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बांग्लादेश में शेख हसीना और उनके परिवार की विशेष सुरक्षा वापस ली गई, कानून में हुआ संशोधन

76 साल की शेख हसीना के 5 अगस्त को भारत भाग जाने के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग कर दिया था.

बांग्लादेश में शेख हसीना और उनके परिवार की विशेष सुरक्षा वापस ली गई, कानून में हुआ संशोधन
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना.
ढाका:

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके करीबी रिश्तेदारों को दिए गए विशेष सुरक्षा कवर को वापस ले लिया है. कुछ दिन पहले ही उनके राजनयिक पासपोर्ट रद्द किए गए थे. 

मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में सलाहकार परिषद ने विशेष सुरक्षा बल अधिनियम 2021 में संशोधन करने का फैसला किया. इससे पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके करीबी रिश्तेदारों की विशेष सुरक्षा हटा ली गई. 

आधिकारिक बीएसएस समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी है. 76 वर्षीय शेख हसीना के 5 अगस्त को भारत भाग जाने के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग कर दिया था.

शेख हसीना पर वर्तमान में बांग्लादेश में 75 से अधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें से लगभग आधे मामलों में हत्या के आरोप हैं.

सलाहकार परिषद की बैठक के बाद मुख्य सलाहकार कार्यालय (CAO) ने एक बयान में कहा, "छात्र और लोगों के बड़े पैमाने पर विद्रोह की पृष्ठभूमि में 8 अगस्त, 2024 को अंतरिम सरकार का गठन किया गया है, जिसमें मुख्य सलाहकार और अन्य सलाहकार शामिल हैं."

बयान में कहा गया है कि पिछली सरकार के फैसले के बाद यह अधिनियम बनाया गया और लागू किया गया था. इसके तहत 15 मई, 2015 को शेख हसीना और उनके करीबी रिश्तेदारों को विशेष सुरक्षा और लाभ प्रदान करने के लिए इस कानून के तहत एक राजपत्र जारी किया गया था.

बयान में कहा गया है कि, "यह कानून केवल एक परिवार के सदस्यों को विशेष राज्य लाभ प्रदान करने के लिए बनाया गया था, जो स्पष्ट रूप से भेदभाव करता. अंतरिम सरकार सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. 

कहा गया है कि, बदले हुए परिदृश्य के कारण "प्रशासनिक प्रबंधन के तहत 'राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के परिवार' से संबंधित प्रावधानों को मौजूदा कानून के अनुरूप लागू करना संभव नहीं है.

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सलाहकार परिषद की सदस्य सईदा रिजवाना हसन ने कहा कि "अंतरिम सरकार भेदभाव विरोधी आंदोलन का परिणाम थी."

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