श्रीलंका : पेट्रोल-डीजल का हर हफ्ते का कोटा तय होगा, पेट्रोल पंपों पर लागू होगी राशनिंग व्यवस्था

श्रीलंका में अगले महीने से फिलिंग स्टेशनों पर उपभोक्ताओं के लिए गारंटीशुदा साप्ताहिक ईंधन कोटा शुरू किया जाएगा

श्रीलंका : पेट्रोल-डीजल का हर हफ्ते का कोटा तय होगा, पेट्रोल पंपों पर लागू होगी राशनिंग व्यवस्था

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल सहित अन्य ईंधन के लिए लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं.

खास बातें

  • ऊर्जा मंत्री ने कहा,गारंटीकृत साप्ताहिक कोटा देने के अलावा कोई विकल्प नही
  • गैस आपूर्ति में कमी से बिजली और मिट्टी के तेल की मांग में वृद्धि
  • भारत ने कर्ज में डूबे श्रीलंका को हजारों टन डीजल और पेट्रोल की मदद की
कोलंबो:

श्रीलंका सरकार (Sri Lankan government) की अगले महीने से ईंधन राशन योजना (Fuel Rationing System) शुरू करने की योजना है. इसके तहत पेट्रोल पंपों पर पंजीकृत उपभोक्ताओं को साप्ताहिक कोटे की गारंटी दी जाएगी. श्रीलंका के एक वरिष्ठ मंत्री ने रविवार को यह बात कही. थर्मल पॉवर जनरेशन के लिए डीजल आपूर्ति का दबाव आने के कारण श्रीलंका में फरवरी के मध्य से ईंधन की समस्या है. पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग रही हैं.

अप्रैल की शुरुआत तक बिजली उत्पादन के लिए डीजल और फर्नेस ऑयल की कमी के कारण श्रीलंका रोज 10 घंटे की बिजली कटौती का सामना कर रहा था.

श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री ऊर्जा मंत्री कंचन विजयशेखर ने रविवार को ट्वीट किया “जब तक कि हम वित्तीय स्थिति को मजबूत करने, 24 घंटे बिजली बहाल करने और ईंधन की स्थिर आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हो जाते, हमारे पास फिलिंग स्टेशनों पर उपभोक्ताओं को पंजीकृत करने और उन्हें एक गारंटीकृत साप्ताहिक कोटा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. मुझे उम्मीद है कि जुलाई के पहले सप्ताह तक यह प्रणाली लागू हो जाएगी.” 

उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस व्यवस्था के लागू होने से ईंधन को लेकर मची आपाधापी दूर करने में मदद मिलेगी.

देश में ईंधन के भंडार और जमाखोरी की खबरें भी आई हैं. विजयशेखर ने आशा व्यक्त की कि ईंधन कोटा लागू ने करने का यह उपाय संकट को दूर करने का एक लंबा रास्ता तय करेगा. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि, "वित्तीय प्रतिबंधों के साथ, सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन एक सप्ताह के लिए ईंधन का आयात करता है, लेकिन कुछ उपभोक्ता अपनी मशीनरी और जनरेटर के लिए एक महीने या उससे अधिक के लिए ईंधन का भंडार करते हैं."

उन्होंने कहा कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति में डीजल, फर्नेस ऑयल और नाप्था के लिए अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर मासिक खर्च होता है. उन्होंने कहा कि गैस आपूर्ति में कमी ने बिजली और मिट्टी के तेल की मांग में वृद्धि की है, और मासिक ईंधन बिल जो चार महीने पहले 200 मिलियन अमेरिकी डालर था, अब 550 मिलियन अमरीकी डालर है.

इस बीच, भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत देय ईंधन शिपमेंट इस महीने के अंत में श्रीलंका पहुंच रहे हैं. लेकिन भविष्य में आपूर्ति की निरंतरता को लेकर कोई संकेत नहीं है. यह भारत की सहायता पर निर्भर है.

विजयशेखर ने संवाददाताओं से कहा, "हम 16 जून को  इंडियन लाइन ऑफ क्रेडिट (ILC) के तहत आखिरी डीजल शिपमेंट और 22 जून को आखिरी पेट्रोल शिपमेंट की उम्मीद कर रहे हैं." श्रीलंका की ईंधन खरीद पूरी तरह से आईएलसी पर निर्भर है. यह शुरू में 500 मिलियन अमेरिकी डालर की क्रेडिट लाइन थी जिसे बाद में 200 मिलियन अमेरिकी डालर के साथ बढ़ाया गया था.

विजयशेखर ने कहा कि डीजल की न्यूनतम दैनिक आवश्यकता 5,000 मीट्रिक टन थी क्योंकि बिजली कटौती के कारण लोगों को निजी जनरेटर चलाने के लिए इसकी आवश्यकता होती है.

भारत ने कर्ज में डूबे राष्ट्र श्रीलंका में ईंधन की भारी कमी को कम करने में मदद करने के लिए भोजन और चिकित्सा आपूर्ति के अलावा, हजारों टन डीजल और पेट्रोल की मदद की है.

श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते भोजन, दवा, रसोई गैस, ईंधन, टॉयलेट पेपर और यहां तक ​​कि माचिस जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी है. नागरिकों को महीनों तक ईंधन और खाना पकाने के लिए गैस की दुकानों के बाहर घंटों इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल-डीजल उपलब्ध नहीं होने से श्रीलंका में लोगों को ईंधन खरीदने के लिए पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी कतारें लगानी पड़ रही हैं. ईंधन की किल्लत होने से अप्रैल की शुरुआत से ही देश में 10 घंटे की बिजली कटौती हो रही है. ऐसी स्थिति में सरकार हालात पर काबू पाने के लिए ईंधन की ‘राशनिंग' व्यवस्था लागू कर सकती है.

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