ईस्टर के मौके पर रविवार के दिन श्रीलंका एक के बाद एक 8 सिलसेवार धमाकों से दहल उठा. श्रीलंका में गिरजाघरों, होटलों और एक गेस्टहाउस में करीब एक साथ हुए 8 विस्फोटों में कम से कम 150 लोगों की मौत हो गई. और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए. श्रीलंका के इतिहास में यह सबसे भयानक हमलों में से एक है. कोलंबो में तीन चर्च और तीन होटलों में हुए बम धमाकों की दहशत ने श्रीलंकाई नागरिकों को 2008 के उन बम हमलों की यादें ताजा कर दीं, जिनमें करीब 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
पुलिस प्रवक्ता रूवन गुनासेखरा ने बताया कि यह विस्फोट स्थानीय समयानुसार आठ बजकर 45 मिनट पर ईस्टर प्रार्थना सभा के दौरान कोलंबो के सेंट एंथनी चर्च, पश्चिमी तटीय शहर नेगेम्बो के सेंट सेबेस्टियन चर्च और बट्टिकलोवा के एक चर्च में हुए. वहीं तीन अन्य विस्फोट पांच सितारा होटलों - शंगरीला, द सिनामोन ग्रांड और द किंग्सबरी में हुए.होटल में हुए विस्फोट में घायल विदेशी और स्थानीय लोगों को कोलंबो जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल के प्रवक्ता डॉक्टर समिंदि समराकून ने बताया कि 300 से ज्यादा घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है. श्रीलंका में पूर्व में लिट्टे (एलटीटीई) ने कई हमले किए हैं. हालांकि 2009 में लिट्टे का खात्मा हो गया. दरअसल, 2009 से पहले तक श्रीलंका में लिट्टे की दहशत हुआ करती थी. उस समय श्रीलंका भी आतंकी हमलों के लिए पूरे विश्व में कुख्यात हो गया था. मगर लिट्टे यानी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम प्रमुख वी प्रभाकरण. की मौत के बाद श्रीलंका पर से आतंक का साया खत्म हो गया था. मगर आज की इस घटना ने एक बार फिर से श्रीलंका को पुरानी आतंकी हमलों की यादें ताजा कर दी हैं. बता दें कि श्रीलंकाई सेना के एक विशेष अभियान में साल 2009 को लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण को मार गिराया गया था.
साल 2008 (जून) में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए बम हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. यह बम लोगों से खचाखच भरी दो बसों में रखे गए थे. उस समय कई दिनों तक कोलंबो में कई बम हमले हुए थे जिन में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था. उस साल कई दिनों तक लगातार अलग-अलग जगहों से बम धमाकों की खबरें आतीं और मौत की.
जून महीने में ही इस धमाके से पहले एक ट्रेन में धमाका हुआ था, जिसमें करीब 8 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे. वहीं, उसी साल यानी 2018 में जनवरी महीने में श्रीलंका के मोनारगला जिले में एक पैसेंजर बस में बम विस्फोट हुआ था जिसमें करीब 24 की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए थे. इन सभी हमलों के लिए आतंकी संगठन लिट्टे को ज़िम्मेवार ठहराया जाता रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि 2009 से पहले तक श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच संघर्ष कायम रहा. बता दें कि श्रीलंका में ईसाईयों की आबादी करीब सात प्रतिशत है जबकि बौद्धों की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है, जिसके बाद हिंदू और मुस्लिम आबादी हैं.
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