सीरिया के विपक्षी गुटों ने जिनेवा में आयोजित शांति वार्ताओं में सफलता न हासिल कर पाने का दोष एक-दूसरे पर मढ़ा है, जिसके चलते फरवरी में होने वाली वार्ता के नए चरण में प्रशासन की भागीदारी पर संशय बना रहा।
किसी भी शांति वार्ता पर सहमति नहीं बनी, परिवर्तनकारी सरकार पर वार्ताएं कभी शुरू नहीं हुईं, विरोधियों द्वारा घेरे गए केंद्रीय शहर होम्स के इलाकों में मदद पहुंचाने की बात में भी कोई प्रगति नहीं हुई।
'सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' ने कहा कि एक सप्ताह पहले शुरू हुई वार्ताओं के बाद से अब तक लगभग 1900 लोग मारे जा चुके हैं। वाशिंगटन ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को भी चेतावनी दी कि रासायनिक हथियारों के जखीरे को मिटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों में विफल रहने पर उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
इससे पहले, जिनेवा में बंद कमरों में हुए इन समझौतों का अंत विपक्षी गुटों के एक-दूसरे पर दोषारोपण के साथ हुआ। ये लोग 1,30,000 जिंदगियों को छीन लेने वाले रक्तरंजित विवाद के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
दोनों पक्षों के बीच पहली बैठक संचालित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थ लखदर ब्राहिमी ने कहा कि उनका लक्ष्य 10 फरवरी से वार्ताओं का दूसरा दौर आयोजित करने पर है। लेकिन सीरियाई विदेश मंत्री वालिद मुआलेम ने कहा कि जिनेवा वार्ताओं से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला और असद तथा उनकी सरकार इस बात पर विचार करेगी कि वार्ता के दूसरे दौर में शामिल होना चाहिए या नहीं।
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