प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajpaksje) को उर्वरकों (Fertilizers) की आपूर्ति का आश्वासन दिया है ताकि कर्ज में डूबे हुए इस देश को फसलों के नुकसान की वजह से होने खाद्य पदार्थों की गंभीर कमी को दूर करने में मदद मिल सके. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी. राष्ट्रपति राजपक्षे ने अगले फसल कटाई के मौसम की आवश्यकताओं पर सिंचाई अधिकारियों के एक समूह के साथ बैठक के दौरान कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अगले सीजन की फसल के लिए उर्वरकों की आपूर्ति का आश्वासन दिया है.
उन्होंने कहा कि उर्वरकों की आपूर्ति भारतीय ऋण सहायता (लाइन ऑफ क्रेडिट) के तहत की जाएगी और खेप के कोलंबो पहुंचने के 20 दिन के भीतर वितरित की जाएगी.
श्रीलंका अपने यहां खेती के महा सत्र के दौरान धान की खेती में गिरावट के बाद कृषि बाजार में किसी भी व्यवधान से बचने के लिए अपने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का लक्ष्य बना रहा है. यह श्रीलंका में धान की खेती का मौसम है, जो मई से अगस्त तक चलता है.
गौरतलब है कि श्रीलंका सरकार ने पिछले साल जैविक कृषि की ओर चरणबद्ध परिवर्तन के तहत रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
जैविक उर्वरकों (Organic Fertilizers) की अपर्याप्त आपूर्ति ने कृषि उत्पादन, विशेष रूप से चावल और चाय के उत्पादन को प्रभावित किया था और 50 प्रतिशत फसल के नुकसान के साथ खाद्य पदार्थों की कमी का संकट पैदा हो गया.
राजपक्षे ने कुछ हफ्ते पहले स्वीकार किया था कि पूरी तरह जैविक खाद के उपयोग के लिए रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने का उनका निर्णय गलत था.
कृषि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि देश में चल रहे आर्थिक संकट के कारण अगस्त के मध्य तक खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ सकता है.
भारत ने श्रीलंका को धान की खेती में किसी भी व्यवधान से बचने के लिए पिछले महीने 65,000 मीट्रिक टन यूरिया की तत्काल आपूर्ति करने का आश्वासन दिया था.
भारत से यूरिया के निर्यात पर प्रतिबंध (Ban on Urea Export) के बावजूद श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने श्रीलंका को तुरंत यूरिया की इस मात्रा की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है.
श्रीलंका प्रति वर्ष 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर की कीमत के उर्वरकों का आयात करता है. देश भर के किसानों ने उर्वरकों की कमी का हवाला देते हुए कहा है कि उन्हें अपने खेत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
श्रीलंका में 20 लाख से अधिक किसान हैं और इसकी 2.2 करोड़ की आबादी में से 70 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर हैं.
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