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बांग्लादेश में पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल हक गिरफ्तार, जानिए शेख हसीना से कैसे जुड़ा कनेक्शन

Bangladesh: एबीएम खैरुल हक ने 1 अक्टूबर 2010 से लेकर 17 मई 2011 तक बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया था.

बांग्लादेश में पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल हक गिरफ्तार, जानिए शेख हसीना से कैसे जुड़ा कनेक्शन
एबीएम खैरुल हक और शेख हसीना की फाइल फोटो
  • बांग्लादेश पुलिस ने पूर्व चीफ जस्टिस एबीएम खैरुल हक को उनके धानमंडी आवास से गिरफ्तार किया है.
  • एबीएम खैरुल हक ने बांग्लादेश के 19वें चीफ जस्टिस के पद पर कार्य किया था.
  • डिटेक्टिव ब्रांच की एक टीम ने उन्हें सुबह करीब आठ बजे गिरफ्तार किया था.
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बांग्लादेश पुलिस ने गुरुवार, 24 जुलाई को देश के पूर्व चीफ जस्टिस एबीएम खैरुल हक को गिरफ्तार कर लिया. एबीएम खैरुल हक ने बांग्लादेश के 19वें चीफ जस्टिस के रूप में काम किया था. डिटेक्टिव ब्रांच (DB) पुलिस की एक टीम ने आज सुबह करीब 8 बजे उन्हें उनके धानमंडी स्थित आवास से उठाया. DB के ज्वाइंट कमिश्नर नसीरुल इस्लाम ने पूर्व चीफ जस्टिस की गिरफ्तारी की पुष्टि की. ज्वाइंट कमिश्नर नसीरुल इस्लाम ने न्यूज एजेंसी ANI को फोन पर बताया, "हां, हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है."

उन्होंने बिना विस्तृत जानकारी दिए कहा, "उनके खिलाफ तीन मामले हैं."

पूर्व चीफ जस्टिस पर क्या हैं आरोप?

BDNews24 की रिपोर्ट के अनुसार, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के वकील मुजाहिदुल इस्लाम शाहीन ने पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल के खिलाफ शाहबाग पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था. इसमें उन पर भ्रष्टाचार और न्यायिक फैसले बदलने का आरोप लगाया गया. इससे पहले 15 अगस्त को नारायणगंज के फतुल्ला पुलिस स्टेशन में उनपर एक और मामला दर्ज किया गया था. BDNews24 के अनुसार, मामला फतुल्ला थाना बीएनपी के महासचिव और नारायणगंज जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल बारी भुइयां द्वारा दायर किया गया था.

भुइयां की शिकायत खैरुल द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले से संबंधित है जिसने 13 साल पहले कार्यवाहक सरकार की प्रणाली को खत्म कर दिया था. भुइयां ने खैरुल पर संविधान के 13वें संशोधन को रद्द करने के लिए मूल फैसले को बदलने और इस प्रक्रिया में जालसाजी करने का आरोप लगाया.

गौरतलब है कि खैरुल ने 1 अक्टूबर, 2010 से 17 मई, 2011 तक बांग्लादेश के चीफ जस्टिस के रूप में काम किया था. 10 मई, 2011 को, उनकी अध्यक्षता वाली एक अपीलीय बेंच ने बांग्लादेश में एक विवादास्पद फैसला सुनाया. इस फैसले से 13वें संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया. इससे राष्ट्रीय चुनावों के वक्त उसकी देखरेख के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्यवाहक प्रणाली प्रभावी रूप से समाप्त हो गई. यानी अब चुनाव के समय कोई कार्यवाहक सरकार नहीं बनती जो यह सुनिश्चित करती कि चुनाव में सत्ताधारी पार्टी अपने पावर का बेजा इस्तेमाल नहीं कर रही है.

शेख हसीना से क्या कनेक्शन

जब पूर्व चीफ जस्टिस पद पर थे तब बांग्लादेश में शेख हसीना की ही सरकार थी. बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार उन नेताओं, अर्थशास्त्रियों, शीर्ष चुनाव अधिकारियों, नौकरशाहों और पुलिस सहित विभिन्न स्तरों पर उन अधिकारियों को गिरफ्तार कर रही है, जिन्होंने पद से हटाई जा चुकीं प्रधान मंत्री शेख हसीना के शासन के दौरान काम किया था.

शेख हसीना को पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह में अपदस्थ कर दिया गया था. उनके पतन के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया.

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