश के बाहर लाया गया. उस दास ने फिर चेन्न्ई (तब मद्रास) की ओर प्रस्थान किया. उसे यह उम्मीद थी कि वह चोरी किए गए हीरे को भारत के व्यस्त सेकेंडरी मार्केट में बेच सकेगा. लेकिन उसकी आजादी की उम्मीदें जल्द ही बुरे सपने में बदल गईं.
उसकी एक गलती से दास को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. उसने अपनी सुरक्षा के लिए एक अंग्रेजी समुद्री कप्तान पर भरोसा किया और उसे हीरे की बिक्री से होने वाले सभी मुनाफे का 50 प्रतिशत देने का सौदा किया. अपनी टांग में छिपाकर बड़ी मुश्किल जो हीरा वह लेकर भागा था, वही उसका काल बन गया. लालची कैप्टन ने उस कर्मचारी से जबरन हीरा छीन लिया और उसे समुद्र में फेंक दिया.
पहले गया इंग्लैंड फिर फ्रांस
यह हीरा आखिर में इंग्लैंड पहुंचा और कई छोटे हीरों में काटा गया. इनमें से एक को फिलिप सेकेंड को बेचा गया, जिन्हें लुई XV का रीजेंट नियुक्त किया गया था. इसी वजह से ही इसे रिजेंट डायमंड नाम दिया गया. यह हीरा लुई XV और लुई XVI की ताजपोशी के मुकुटों में जड़ा गया. इसके अलावा, यह हीरा मैरी एंटोनेट द्वारा पहने गए एक टोपे को भी सजाता था. naturaldiamonds.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1791 तक रिजेंट डायमंड का मूल्य उसकी मूल खरीद कीमत से चार गुना से अधिक बढ़ चुका था. इससे यह फ्रांस का सबसे मूल्यवान और प्रतीकात्मक गहना बन गया, जो फ्रांसीसी राजघराने की भव्यता का प्रमाण है. फ्रांसीसी क्रांति के बाद, रेजेंट डायमंड नपोलियन बोनापार्ट के पास पहुंचा, जिन्होंने इसे अपनी तलवार पर इस्तेमाल किया.
रिजेंट डायमंड का ‘शाप'
कई लोग मानते हैं कि रिजेंट डायमंड जहां भी जाता है, उसके साथ कोई न कोई ट्रैजेडी जुड़ी रहती है यानी इसे शापित माना जाता है. उदाहरण के लिए, वह दास जिसने सबसे पहले हीरे को पाया और इसके साथ भागने की कोशिश की, उसकी बुरी मौत हुई. इसी तरह, राजा लुई XVI और मैरी एंटोनेट, जिनके पास रेजेंट डायमंड था फ्रांसीसी क्रांति के दौरान फांसी दी गई.
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